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चायना-व्हाइट के खिलाफ जंग, FBI मांगे भारत का साथ

By Nalini Tewari

पाकिस्तान का गुणगान करने वाले अमेरिका ने चीन के ड्रग्स के मकड़जाल से लड़ने के लिए भारत से मदद मांगी है. एफबीआई डायरेक्टर काश पटेल ने कहा है कि चीन और मैक्सिकन ड्रग माफिया के इस नेटवर्क को खत्म करने में भारत की भूमिका बेहद अहम है. 

एफबीआई ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चीन सीक्रेट तरीके से तीसरे देशों के माध्यम से केमिकल भेज रहा है. एफबीआई ने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा है, चीन की ड्रग्स वाली साजिश बेहद खतरनाक है. साजिश के तहत ड्रग्स के जाल में फंसा कर अमेरिका और दूसरे देशों के युवाओं को तबाह करना है.  

टीएफए ने कुछ महीने पहले खुलासा किया था कि चीन ने ड्रग्स का नेटवर्क पूरी धरती पर फैलाना शुरू कर दिया है. इसके लिए चीन ने हेरोइन से 50 गुना ज्यादा घातक ड्रग्स तैयार की है जिसे फेंटेनाइल या फिर ‘चायना-व्हाइट’ के नाम से जाना जाता है. 

टीएफए  की खास पड़ताल में सामने आया था कि चीन ने अपने देश में तो ड्रग्स पर कड़े नियम बनाए हैं लेकिन दूसरे देशों के युवाओं को नशे की लत लगाने के लिए खास रणनीति तैयार की है. क्योंकि, चीन आज दुनिया में नारकोटिक्स ड्रग्स का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बन गया है.

एफबीआई ने चीन के फेंटेनाइल ड्रग्स पर जारी की चेतावनी, जारी की रिपोर्ट

एफबीआई की एक रिपोर्ट ने अमेरिका को चिंता में डाल दिया है. रिपोर्ट में चीन के अवैध फेंटेनाइल साम्राज्य को उजागर किया गया है, जिसका उद्देश्य अन्य देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के युवाओं को तबाह करना है. एफबीआई डायरेक्टर काश पटेल ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर तीसरे देशों के माध्यम से गुप्त रूप से पूर्ववर्ती रसायनों को भेजने का आरोप लगाया ताकि प्रवर्तन से बचा जा सके और जानबूझकर अमेरिकी समाज को नुकसान पहुँचाया जा सके.

चीन ड्रग्स जाल से निपटने के लिए काश पटेल ने मांगी भारत से मदद

एफबीआई निदेशक काश पटेल ने चीन समर्थित इस नेटवर्क को खत्म करने के लिए भारत-अमेरिका के बीच गहन सहयोग का आह्वान किया है. काश पटेल ने कहा है कि चीन ड्रग माफिया के इस नेटवर्क को खत्म करने में भारत की भूमिका बेहद अहम है. चीन में तैयार होने वाले फेंटेनाइल के लिए जरूरी रासायनिक कच्चा माल अब भारत जैसे देशों से होकर मैक्सिकन कार्टेल्स तक पहुंच रहे हैं. भारत इसका उपभोक्ता नहीं है, लेकिन अब इसे एक ट्रांजिट रूट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. 

काश पटेल ने इसे सिर्फ नशे का नहीं, बल्कि एक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा संकट’ बताया है. उनका कहना है कि चीन सिर्फ मुनाफा नहीं, बल्कि अमेरिका की युवा पीढ़ी को नुकसान पहुंचाने के लिए इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत इस नेटवर्क को अभी नहीं रोकेगा तो भविष्य में यह भारत के लिए भी खतरा बन सकता है.

चीन से आता है 90 प्रतिशत फेंटेनाइल  

काश पटेल ने एफबीआई की रिपोर्ट के बारे में बात करते हुए कहा, कि “90% से अधिक अवैध फेंटेनाइल चीन से आता है, साथ ही मेक्सिको के मेथ के लिए 80% पूर्ववर्ती रसायन भी चीन से आते हैं. विडंबना यह है कि, जबकि चीन सख्त घरेलू नशीली दवाओं पर नियंत्रण लागू करता है, यह दुनिया भर में नशे की लत का निर्यात करता है – अन्य देशों को अस्थिर करने की एक सोची-समझी रणनीति, जैसा कि ब्रुकिंग्स की 2024 की रिपोर्ट में उजागर किया गया है.”

सीसीपी के गैंग लीडर ब्रोकन टुथ ने फैलाया ड्रग्स का जाल

अमेरिका में चीन महज आपराधिक गतिविधियों या फिर पैसे के लिए ड्रग्स का कारोबार नहीं बढ़ा रहा है. इसके पीछे चीन की एक गहरी साजिश है. साजिश, अमेरिका की आने वाली पीढ़ियों को ड्रग्स की लत में डालकर सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद करने की. यही वजह है कि सामरिक जानकारी, इसे चीन के क्राइम के बजाए चीन के कॉग्निटिव-युद्ध के तौर पर देखते हैं.

चीन के इस साजिश को अमलीजामा पहनाता है चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का एक सक्रिय सदस्य वान कयोक कोइ. सीसीपी की पॉलिटिकल कंसलटेटिव कॉन्फ्रेंस का एक सक्रिय सदस्य है कोइ. लेकिन उसकी असली पहचान है चीन के सबसे बड़े ऑर्गेनाइज्ड क्रिमिनल ऑर्गेनाइजेशन, ’14के ट्रायड’ का सरगना. अपराध की दुनिया में कोइ को ‘ब्रोकन-टुथ’ के नाम से जाना जाता है.

