Breaking News Military History War

फ्रांस ने वापस की War Trophy, मेडागास्कर के राजा की 128 वर्ष पूर्व की थी बेइज्जती

दुनिया के इतिहास में फ्रांस और मेडागास्कर के बीच हुए भयंकर नरसंहार के घाव एक बार फिर ताजा हो गए हैं. 128 साल बाद फ्रांस ने मेडागास्कर को तीन मानव खोपड़ियां लौटाई हैं, जिनमें से एक उनके राजा की है. 

फ्रांस की सेना ने  1897 में लड़ी गई जंग में मेडागास्कर के राजा टोएरा की हत्या कर दी थी और उनका सिर निशानी के तौर पर पेरिस ले आए थे. तब से लेकर आज तक राजा टोएरा का सिर पेरिस के म्यूजियम में फ्रांस की जीत की निशानी के तौर पर रखा हुआ था. वहीं बाकी दो खोपड़ियां भी सकलावा समुदाय के लोगों की हैं, जिन्हें फ्रांस के संस्कृति मंत्रालय की ओर से लौटाया गया है.

अप्रैल के महीने में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मेडागास्कर यात्रा के दौरान फ्रांसीसी सेना द्वारा इतिहास में किए गलत काम पर माफी मांगी थी. आपको बता दें कि मेडागास्कर को 1960 में फ्रांस से आजादी मिली थी. और अब संबंध सौहार्दपूर्ण है.

फ्रांस ने मेडागास्कर को साहसिक राजा का सिर देकर ताजा किए जख्म, इतिहास जानिए

इतिहास खंगाला जाए तो बात साल 1897 की है, जो 19वीं सदी की शुरुआत थी. फ्रांस साम्राज्यवादी देश के रूप में कुख्यात था और अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए हमले करता था. फ्रांसीसी सेना अलग-अलग देशों पर कब्जा कर रही थी. 

मेडागास्कर पर मेरिना नाम के एक साम्राज्य का राज था, और उसके राजा थे रदामा. रदामा के ब्रिटिश के साथ अच्छे रिश्ते थे और उन्होंने देश में ईसाई धर्म फैलाना शुरू किया. लेकिन राजा की मौत के बाद उनकी पत्नी रानी रानावालोना ने विदेशी ताकतों के दखल का विरोध किया और देश की स्वतंत्रता को बचाने की कोशिश की, लेकिन राजा के निधन के बाद यूरोपीय देशों की नजर मेडागास्कर पर पड़ी. फ्रांस एक मजबूत देश था और अपने साम्राज्य के विस्तार के दौर में था.

1895 में फ्रांसीसी सेना ने मेडागास्कर की राजधानी तानानारिव पर हमला करके उस पर कब्जा कर लिया और रानी को मजबूरी में एक समझौते पर हस्ताक्षर करने पड़े. फिर 1897 में फ्रांसीसी सेना के जनरल जोसेफ गैलिएनी ने रानी रानावालोना को सत्ता से हटा दिया और राजशाही को खत्म कर दिया. इसके साथ ही मेडागास्कर पूरी तरह से फ्रांस का उपनिवेश बन गया.

फ्रांस के साम्राज्य बढ़ाने के खिलाफ किंग टोएरा ने उठाई थी आवाज

मेडागास्कर के पश्चिमी इलाके मेनाबे में सकलावा समुदाय के किंग टोएरा एक सम्मानित और साहसी नेता थे. उन्होंने फ्रांस के कब्जे और उनके गलत नियमों का विरोध किया, और अपने लोगों की आजादी के लिए फ्रांसीसी सेना को चुनौती दी.

29 से 30 अगस्त 1897 की रात को, जब राजा टोएरा फ्रांस के सामने हथियार डालने और समझौता करने को तैयार थे, तब भी फ्रांस की सेना ने अम्बिकी नाम के गांव पर अचानक हमला कर दिया. इस हमले की अगुवाई ऑगस्टिन गेरार्ड नाम के फ्रांसीसी अधिकारी ने की. हमले में राजा टोएरा, कई अन्य स्थानीय नेता और करीब 2,500 लोग मारे गए.

युद्ध में जीत के तौर पर फ्रांसीसी सेना, किंग टोएरा की खोपड़ी पेरिस लाए

फ्रांसीसियों ने सामूहिक नरसंहार में तत्कालीन राजा टोएरा की भी हत्या की थी. इसके बाद उनका सिर काट कर पेरिस ले जाया गया था और नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में रख दिया गया था.

अब इन खोपड़ियों को वापस कर दिया गया है. इस मौके पर फ्रांस के संस्कृति मंत्री रचिदा दती ने कहा कि ये खोपड़ियां जिन हालात में संग्रहालय तक पहुंचीं, वह वास्तव में साम्राज्यवादी हिंसा और मनुष्य की अस्मिता के उल्लंघन का स्पष्ट उदाहरण है. 

वहीं, मेडागास्कर के संस्कृति मंत्री डोना मारा ने खोपड़ियां लौटाने पर फ्रांस की सराहना की. उन्होंने कहा कि एक सदी से भी अधिक समय से यह हमारे देश के लिए खुले घाव के समान था. ये खोपड़ियां किसी संग्रह की वस्तु नहीं है. यह हमारे वर्तमान को हमारे भूतकाल से जोड़ती हैं.

अप्रैल के महीने में फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने मांगी थी माफी

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अप्रैल में मेडागास्कर की राजधानी एंटानानारिवो की यात्रा की थी. इस दौरान मैक्रों ने कहा, कि फ्रांस का औपनिवेशिक इतिहास “खूनी और दुखद” रहा है. इसके लिए मैक्रों ने मेडागास्कर से माफी मांगी थी और यह पहली बार था जब फ्रांस ने अपने पुराने गलत कामों को स्वीकार किया. 

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *