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यूक्रेन में हथियारों की खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार, रक्षा मंत्रालय और प्रोक्योरमेंट एजेंसी में खींची तलवार

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की भले ही पश्चिमी देशों से रूस के खिलाफ लड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा गोला-बारूद की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनके खुद के देश में हथियारों की खरीद-फरोख्त को लेकर तलवारें खिंच गई हैं. यूक्रेन के रक्षा मंत्री पर आर्म्स डील में हेरा फेरी के गंभीर आरोप लग रहे हैं तो हथियारों को खरीदने वाले एजेंसी की हेड को बर्खास्त कर दिया गया है.

यूक्रेन के रक्षा मंत्री रूस्तेम उमेरोव ने डिफेंस प्रोक्योरमेंट एजेंसी (डीपीए) की प्रमुख मार्याना बेजरुकोवा को पद से बर्खास्त कर दिया है. लेकिन बेजरुकोवा ने पद से हटने से इंकार कर दिया है. साथ ही यूक्रेन की एंटी-करप्शन एक्शन सेंटर ने उल्टा रक्षा मंत्री के खिलाफ ही मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने मार्याना को सेना को हथियार सप्लाई करने में देरी, खराब हथियार खरीदने, सेना मुख्यालय से संपर्क ना करने और क्लासीफाइड जानकारी लीक करने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए प्रोक्योरमेंट एजेंसी के प्रमुख के पद से बर्खास्त किया है.

रक्षा मंत्रालय ने मार्याना की जगह किसी अर्सेन ज़ुमाडिलो को प्रोक्योरमेंट एजेंसी का प्रमुख भी नियुक्त कर दिया है.

यूक्रेन के सैनिकों को नहीं मिल रहे हथियार

दूसरी तरफ मार्याना ने अपने फेसबुक अकाउंट पर राष्ट्रपति जेलेंस्की से प्रोक्योरमेंट एजेंसी को बर्बाद होने से बचाने की अपील की है. साथ ही जंग के मैदान में मोर्चा संभाल रहे सैनिकों को हथियार समय से ना पहुंचने की शिकायत भी की थी. साथ ही जिन देशों से हथियार आ रहे हैं, उनका भरोसा तोड़ने जैसे गंभीर आरोप जड़ दिए.

रक्षा मंत्रालय पर लगते रहे हैं भ्रष्टाचार के आरोप

उल्लेखनीय है कि उमेरोव के पूर्ववर्ती रक्षा मंत्री (2021-सितंबर 2023) ओलेक्सी रेजीनिकोव को भी जेलेंस्की ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद बर्खास्त किया था.

मामला पेचीदा इसलिए भी हो गया है क्योंकि यूक्रेन के कानून के हिसाब से स्वतंत्र एजेंसियों के मामलों में रक्षा मंत्रालय के दखल देने की इजाजत नहीं है.

आपसी कलह से जी-7 चिंतित

दरअसल, पिछले एक हफ्ते से रक्षा मंत्रालय और प्रोक्योरमेंट एजेंसी के बीच चल रही तनातनी के बाद जी-7 देशों के राजदूतों ने जेलेंस्की को पत्र लिखकर मामला सुलझाने का आह्वान किया था.

हथियारों की खरीद-फरोख्त के लिए यूक्रेन को पश्चिमी देशों से मिलती है बड़ी मदद

अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे जी-7 देश ही यूक्रेन को रूस के खिलाफ सबसे ज्यादा हथियार और गोला-बारूद सप्लाई कर रहे हैं. अकेले अमेरिका ने ही पिछले तीन सालों में (जब से युद्ध शुरू हुआ है) करीब 66 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की सहायता दे चुका है.

यूक्रेन के सबसे बड़े सैन्य समर्थक और रूस के कट्टर विरोधी ब्रिटेन ने पिछले तीन सालों में जेलेंस्की को 12.8 अरब पाउंड (16 अरब अमेरिकी डॉलर) की सैन्य और असैन्य सहायता दे चुका है.

अमेरिका ने डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से यूक्रेन को सभी तरह की मदद पर रोक लगा दी है. ऐसे में यूक्रेन के लिए रूस के खिलाफ जंग को लंबा खींचना मुश्किल हो सकता है.