भारत और रूस के बीच गहरी होती दोस्ती और पन्नू मामले के बाद अमेरिकी से बढ़ती भारत की तल्खी से नए समीकरण बनाने शुरु हो गए हैं. यूक्रेन जंग के बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते रूस ने भारत को भारत को एक और बड़ा ऑफर दिया है. रूस चाहता है कि भारतीय कंपनियां उन अमेरिकी और यूरोपियन कंपनियों को टेकओवर कर ले, जिन्होंने युद्ध शुरु होने के दौरान रूस में अपना कारोबार बंद कर दिया था.
भारतीय कंपनियों के लिए सुनहरा मौका
रूस ने भारतीय कंपनियों को रूस में अमेरिकी और बाकी देशों के छोड़े गए कारोबार को टेकओवर करने का ऑफर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों द्वारा छोड़े गए बिजनेस को भारतीय कंपनियों को देने में दिलचस्पी दिखाई है. रूस चाहता है कि अगले साल 5 से 8 जून 2024 में होने वाले सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम (एसपीआईईएफ) में भारतीय कॉरपोरेट कंपनियां सौदा करें और खुद को सबसे तेजी से बढ़ती यूरोपीय अर्थव्यवस्था में शामिल करें.
रूस से कंपनियों ने खींचे थे हाथ, अब चीन-भारत को सौगात ?
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरु होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए कई बड़ी कंपनियों ने मॉस्को समेत कई शहरों से अपने दफ्तर बंद कर दिए थे. रॉस-कांग्रेस फाउंडेशन के उप निदेशक और एसपीआईईएफ के निदेशक एलेक्सी वाल्कोव ने कहा है कि “ऐसे कई कारोबार हैं, जिन्हें यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों ने अपनी सरकार के दबाव आकर छोड़ दिया है. जिसे स्थानीय रूसी कंपनियों के अलावा चीनी कंपनियों भी टेकओवर करना चाहती है.” एलेक्सी वाल्कोव ने कहा कि “ऑटोमोटिव, परिवहन, कपड़ा और हल्के उद्योगों में भारतीय निवेशकों और कंपनियों की रुचि होगी. वैसे भी पारंपरिक क्षेत्रों में भारत के साथ रूस का व्यापार बढ़ रहा है.”
क्या है सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशल इकोनॉमिक फोरम?
सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच आर्थिक क्षेत्र के लिए एक वार्षिक रूसी व्यापार कार्यक्रम है, जो सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित किया जाता है. सेंट पीटर्सबर्ग भौगोलिक रूप से तीन महाद्वीप के बीच स्थित है, इसलिए रूस में व्यापार करने के लिए तमाम देशों के लिए एक अनूठा अवसर होता है. हर साल 120 से अधिक देशों के 10 हजार से अधिक लोग भाग लेते हैं. फोरम प्रमुख रूसी और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, राज्य प्रमुखों, राजनीतिक नेताओं, प्रधानमंत्रियों, उप प्रधानमंत्रियों, विभागीय मंत्रियों और राज्यपालों को एक साथ लाता है. एसपीआईईएफ का नाम बदलकर रॉस कांग्रेस फाउंडेशन कर दिया गया है. साल 2024 यानी अगले साल 5 जून को आयोजन के पहले दिन रूस-भारत बिजनेस फोरम पर बातचीत होगी.रुस देता है कच्चा तेलरुस भारत को सस्ते दामों पर तेल बेचाता है जिसे भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है. इसके लिए भारत को यूक्रेन और दूसरे यूरोपीय देशों की खीझ का सामना भी करना पड़ा है. यूक्रेन ने तो ये तक आरोप लगा दिया था कि भारत जो तेल रुस से खरीद रहा है “उस पर खून लगा है.”
भारत के 50 प्रतिशत हथियार रुसी हैं
कोल्ड वॉर के समय से ही भारत रुस (तत्कालीन सोवियत संघ) से ही मुख्यत अपने हथियार खरीदता था. एक समय भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का आयातक देश था जिसके कुल सैन्य उपकरणों में रुस की भागीदारी 70 प्रतिशत तक थी. सोवियत संघ के टूटने के बाद और भारत द्वारा मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के बावजूद रुस के हथियारों का प्रतिशत 50 प्रतिशत के आसपास है. भारत रुस के दिए सुखोई और मिग-29 जैसे फाइटर जेट, कामोव हेलीकॉप्टर, ब्रह्मोस और एस-400 जैसी मिसाइल, टी-90 और टी-72 टैंक इस्तेमाल करता है.