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सेना की Carbine को लेकर कंपनियों में ‘क्लोज बैटल’ !

भारतीय सेना के लिए कारबाइन (कार्बाइन) खरीदने के प्रोजेक्ट में बवाल खड़ा हो गया है. पहली तो एक कंपनी ने ये कहकर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि रक्षा मंत्रालय के टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है. अब देश में ही एके-203 राइफल बनाने वाले भारत-रूस के ज्वाइंट वेंचर ने शिकायत करने वाली कंपनी के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.

दरअसल, वर्ष 2019 में भारतीय सेना ने 4.25 लाख क्लोज क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी) कारबाइन के 12 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए 47 वेंडर्स (कंपनियों) को रेक्यूस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी की थी. इनमें से 15 कंपनियों ने टेंडर भरा और हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने इनमें से आठ को फाइनल राउंड के लिए चुना. जिन सात कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया से बाहर किया उनमें से एक थी बीएसएस मटेरियल प्राईवेट लिमिटेड.

बीएसएस कंपनी ने रूसी एक-19 कारबाइन सेना के लिए ऑफर की थी. लेकिन रक्षा मंत्रालय ने कंपनी की नेट-वर्थ यानी कुल कीमत देखकर टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया था. इस पर बीएसएस कंपनी ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

बीएसएस कंपनी का दावा है कि वो वर्ष 2016 में देश में ही तैयार की जाने वाली एके-203 असॉल्ट राइफल के लिए रूस के साथ मिलकर तैयार की इंडिया रशिया राइफल प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) कंपनी की सबसिडरी है. लेकिन आईआरपीएल ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

आईआरआरपीएल का दावा है कि भारत और रुस के बीच एके-203 राइफल कोरवा (अमेठी) में बनाने को लेकर इस कंपनी का गठन किया गया है. बीएसएस मैटेरियल कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है. (https://x.com/Sudhir140968/status/1832692467206160684)

आईआरआरपीएल, भारत के सरकारी उपक्रम म्युनिशन इंडिया लिमिटेड (और एडब्लूईआईएल) और रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट सहित  कलाशनिकोव  का मिलाजुला वेंचर है.

आईआरआरपीएल के जवाब में बीएसएस ने रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट कंपनी के पत्राचार और दस्तावेजों को सार्वजनिक किया है. इन दस्तावेजों के मुताबिक, भारतीय सेना (रक्षा मंत्रालय) से अगर एके-19 कारबाइन बनाने का टेंडर मिलता है तो उन्हें आईआरआरपीएल द्वारा ही भारत में तैयार किया जाएगा. रोसोबोरोनएक्सपोर्ट का दावा है कि एके-19 कारबाइन को भारतीय सेना की जरूरतों के हिसाब से ही डिजाइन किया गया है. (https://x.com/BSS_Materiel/status/1832706099004190847)

दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर है जहां दूध का दूध और पानी का पानी होने की उम्मीद है.

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