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रूस में पहली बार ब्रिटिश सैनिक गिरफ्तार, फ्रांस के सैनिकों ने कसी कमर

यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद से पहली बार पश्चिमी देश का कोई सैनिक रूस में धर-दबोचा गया है. मूल रूप से ब्रिटिश नागरिक, ये सैनिक यूक्रेन की इंटरनेशनल लीजन का हिस्सा था और उसे कुर्स्क में लड़ने के लिए भेजा गया था. कुर्स्क में ही रूसी सैनिकों ने पूर्व-ब्रिटिश सैनिक को गिरफ्तार कर लिया. 

इसी साल अगस्त के महीने में यूक्रेनी सेना ने रूस के कुर्स्क प्रांत पर अचानक हमला कर 1300 वर्ग किलोमीटर के हिस्से पर कब्जा कर लिया था. रूस ने आरोप लगाया था कि विदेशी सैनिकों (लड़ाकों) की मदद से यूक्रेन ने ये हमला कुर्स्क में किया था. हालांकि, अब खबर आई है कि रूस ने यूक्रेन से 40 प्रतिशत इलाका वापस छीन लिया है. 

ब्रिटिश नागरिक की पहचान जेम्स स्कॉट रिस एंडरसन के तौर पर की गई है. एंडरसन ने पूछताछ में बताया है कि उसने चार साल तक ब्रिटिश सेना में सिग्नल मैन के रूप में सेवाएं दीं और फिर ‘इंटरनेशनल लीजन ऑफ यूक्रेन’ में शामिल हो गया, जिसका गठन लगभग ढाई साल पहले यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद किया गया था. 

यूक्रेन में एंडरसन ने यूक्रेनी सैनिकों के लिए एक प्रशिक्षक के रूप में काम किया और उसे उसकी इच्छा के खिलाफ कुर्स्क क्षेत्र में तैनात किया गया.  

इससे पहले अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमला करने की साजिश के आरोप में भी एक शख्स को गिरफ्तार किया गया था. उसने भी खुलासा किया था कि वो उन लोगों की एक ब्रिगेड तैयार कर रहा था जो रूस के खिलाफ यूक्रेन की ओर से जंग लड़ने के लिए तैयार हो. (यूक्रेन ने गंवाया 40 फीसदी Kursk, मारे गए 35 हजार सैनिक)

अमेरिका और इंग्लैंड के पीछे चला फ्रांस

20 जनवरी से पहले थर्ड वर्ल्ड वॉर को दी जा रही है हवा. पहले अमेरिका, फिर कनाडा और इंग्लैंड के बाद अब फ्रांस ने यूक्रेन को घातक मिसाइल के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की किसी चेतावनी का नाटो देशों पर कोई असर नहीं हो रहा है. बल्कि रूसी राष्ट्रपति को भड़काने के लिए एक के बाद एक चौथे नाटो देश फ्रांस ने भी लंबी दूरी की मिसाइल के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी है. जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि अगर उनके देश में नाटो की कोई मिसाइल गिरी तो रूस पूरे नाटो का हमला मानेंगे, और किसी भी देश पर पलटवार करने के लिए उनके हाथ खुल जाएंगे. 

इस युद्ध में दांव पर सुरक्षा, रूस से यूरोप को खतरा- फ्रांस

फ्रांस ने खतरनाक स्कैल्प मिसाइल के इस्तेमाल की इजाजत यूक्रेन को दे दी है. फ्रांस के विदेश मंत्री जीन नोएल बैरोट ने कहा है कि “यूक्रेन अपनी आत्मरक्षा के लिए फ्रांस की लंबी दूरी की मिसाइल को दाग सकता है. यूक्रेन के समर्थन में फ्रांस कोई रेड लाइन बनाने का विचार नहीं रखता है.”

फ्रांसीसी विदेश मंत्री ने कहा है कि :फ्रांस, यूक्रेन की तब तक मदद करता रहेगा, जब तक जरूरी है. बैरोट ने कहा, इस युद्ध में सुरक्षा दांव पर लगी हुई है. रूसी सैनिक एक किलोमीटर स्क्वायर आगे बढ़ते हैं तो खतरा यूरोप की ओर भी बढ़ रहा है. रूस को रोकने के लिए अगर ग्राउंड पर फ्रांस के सैनिक भी उतारने पड़े, तो हम इस संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे.”

फ्रांस की मंजूरी, यूक्रेन के लिए मौत की घंटी- रूस 

फ्रांस ने अपनी जिस स्कैल्प मिसाइल के इस्तेमाल की मंजूरी दी है, वो ब्रिटेन की स्टॉर्म शैडो मिसाइलों की तरह ही हैं. ये लंबी दूरी की मिसाइल है और आसमान से जमीन में मारने के लिए अपने अचूक निशाने के लिए जानी जाती है. 

फ्रांस की मंजूरी पर रूस ने भी प्रतिक्रिया दी है. रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा है कि फ्रांस का ये कदम यूक्रेन की मदद नहीं है, बल्कि ये यूक्रेन के लिए मौत की घंटी है. 

जाहिर है रूस के बयान से साफ है, अगर यूक्रेन ने स्कैल्प मिसाइल का इस्तेमाल किया तो रूस छोड़ेगा नहीं. पिछली बार अमेरिका ने जब लंबी दूरी की मिसाइल के इस्तेमाल की इजाजत दी थी तो रूस ने अपने न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव कर दिया था. अमेरिकी मंजूरी मिलने के बाद यूक्रेन ने रूस पर 6 एटीएसीएमएस और दो स्टॉर्म शैडो (ब्रिटेन की मिसाइल) मिसाइल दागी, लेकिन रूस ने इन सभी मिसाइलों को मार गिराया था. अगले ही दिन रूस ने यूक्रेन में नाटो की एक मिसाइल फैसिलिटी पर हाइपरसोनिक मिसाइल ओरेशनिक से हमला किया था. (यूक्रेन पर दागी थी हाइपरसोनिक मिसाइल, Putin ने खुद किया ऐलान)

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