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रफाल की मिसाइल से एडवांस है गांडीव, डॉग फाइट में चीन पाकिस्तान पर पड़ेगा भारी

हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की तकनीक में भारत ने एक अहम मुकाम कायम किया है. डीआरडीओ ने बियोंड विजुअल रेंज (बीवीआर) ‘अस्त्रा’ मिसाइल के ऐसे वर्जन को तैयार किया है जो 340 किलोमीटर दूर तक मार कर सकता है. डीआरडीओ ने इस मिसाइल को महाभारत के अर्जुन के धनुष के नाम पर ‘गांडीव’ नाम दिया है.

हाल ही में ‘अस्त्रा-III’ यानी गांडीव की तस्वीर सामने आई है. जानकारी के मुताबिक, गांडीव मिसाइल के ग्राउंड टेस्ट पूरे हो चुके हैं और जल्द ही सुखोई फाइटर जेट से इसका परीक्षण किया जाएगा. खास बात ये है कि इस एयर टू एयर मिसाइल की रेंज फ्रांस की मिटियोर मिसाइल से भी ज्यादा है, जिसे भारतीय वायुसेना राफेल फाइटर जेट में इस्तेमाल करती है. मिटियोर की रेंज करीब 200 किलोमीटर है.

बियोंड विजयुल रेंज एयर टू एयर मिसाइल है गांडीव

किसी भी फाइटर जेट को घातक बनाने में बियोंड विजयुल रेंज एयर टू एयर मिसाइल (बीवीआर-एएएम) ही बनाती है. इन मिसाइल का इस्तेमाल दुश्मन के फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर किसी भी फाइटर जेट को घातक बनाने में बियोंड विजयुल रेंज एयर टू एयर मिसाइल ही बनाती है. इन मिसाइल का इस्तेमाल दुश्मन के फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर और यूएवी को मार गिराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लंबी दूरी की मिसाइल के जरिए दुश्मन के फाइटर जेट की रेंज में आए बिना ही वार किया जा सकता है. साथ ही डॉग फाइट के दौरान भी दुश्मन पर बिना रेंज में आए हावी हुआ जा सकता है.

अस्त्रा-III यानी गांडीव की रेंज पाकिस्तान की एआईएम-120सी5 एएमआरएएएम (एडवांस मीडियम रेंज एयर टू एयर मिसाइल) और चीन की हवा से हवा में मार करने वाली पीएल-15 से भी ज्यादा है.

डीआरडीओ की अस्त्रा-III मिसाइल को नाम दिया गांडीव

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने वर्ष 2017 में स्वदेशी एयर टू एयर मिसाइल अस्त्रा बनाकर तैयार की थी, जिसकी रेंज करीब 80 किलोमीटर है. इसके बाद डीआरडीओ ने अस्त्रा-1 (110 किलोमीटर रेंज) और अस्त्रा-2 (160 किलोमीटर) को बनाकर तैयार है. ये मिसाइल वायुसेना के सुखोई और तेजस

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने वर्ष 2017 में स्वदेशी एयर टू एयर मिसाइल अस्त्रा बनाकर तैयार की थी, जिसकी रेंज करीब 80 किलोमीटर है. इसके बाद डीआरडीओ ने अस्त्रा-1 (110 किलोमीटर रेंज) और अस्त्रा-2 (160 किलोमीटर) को बनाकर तैयार है. ये मिसाइल वायुसेना के सुखोई फाइटर जेट से इंटीग्रेट हो चुकी हैं. साथ ही स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस में भी ये अस्त्रा मिसाइल इस्तेमाल की जाएगी. (https://x.com/DRDO_India/status/1173912814945046528)

कम रेंज के कारण डॉग फाइट के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन का मिग-21 पहुंच गया था पाकिस्तान सीमा में

बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद जब पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय की एयर स्पेस में घुसपैठ करने की कोशिश की थी, उस दौरान विंग कमांडर अभिनंदन के मिग-21 बाइसन एयरक्राफ्ट में लंबी दूरी की कोई मिसाइल नहीं थी. ऐसे में पाकिस्तानी एफ-16 फाइटर जेट से डॉग-फाइट के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन को उसके बेहद करीब से मिसाइल (आर-73) दागनी पड़ी थी. इसके कारण विंग कमांडर अभिनंदन का मिग-21 पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हो गया था.

विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तानी एफ-16 को तो मार गिराया था, लेकिन उस दौरान मिग-21 क्रैश हो गया था. क्रैश होने के बाद पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को पकड़ लिया था. हालांकि, बाद में भारत के कड़े तेवर के चलते पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा कर दिया था. इस घटना के बाद से डीआरडीओ ने स्वदेशी बीवीआर-एएएम मिसाइल पर तेजी से काम किया और अस्त्रा मिसाइल तैयार की. उसी का नतीजा है कि अस्त्रा-3 मिसाइल जिसकी रेंज 340 किलोमीटर है.

रैमजेट इंजन का इस्तेमाल किया गांडीव में

अस्त्रा-3 (गांडीव) में डीआरडीओ ने रैमजेट इंजन (सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट) का इस्तेमाल किया है, जिसके चलते मिसाइल को सुपरसोनिक रेंज से मार किया जा सकता है. मिसाइल को 20 किलोमीटर की ऊंचाई से भी मार किया जा सकता है.