क्या दुनिया को दिखाने के लिए सनकी तानाशाह किम जोंग उन ने अपनी राजधानी प्योंगयांग को चमका दिया है जबकि मिसाइल बनाने में बर्बाद हो चुकी उत्तर कोरिया की जनता दाने-दाने के लिए मोहताज है. ये सवाल इसलिए, क्योंकि उत्तर कोरिया से भागकर साउथ कोरिया पहुंची एक युवती ने अपनी आप बीती एक किताब के जरिए दुनिया के सामने लाने की कोशिश की है.
चीन के जरिए दक्षिण कोरिया भागकर आई सोंगमी हन इनदिनों अपनी पुस्तक के प्रचार के लिए भारत आई हुई हैं. गुरुवार को राजधानी दिल्ली में दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक केंद्र में सोंगमी ने अपनी किताब के बारे में टीएफए के साथ-साथ भारत के चुनिंदा पत्रकारों से जानकारी साझा की.
सोंगमी ने बताया कि उत्तर कोरिया की दयनीय स्थिति और लाचारी से तंग आकर उसकी मां वर्ष 2005 में चीन के जरिए दक्षिण कोरिया भाग खड़ी हुई थी. छह साल बाद, मां की तलाश में 18 वर्ष की सोंगमी ने भी एक दलाल के जरिए भागने की कोशिश की. लेकिन ये इतना आसान नहीं था.
सोंगमी ने बताया कि चीन बॉर्डर पर तैनात दक्षिण कोरियाई सैनिकों की गोलियों और खोजी कुत्तों से बचते बचाते किसी तरह देश से निकल पाई. लेकिन उस दौरान सोंगमी को बर्फ से जमी नदी और पहाड़ों को तो पैदल पार करना ही पड़ा, साथ ही बॉर्डर पर लगी कीलों से भी पैरों को छलनी कराना पड़ा था. उसके बाद लाओस और थाईलैंड के जरिए, सोंगमी दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल पहुंची.
सियोल में उत्तर कोरिया से भागकर आए नागरिकों के लिए बनी संस्था ‘फ्रीडम स्पीकर्स इंटरनेशनल’ (एफएसआई) से मुलाकात हुई और फिर इंग्लिश बोलना सीखा. एफएसआई के चैयरमैन कैसी लार्टिग्यू जूनियर के साथ मिलकर ही सोंगमी ने अपनी आपबीती ‘ग्रीनलाइट टू फ्रीडम’ नाम की पुस्तक में लिखी है.
गुरुवार को सोंगमी के साथ नॉर्थ कोरिया की एक अन्य युवती ह्योशिम माइंग भी दक्षिण कोरिया के हालात बताने के लिए सोंगमी के साथ मौजूद थी. दोनों ही युवतियों ने पारंपरिक भारतीय साड़ी पहन रखी थी.
दोनों ही उत्तर कोरियाई युवतियों ने किम जोंग उन को मिसाइल और हथियारों के निर्माण में लगे रहने और देशवासियों की जरूरतों को पूरा न करने का आरोप लगाया. युवतियां का तो यहां तक आरोप है कि खाने-पीने का सामान न मिलने के कारण उनके देश के लोग ‘घास तक खाने’ को मजबूर हैं.
युवतियों ने आरोप लगाया कि किम जोंग ने दुनिया को दिखाने के लिए राजधानी प्योंगयांग में हाई-राइज बिल्डिंग और शानदार सड़कें बनाई हैं, लेकिन बाकी हिस्सों में विकास बिल्कुल निल है.
युवतियों ने बताया कि दक्षिण कोरिया आकर वे दोनों बेहद प्रसन्न है. इसका कारण है आजादी. साउथ कोरिया में विकास के साथ-साथ नागरिकों को घूमने-फिरने से लेकर बोलने की स्वतंत्रता है. दक्षिण कोरिया के लोगों को पासपोर्ट तक आसानी से मिल जाता है ताकि वे दुनिया में कहीं भी जा सकते हैं. जबकि उत्तर कोरिया के लोग अपनी राजधानी प्योंगयांग तक नहीं जा सकते हैं. सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ भी लोग मुंह नहीं खोल सकते हैं. इंटरनेट की सुविधा तक नहीं मिलती है.
युवतियों ने बताया कि उत्तर कोरिया में साउथ कोरिया के ‘के-ड्रामा’ और ‘के-पॉप’ काफी पसंद किया जाता है. लेकिन किम जोंग ने दक्षिण कोरिया के नाच-गाने और ड्रामा तक अपने देश में बैन कर रखा है. ऐसे में लोग चोरी-छिपे डीवीडी के जरिए दक्षिण कोरिया के लोगों के रहन-सहन और आधुनिक लाइफ-स्टाइल को जान पाते हैं.
हाल ही में जब रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उत्तर कोरिया के आधिकारिक दौरे पर गए थे तो राजधानी प्योंगयांग में हुए ‘विकास और तरक्की’ की जमकर तारीफ की थी.
गौरतलब है कि उत्तर और दक्षिण कोरिया में हालांकि विवाद तो बंटवारे के बाद से ही है लेकिन पिछले दो-तीन साल से तल्खी बढ़ गई है. दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया से सटे बॉर्डर यानी डीएमजेड (डि-मिलिट्राइज जोन) पर के-पॉप जैसे गाने बजाना शुरु कर दिया है. ये इसलिए ताकी सीमावर्ती इलाकों के लोग और उत्तर कोरियाई सैनिकों को इन गानों के जरिए प्रभावित किया जा सके.
जवाब में किम जोंग उन ने गंदगी और कूड़े करकट से भरे बैलून (गुब्बारे) भेजना शुरु कर दिया है. गंदगी भरे बैलून दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल तक पहुंच रहे हैं. ऐसे में डीएमजेड पर भी विवाद बढ़ने की आशंका है. ऊपर से उत्तर कोरिया के मिसाइल टेस्ट और उत्तेजक युद्धाभ्यास से भी कोरियाई प्रायद्वीप में हमेशा युद्ध के बादल छाए रहते हैं.
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