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मॉस्को पहुंचे डोवल, अमेरिका की धमकियां दरकिनार

भारत-रूस के बेहतरीन रिश्तों और तेल आयात को लेकर मिल रही डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के बीच एनएसए अजीत डोवल मॉस्को पहुंचे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल रूस और भारत के बीच संबंधों को और मजबूती देने के लिए रूस पहुंचे हैं. 

एनएसए डोवल का ये दौरा पहले से तय था, लेकिन लगातार अमेरिका की ओर से रूस से तेल आयात बंद करने के दबाव के कारण सामरित तौर पर इस दौरे का महत्व बढ़ गया है. एनएसए डोवल के बाद अगले सप्ताह विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी रूस दौरा प्रस्तावित है.

रूसी राष्ट्रपति पुतिन-डोवल में मुलाकात, किन मुद्दों पर होगी बात

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल, रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी बैठक करेंगे. इस दौरान दूसरे रूसी नेताओं के साथ रणनीतिक साझेदारी और द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने पर वार्ता भी होगी.

बताया जा रहा है कि अजीत डोवल, पुतिन को पीएम नरेंद्र मोदी का संदेश देंगे, साथ ही रूस के साथ रिश्ते प्रगाढ़ करने पर जोर दिया जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से मिल रही धमकियों पर भी बात होगी, डोवल राष्ट्रपति पुतिन से रूस के साथ तेल खरीद को लेकर भारत का रूख साफ करेंगे.

जयशंकर का रूसी दौरा प्रस्तावित, भारतीय राजदूत की रूसी उप रक्षा मंत्री से मुलाकात

बताया जा रहा है विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अगले हफ्ते रूस के दौरे पर जा सकते हैं. इससे पहले रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने देश के उप रक्षा मंत्री कर्नल-जनरल अलेक्जेंडर फोमिन से मुलाकात की है. मुलाकात को दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.

रूसी रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, “भारतीय दूत ने कर्नल-जनरल फोमिन से मुलाकात की, जो अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग के प्रभारी हैं.”  बयान में कहा गया कि “बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की और खासकर रणनीतिक साझेदारी की भावना के तहत इस सहयोग को और अधिक मजबूत करने के अपने इरादे की पुष्टि की.”

रूस जाएगी भारतीय सेना, लेगी युद्धाभ्यास में हिस्सा

अगले महीने रूस में मल्टीनेशन मिलिट्री एक्सरसाइज भी होने वाली है, जिसमें भारतीय सेना हिस्सा ले रही है. माना जा रहा है कि इस एक्सरसाइज को लेकर भी अजीत डोवल, रूसी अधिकारियों से बात करेंगे.

डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बीच लगातार रूसी अधिकारियों और मंत्रियों से संपर्क साध कर भारत ने अपना संदेश साफ दे दिया है. कि भारत अपने परम मित्र रूस को नहीं छोड़ने वाला है. 

भारत के साथ खड़ा हुआ रूस, अमेरिका को सुनाया

क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) ने अमेरिका पर रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर अनुचित दवाब डालने का आरोप लगाया. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने “बिना किसी देश का नाम लिए कहा कि हमने कुछ बयान सुने हैं जो वास्तव में धमकी की तरह हैं. इनमें देशों पर दवाब डाला जा रहा है कि वह रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंध खत्म कर लें. हम ऐसे बयानों को वैधानिक नहीं मानते हैं.”  

इससे पहले रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा, “अमेरिका अपने घटते प्रभुत्व को स्वीकार नहीं कर पा रहा है और राजनीति से प्रेरित होकर उन देशों पर आर्थिक दबाव बना रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्वतंत्र होकर फैसले ले रहे हैं. हम हमारे सहयोगियों, समान विचारधारा वाले देशों और खासकर वैश्विक दक्षिण के अपने सहयोगी देशों का समर्थन करते हैं और इनसे ऊपर हम ब्रिक्स का समर्थन करते हैं. हम अपने सहयोगी देशों के साथ सहयोग को बढ़ाने के लिए तैयार हैं ताकि बहुपक्षीय, समान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में मदद की जा सके.”

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