पिछले एक साल से जातीय हिंसा में सुलग रहे मणिपुर में आखिर उग्रवादियों को कौन रॉकेट लॉन्चर और ड्रोन मुहैया करा रहा है. कौन है जो नहीं चाहता है कि मणिपुर में शांति हो. हिंसा के बीच ड्रोन और आरपीजी के इस्तेमाल ने हालात चिंताजनक बना दिए है. सवाल है कि क्या म्यांमार के रास्ते से उग्रवादियों तक आरपीजी और ड्रोन पहुंचाए जा रहे हैं. भारत में अशांति की इंटरनेशनल साजिश के पीछे कोई दुश्मन-देश तो नहीं है.
केन्द्र और राज्य सरकार लगातार मणिपुर में शांति लाने के लिए कोशिश कर रही है. लेकिन पिछले दो दिनों से लगातार दूसरी बार मणिपुर में ड्रोन अटैक देखा गया है. ड्रोन हमले में 3 लोग घायल हुए हैं. वहीं एक भारतीय रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के बंकर में तोड़फोड़ की गई.
ड्रोन से गिराए गए शक्तिशाली बम
इंफाल में ड्रोन से हमला हुआ. सबसे पहले ड्रोन से हमला रविवार को शुरू हुआ जब उग्रवादियों ने मैतई लोगों के एक गांव कोत्रुक में हमला कर दिया. कोत्रुक गांव पश्चिम इंफाल में मौजूद है. कुकी उग्रवादियों ने एक सितंबर को मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले में कोत्रुक गांव पर ड्रोन के जरिए आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड अटैक किया. आमतौर पर ये हथियार जंग में इस्तेमाल होते हैं. मैतई बाहुल्य गांव में पहले उग्रवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग की फिर ड्रोन से शक्तिशाली बम गिराए. इस हमले में एक महिला की मौत हुई और 16 लोग घायल हुए. रविवार के हमले के बाद सोमवार को एक बार फिर से ड्रोन से बम गिराए गए. जिसमें 3 लोग घायल हुए हैं.
ये आतंकी हमला है: सीएम एन बीरेन सिंह
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ड्रोन के जरिए आम लोगों और सुरक्षा कर्मियों पर बम गिराने की घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है. बीरेन सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “आम लोगों और सुरक्षा कर्मियों के ऊपर ड्रोन से बम गिराने की घटना, आतंकी घटना है. मणिपुर की सरकार इस अकारण हमले को गंभीरता से लेती है और सरकार स्थानीय लोगों पर इस अकारण हमले के लिए कड़ी कार्रवाई करने को प्रतिबद्ध है.” एन बीरेन सिंह ने कहा कि “मणिपुर के लोग हर तरीके की हिंसा, अलगाववाद और बंटवारे के खिलाफ एकजुट अवश्य रहेंगे.”
हाई तकनीक वाले ड्रोन का इस्तेमाल: पुलिस
घटना के बाद मणिपुर पुलिस ने औपचारिक बयान में कहा, “इम्फाल पश्चिम के कोटरुक में एक अभूतपूर्व हमले में कथित कुकी आतंकियों ने हाई तकनीक वाले ड्रोन का इस्तेमाल करके कई आरपीजी तैनात किए हैं. जबकि ड्रोन बमों का इस्तेमाल आम तौर पर सामान्य युद्धों में किया जाता रहा है. सुरक्षाबलों और नागरिकों के खिलाफ विस्फोटक तैनात करने के लिए ड्रोन की यह हालिया तैनाती एक महत्वपूर्ण वृद्धि को दिखाती है. तकनीकी विशेषज्ञता और सहायता के साथ हाई प्रशिक्षित पेशेवरों की भागीदारी से इनकार नहीं किया जा सकता है. अधिकारी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और पुलिस किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.”
सेना प्रमुख ने किया था मणिपुर का दौरा
पिछले हफ्ते ही थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी पहली बार दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर आए थे. सेना प्रमुख ने जातीय हिंसा से ग्रस्त मणिपुर के सुरक्षा हालात की जानकारी ली थी. सेना प्रमुख ने जमीनी स्तर पर तैनात कमांडर्स से ऑपरेशनल तैयारियों के बारे में जायजा लिया और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ भी चर्चा की. साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के साथ बैठक की थी.
उग्रवादियों को कौन दे रहा है आर्मी जैसी ट्रेनिंग?
आखिर उग्रवादियों को एडवांस ड्रोन कौन दे रहा है. कौन है जो उन्हें ट्रेनिंग दे रही है. म्यांमार से 150 किलोमीटर दूर भारतीय क्षेत्र में ड्रोन कैसे पहुंचे. जानकारी के मुताबिक, कुकी उग्रवादियों ने जिस तरह से ड्रोन और आरपीजी हमला किया है, वह बहुत एडवांस है. ऐसे ड्रोन का इस्तेमाल यूक्रेन और हमास के हमलों में हुआ है. म्यांमार से ड्रोन पहुंचने की संभावना इसलिए भी अधिक है, क्योंकि म्यांमार सीमा में बीपीएलए (बामर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) विद्रोही भी सुरक्षाबलों पर ऐसे हमले करते हैं.