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वीडियो गेम से चित होगा रूस, यूरोप ने बनाई अटपटी रणनीति

यूक्रेन जंग को रोकने की कवायद के बीच, यूरोप ने रूस को निर्यात होने वाले वीडियो गेम पर रोक लगाने की मांग की है. यूरोपीय संघ (ईयू) को अंदेशा है कि रूस, वीडियो गेम के कॉन्सोल को यूक्रेन के खिलाफ ड्रोन ऑपरेट करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है.

यूरोप की ये अटपटी रणनीति ऐसे समय में सामने आई है जब बुधवार को ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी घरेलू इंडस्ट्री से वर्ष 2030 तक ड्रोन के उत्पादन में दुनिया में सबसे आगे होने का आह्वान किया.

पुतिन ने खुद ड्रोन बनाने वाले एक प्लांट का दौरा किया और 20 किलो तक के भार उठाने वाले ड्रोन का डेमो देखा.

ड्रोन वॉरफेयर ने मोड़ा रूस-यूक्रेन जंग का रूख

दरअसल, यूक्रेन युद्ध के शुरुआती महीनों में रूस को ड्रोन वॉरफेयर में मुंह की खानी पड़ी थी. रूसी सेना ने एक पारंपरिक रणनीति के तहत यूक्रेन पर आक्रमण किया था. लेकिन जंग के मैदान में यूक्रेन ने भारी संख्या में ड्रोन का इस्तेमाल कर युद्ध का रुख मोड़ दिया था.

ऐसे में रूस ने ईरान और नॉर्थ कोरिया जैसे देशों की मदद से यूएवी और ड्रोन का आयात कर यूक्रेन पर लगाम लगाने की कोशिश की. साथ ही घरेलू ड्रोन इंडस्ट्री को भी मजबूत किया है.

काजा कैलस ने लगाई वीडियो गेम कॉन्सोल की सप्लाई पर बैन की मांग

जंग के तीन साल बाद, रूस भी यूक्रेन पर ड्रोन वॉरफेयर में भारी पड़ने लगा है. यही वजह है कि यूरोपीय यूनियन (ईयू) की विदेश और सुरक्षा मामलों की चीफ काजा कैलस ने रूस को भेजे जाने वाले वीडियो गेम के कॉन्सोल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

वर्ष 2022 में यूक्रेन जंग शुरू होने के साथ ही सोनी प्ले-स्टेशन और माइक्रोसॉफ्ट एक्स-बॉक्स ने पश्चिमी देशों की तर्ज पर रूस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. ऐसे में रूस को इन मल्टीनेशनल कंपनियों के प्रोडक्ट की सप्लाई बंद हो गई थी.

वीडियो गेम के कॉन्सोस से ड्रोन ऑपरेशन

काजा का मानना है कि यूरोप से रूस को अभी भी वीडियो गेम की सप्लाई हो रही है. साथ ही ब्रांडेड कंपनियों के सेकेंड हैंड डिवाइस भी रूस के मार्केट में पहुंच रहे हैं. इस सप्लाई को भी काजा पूरी तरह रोकने की पक्षधर हैं.

ईयू को ऐसा लगता है कि रूस जो बड़ी संख्या में ड्रोन का उत्पादन कर रहा है, उसके लिए वीडियो गेम के कॉन्सोल का इस्तेमाल कर रहा है.

एस्टोनिया की प्रधानमंत्री पद पर रह चुकी काजा, रूस की धुर-विरोधी मानी जाती हैं. पीएम पद पर रहते हुए काजा ने रूस के खिलाफ नाटो देशों की सेनाओं को यूक्रेन में तैनात करने की मांग की थी. हालांकि, नाटो ने उनकी मांग को ठुकरा दिया था.