अमेरिका सहित पूरी दुनिया में ड्रग्स, गैर-कानूनी सट्टा और मानव-तस्करी में चीन का ’14के ट्रायड’ कुख्यात है. यही वजह है कि चीन ने कोइ पर प्रतिबंध लगा रखा है.

क्या है चीन का ड्रग्स रूट, कैसे-कैस दुनिया में फैला रहा कदम

टीएफए ने अपनी इन्वेस्टिगेशन में पाया, बीजिंग से लेकर शंघाई, चेंगदू और वुहान जैसे बड़े शहरों में  फेंटेनाइल  के करीब 100 वेंडर ऑपरेट कर रहे हैं.  शंघाई में आज 13 ऐसे वेंडर हैं जो इस ड्रग्स का धंधा करते हैं तो वुहान में 14. शिझाहजजुआंग में तो ऐसे 47 वेंडर हैं.  

चीन की कंपनियां खुले-आम गैर कानूनी ड्रग्स का धंधा ऑनलाइन कर रही हैं. इनमें सबसे ज्यादा बिजनेस  फेंटेनाइल का ही किया जाता है. फेंटेनाइल कितनी घातक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मात्र दो मिलीग्राम के सेवन से किसी भी व्यक्ति की जान जा सकती है.

एक अनुमान के मुताबिक, चीन में 40 हजार से ज्यादा दवा और उससे जुड़े केमिकल के वैध और अवैध निर्माता हैं. इनमें से बड़ी संख्या में दवा की आड़ में नारकोटिक्स ड्रग्स का धंधा करते हैं.

दुनियाभर में ड्रग्स को भेजने का काम चीन खुद नहीं करता है. इसके बजाए चीन ने म्यांमार के शान और कचिन प्रांतों को चुना है. म्यांमार के ये दोनों प्रांत चीन सीमा से सटे हुए हैं और अशांत हैं. इन दोनों प्रांतों में म्यांमार की जुंटा (मिलिट्री शासन) का शासन लगभग न के बराबर है. यहां पर विद्रोही संगठनों ने एकछत्र राज कायम किया हुआ है.

म्यांमार के शान और कचिन से ही चीन की ड्रग्स की खेप पहले दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों तक पहुंचती है और फिर समंदर के रास्ते वहां से दुनिया के अलग-अलग देशों तक स्मगलिंग के जरिए पहुंचाई जाती है.

म्यांमार के अशांत प्रांतों के अलावा चीन ने लाओस से सटे 100 किलोमीटर बॉर्डर को भी ड्रग्स की तस्करी के लिए खास तौर से चुना है. लाओस के सीमावर्ती इलाकों में चीन के तस्कर, बिजनेस के आड़ में गैर-कानूनी तरीके से नारकोटिक्स ड्रग्स का धंधा करते हैं. यही वजह है कि लाओस के इस क्षेत्र को ‘लिटिल-चायना’ का नाम दे दिया गया है.

चीन के शैडो बैंक से आती है पेमेंट, अमेरिका ने किया खुलासा

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की एक रिपोर्ट की मानें तो दक्षिण-पूर्व एशिया में ड्रग्स की तस्करी में 78 प्रतिशत अकेले चीन से ही आती है. यही वजह है कि अमेरिका जैसे देशों ने चीन की उन कंपनियों को बैन कर दिया है जो फेंटेनाइल का धंधा करती हैं.

एफबीआई के अलावा अमेरिका की डायरेक्टरेट ऑफ एनफोर्समेंट एजेंसी (डीईए) का भी आरोप है कि पड़ोसी देश मैक्सिको से जो 90 प्रतिशत मेथामफेटामाइन  (मेथ) आती है, उसमें से 80 प्रतिशत के लिए प्रीकर्सर-केमिकल चीन से ही आता है. मेथ एक सिंथेटिक-ड्रग्स है जो पब और रेव पार्टियों में इस्तेमाल की जाती है.

मैक्सिको के अलावा इटली भी चीन की ड्रग्स की चपेट में आने की कगार पर है. इटली के ड्रग कार्टेल चीन के शैडो बैंक से आने वाली पेमेंट को छिपाने की कोशिश करते पाए गए हैं.

मेथ के आदी बन रहे युवा, म्यांमार भी अछूता नहीं

एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 35 मिलियन (3.50 करोड़) लोग मेथ की आदी बन चुके हैं. लेकिन ड्रैगन का चायना-व्हाइट, मेथ से भी 100 गुना ज्यादा घातक माना जाता है. चीन ने फेंटेनाइल से लैस ड्रग्स के उत्पादन को जबरदस्त तरीके से अपने देश में बढ़ा दिया है. मालदीव तक ‘चायना-व्हाइट’ की चपेट में आ चुका है. चीन के गैरकानूनी ड्रग्स के धंधे के लिए मालदीव आज एक ‘ट्रांस-शिपमेंट हब’ बन चुका है. चीन की फेंटेनाइल आज मालदीव से ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और थाईलैंड सहित फिलीपींस पहुंचती है. इसके चलते मालदीव के युवा भी नशे की आदी बनते जा रहे हैं. 

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