रूस के कजान में ऐतिहासिक ब्रिक्स समिट के समापन के साथ ही राजधानी दिल्ली में यूरोपीय देशों के राष्ट्राध्यक्षों के आने का तांता लगना शुरु हो गया है. इनमें सबसे पहला नाम है जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज का. इसके बाद रविवार को स्पेन के राष्ट्रपति भी एक अहम दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं.
गुरूवार देर रात ओलाफ शुल्ज दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे जहां केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद स्वामी ने उनका स्वागत किया. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, सातवीं इंटरगर्वमेंटल कंसल्टेशन के लिए शुल्ज भारत आए हैं.
शुल्ज के भारत आने का एक बड़ा कारण रक्षा सहयोग भी माना जा रहा है. क्योंकि भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 (आई) के तहत मेक इन इंडिया के तहत जो छह स्टेल्थ पनडुब्बियां बनाई जाने हैं, उसमें जर्मनी की थाइसेनक्रुप (टीकेएमएस) ने अपनी इच्छा जताई है. लेकिन स्पेन के नवांतिया ग्रुप से थाइसेनक्रुप को जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
माना जा रहा है कि जल्द ही रक्षा मंत्रालय इस बात को तय करेगा कि टेंडर प्रक्रिया में कौन बाजी मारेगा.
खास बात ये है कि रविवार को स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज भी तीन दिवसीय (27-29 अक्टूबर) दौर पर भारत आ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर साचेंज राजधानी दिल्ली आ रहे हैं.
रूस के कज़ान शहर में आयोजित सफल ब्रिक्स समिट (22-24 अक्टूबर) के साथ ही पश्चिमी देशों को भारत, रूस और चीन के गठबंधन को लेकर चिंता होने लगी है. खुद पीएम मोदी ने ब्रिक्स समिट में हिस्सा लिया और इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सीमा विवाद समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है.
हालांकि, कज़ान में पीएम मोदी ने एक बार फिर यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा कि भारत, डायलॉग और डिप्लोमेसी में विश्वास करता है. इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी वहां मौजूद थे. (हम युद्ध नहीं डायलॉग के समर्थक: मोदी)
भारत में अपनी यात्रा के दौरान सांचेज और पीएम मोदी गुजरात के बड़ोदरा जाएंगे, जहां सी-295 एयरक्राफ्ट प्लांट में फाइनल असेंबली लाइन का उद्घाटन होना है. ये प्लांट, टाटा कंपनी ने स्पेन की एयरबस कंपनी के साथ मिलकर लगाया है.
माना जा रहा है कि सांचेज भी नवांतिया ग्रुप की तरफ से प्रोजेक्ट 75 (आई) के लिए भारत में पनडुब्बी बनाने को लेकर अपना पक्ष रखेंगे, जहां उन्हें जर्मनी से कड़ी टक्कर मिल रही है.
इस बीच खबर है कि जर्मनी का एक जंगी जहाज और ऑयल टैंकर इनदिनों भारत के दौरे पर आए हैं. गुरुवार को भारतीय नौसेना के विध्वंसक आईएनएस दिल्ली, जर्मन नौसेना के फ्रिगेट बाडेन-वुर्टेमबर्ग और टैंकर फ्रैंकफर्ट एम मेन ने हिंद महासागर में एक समुद्री साझेदारी अभ्यास (एमपीएक्स) किया. इन अभ्यासों में क्रॉस डेक फ्लाइंग ऑपरेशन, चल रही पुनःपूर्ति, फायरिंग और सामरिक युद्धाभ्यास शामिल हैं.
आईएनएस दिल्ली विध्वंसक मिसाइल अपने वर्ग का प्रमुख जहाज है और भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का हिस्सा है. बाडेन-वुर्टेमबर्ग जर्मन नौसेना के फ्रिगेट्स के एफ 125 श्रेणी का प्रमुख जहाज है जबकि फ्रैंकफर्ट एम मेन जर्मन नौसेना के दूसरे श्रेणी का जहाज है.
बंगाल की खाड़ी में भारतीय नौसेना, जर्मन नौसेना के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच समुद्री संबंध और उनके बीच अंतर-क्षमता को और मजबूत करना है. (मोदी Xi की पांच साल बाद मुलाकात, वैश्विक शांति में मिलेगी मदद)