भारत अपनी नेशनल मिलिट्री स्पेस पॉलिसी जारी करने जा रहा है. साथ ही सेना के तीनों अंग भी अपनी साझा स्पेस डॉक्ट्रिन अगले दो-तीन महीने में रिलीज करने जा रहे हैं. सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने स्पेस वॉरफेयर से जुड़ी ये अहम जानकारी साझा की है.
रूस-यूक्रेन युद्ध में स्टारलिंक के इस्तेमाल से लेकर मालाबार एक्सरसाइज के दौरान भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की नौसेनाओं की ड्रिल की 300 सैटेलाइट के जरिए जासूसी हो, स्पेस वॉर आज हकीकत बन चुकी है.
भारत तैयार कर चुका है एंटी-सैटेलाइट मिसाइल
पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ दुश्मन के सैटेलाइट कम्युनिकेशन को जाम कर देना या फिर सैटेलाइट को मिसाइल के जरिए मार गिराना हो, भविष्य के युद्ध अंतरिक्ष में लड़ जा सकते हैं. यही वजह है कि भारत ने अपनी एंटी-सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल तैयार कर ली है.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के अधीन डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) का गठन भी कर लिया गया है. बावजूद इसके असल युद्ध में कैसे और किस एजेंसी की क्या भूमिका होगी, इस पर विस्तृत चर्चा बाकी है. यही वजह है कि मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन बनाने का काम जोरो पर है ताकि वायुसेना से लेकर डीएसए का चार्टर साफ हो जाए.
देश की सेना के साथ-साथ इसरो और दूसरी स्पेस एजेंसियां किस तरह राष्ट्रीय सुरक्षा में अहम योगदान दे सकती हैं, उसके लिए ही नेशनल मिलिट्री स्पेस पॉलिसी बनाई जा रही है, जिसका जिक्र सीडीएस ने सोमवार को किया.
मौका था सालाना डेफस्पेस कार्यक्रम का जिसे सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने संबोधित किया था. (https://x.com/PTI_News/status/1909106717763436547)
अंतरिक्ष-अभियान एक्सरसाइज का किया था सफल आयोजन
अपने संबोधन में सीडीएस जनरल चौहान ने पिछले साल नवंबर के महीने में डिफेंस स्पेस एजेंसी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय (11-13 नवंबर) स्पेस एक्सरसाइज का जिक्र किया. अंतरिक्ष-अभियान एक टेबल-टॉप स्पेस एक्सरसाइज है जिसमें स्पेस वारफेयर और भारतीय सैटेलाइट को सुरक्षित रखने पर खासा जोर दिया गया था. एक्सरसाइज में डिफेंस स्पेस एजेंसी के साथ सेना के तीनों अंग मिलकर किस तरह सामरिक तैयारी करती हैं, उसे भी परखा गया.
स्टार्टअप्स भी कर रहे स्पेस वॉरफेयर में मदद
स्पेस वॉरफेयर के लिए इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के साथ-साथ देश की सेनाएं स्टार्टअप्स की भी मदद ले रही हैं. स्पेस वारफेयर में स्टार्टअप द्वारा तैयार की गई तकनीक के इस्तेमाल के लिए पिछले साल, रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिए एक ‘मिनेचुराइज्ड सैटेलाइट’ बनाने का करार किया था.
इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीएक्स) के तहत रक्षा मंत्रालय ने ‘स्पेसपिक्सल टेक्नोलॉजी लिमिटेड’ से ये करार किया था. करार के तहत स्पेसपिक्सल (स्टार्टअप) 150 किलोग्राम तक का पेलोड उठाने वाली छोटी (लघु) सैटेलाइट बनाएगी.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, स्पेसपिक्सल जो ‘मिनेचुराइज्ड सैटेलाइट’ भारतीय वायुसेना के लिए बनाएगी, वो इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड, सिंथेटिक अपर्चर रडार और हाइपरस्पेक्ट्रल पेलोड उठाने में सक्षम होगी.