रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत ने एक मील का पत्थर कायम करते हुये देश में पहला टैंक इंजन बनाने का कारनामा कर दिखाया है. कर्नाटक के मैसूर स्थित डिफेंस पीएसयू बीईएमएल ने मैन बैटल टैंक (एमबीटी-अर्जुन) के इंजन का पहला परीक्षण पूरा कर लिया है. ये खबर ऐसे समय में आई है जब जर्मनी ने भारत को अर्जुन टैंक के इंजन देने में आनाकानी की है.
भारत अर्थ एंड मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) ने 1500 हॉर्स-पावर (एचपी) का पहला स्वदेशी टैंक इंजन बनाने का दावा किया है. बुधवार को रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने की मौजूदगी में बीईएमएल के मैसूर स्थित परिसर में नए इंजन की मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) के लिए पहली परीक्षण फायरिंग की गई. रक्षा सचिव ने इसे “परिवर्तनकारी क्षण बताया जो तकनीकी कौशल और रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है.” रक्षा सचिव के मुताबिक, “इस इंजन के परीक्षण से भारत की सैन्य क्षमताएं बढ़ेंगी.”
रक्षा मंत्रालय ने इस उपलब्धि पर बयान जारी कर बताया कि 1500 एचपी इंजन मिलिट्री-प्रोपलशन सिस्टम में “एक नया आयाम कायम करता है जिसमें कटिंग-एज फीचर्स हैं.” इसके कारण ये ऊँचे पर्वतीय इलाकों, बर्फीली इलाकों और रेगिस्तान में भी ऑपरेशन्स कर सकता है. मंत्रालय के मुताबिक, एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस होने के चलते ये इंजन विश्व-स्तर का है.
बीईएमएल के मुताबिक, ये नया इंजन फर्स्ट जेनरेशन का है और अब इसके सेकंड जनरेशन पर काम किया जाएगा, जो अगले साल यानी 2025 तक पूरा होने की संभावना है. 1500 (एचपी) इंजन के सेकेंड जनरेशन के ट्रायल डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) की अवाडी स्थित सीवीआरडीई यानी कॉम्बेट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (लैब) में किए जाएंगे.
भारत के लिए ये टैंक-इंजन इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने थलसेना के लिए एमबीटी-अर्जुन टैंक के मार्क-1ए वर्जन के 118 टैंकों का ऑर्डर दिया था. इस ऑर्डर की कुल कीमत करीब साढ़े सात हजार (7500) करोड़ थी. मार्क-1ए टैंक वर्जन एमबीटी-अर्जुन से ज्यादा उन्नत और घातक है. इन टैंकों के इंजन के लिए भारत ने जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी. लेकिन जर्मनी ने बताया कि ये इंजन 48 महीने यानी चार साल बाद ही मिल पाएंगे. ऐसे में एमबीटी-मार्क 1ए प्रोजेक्ट खतरे में पड़ सकता था. लेकिन बीईएमएल के नए इंजन से एमबीटी-मार्क 1ए प्रोजेक्ट फिर जिंदा हो गया है.
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