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दुश्मन की पनडुब्बी का काल हैं ये जहाज, समुद्री सीमा छूते ही कर देंगे भस्म

By Himanshu Kumar

दुश्मन की पनडुब्बी का काल माने जाने वाले दो एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्लू एसडब्लूसी) को कोचीन शिपयार्ड ने लॉन्च किया है. ‘मालपे’ और ‘मुलकी’ नाम के इन जहाज की लॉन्च के वक्त भारतीय नौसेना के कमांडर्स भी मौजूद थे. 

माहे-श्रेणी के इन एएसडब्लू-एसडब्लूसी जहाज को इसलिए तैयार किया जा रहा है ताकि दुश्मन की पनडुब्बी हमारी तटीय सीमा तक न पहुंच पाए. यही वजह है कि इन जहाज को देश की तटों के करीब समंदर में लैंड-माइन्स (बारुदी सुरंग) बिछाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इन्हें कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान के लिए भी खासतौर से डिज़ाइन किया गया है.

प्रत्येक जहाज की लंबाई 78 मीटर और चौड़ाई 11.36 मीटर है, जिसका विस्थापन लगभग 900 टन है. वे 25 नॉट की अधिकतम गति प्राप्त करने में सक्षम हैं और 1,800 समुद्री मील तक की प्रभावशाली सहनशक्ति रखते हैं.

भारत में विकसित अत्याधुनिक अंडरवाटर सेंसर से लैस, एएसडब्लू-एसडब्लूसी जहाजों को उथले पानी में प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए इसलिए डिज़ाइन किया गया है, क्योंकि पारंपरिक पनडुब्बियों के लिए ये बेहद चुनौतीपूर्ण होता है.  हल्के टॉरपीडो, पनडुब्बी रोधी रॉकेट और माइंस सहित क्लोज-इन वेपन सिस्टम (30 मिमी गन) और 12.7 मिमी स्थिर रिमोट-कंट्रोल गन से लैस ये जहाज बेहद घातक माने जाते है.

भारतीय नौसेना के मुताबिक, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) ने भारतीय नौसेना के लिए आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी) परियोजना के चौथे और पांचवें जहाज ( मालपे और मुल्की) को लॉन्च कर स्वदेशी जहाज निर्माण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की. 

मालपे और मुलकी नाम के इन जहाजों को दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल वी. श्रीनिवास की पत्नी ने सैन्य पंरपरा के तहत लॉन्च किया. 

वर्ष 2019 में कोचीन शिपयार्ड (सीएसएल) ने रक्षा मंत्रालय से भारतीय नौसेना के लिए कुल आठ (08) एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी के निर्माण का अनुबंध किया था. मालपे और मुलकी इस श्रेणी के चौथे और पा्चंवे जहाज है.

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