पाकिस्तान के चुनाव में चोला बदलकर उतरी है भारत के मोस्ट-वांटेड आतंकी हाफिज सईद की पार्टी. पाकिस्तान की हिमाकत तो देखिए कि आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब होने के बावजूद बाज नहीं आता है. पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव में उम्मीदवार आतंकी है. चौंकाने वाली खबर है, पर सच है.
हाफिज सईद की पार्टी चुनाव में
पाकिस्तान के आम चुनाव में इस बार ‘मरकजी मुस्लिम लीग’ नाम की एक नई राजनीतिक पार्टी भाग ले रही है. कहा जा रहा है कि ये मुंबई हमलों (26/11) के मास्टर माइंड और लश्कर ए तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद की पार्टी है, जो प्रतिबंधों से बचने के लिए नए नाम से चुनाव लड़ रही है. दावा किया गया है कि मरकजी मुस्लिम लीग, हाफिज सईद की जमात-उद-दावा का नया राजनीतिक चेहरा है. इस संगठन ने पाकिस्तान के कई शहरों में उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है, जिनमें कुछ उम्मीदवार हाफिज सईद के रिश्तेदार हैं तो कुछ उम्मीदवार प्रतिबंधित आतंकी संगठन- लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा या मिल्ली मुस्लिम लीग से भी जुड़े हैं.
पाकिस्तान में आतंकी उम्मीदवार
मरकजी मुस्लिम लीग पार्टी की ओर से हाफिज सईद का बेटा हाफिज तल्हा सईद चुनाव लड़ रहा है और उसने लाहौर से निर्वाचन क्षेत्र संख्या एनए-122 से नामांकन दाखिल किया है. इसी निर्वाचन क्षेत्र से नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-की ओर से पूर्व संघीय मंत्री ख्वाजा साद रफीक चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं सईद का दामाद हाफिज नेक गुज्जर को भी मरकजी मुस्लिम लीग ने टिकट दिया है. अमेरिका द्वारा आतंकी घोषित किए गए आतंकी भी चुनावी मैदान में हैं. जिन लोगों को अमेरिका ने ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी’ घोषित किया था उनमें सैफुल्ला खालिद, मुजम्मिल इकबाल हाशमी, मोहम्मद हारिस डार, ताबिश कय्यूम, फैयाज अहमद फैसल नदीम और मोहम्मद एहसान शामिल थे. सभी पर लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था. मिल्ली मुस्लिम लीग के जिन सात सदस्यों पर यूएस ने प्रतिबंध लगाया था, वो पंजाब और सिंध विधानसभा से मरकजी मुस्लिम लीग की ओर से चुनावी मैदान में हैं. साल 2018 में जमात-उद-दावा के लोगों ने ‘मिल्ली मुस्लिम लीग’ पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने की कोशिश की थी. लेकिन पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने सरकार के विरोध के बाद संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था. बैन लगने के बाद जमात के उम्मीदवारों ने ‘अल्लाहु अकबर’ तहरीक नामक एक अज्ञात पार्टी से चुनाव लड़ा, लेकिन सभी हार गए थे.
हाफिज की नई चाल, फंस गई पाक सरकार
लाहौर की जेल में बंद सईद को पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालतों ने अलग अलग मामलों में 31 साल की सजा सुनाई है. साल 2008 को संयुक्त राष्ट्र ने भी हाफिज सईद को ‘वैश्विक आतंकवादियों’ की लिस्ट में शामिल किया था. पर हाफिज सईद से जुड़े लोगों का चुनावी रण में उतरना चुनाव को दिलचस्प तो बना ही रहा है बल्कि पाकिस्तान को भी बेनकाब कर रहा है. इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी बैकफुट पर है तो नवाज शरीफ को आम चुनाव 2024 की रेस नंबर 1 है. भारत ने दिसंबर के महीने में पाकिस्तान से हाफिज सईद को प्रत्यर्पित करने की मांग की थी, क्योंकि हाफिज सईद 26/11 हमलों में भारत का वांटेड आतंकी है.
8 फरवरी को पाकिस्तान में होने वाले चुनाव को लेकर अलर्ट है भारत. वो इसलिए भी क्योंकि चुनाव में भारत के वांटेड आतंकी सईद का बेटा हाफिज तलहा चुनाव में लड़ रहा है. अंदाजा लगाइए कि अगर आतंकी चुनाव जीत गए तो पाकिस्तान में कैसी हुकूमत होगी.
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