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कैंट में रहने वालों के लिए सरकार का बड़ा फैसला

सरकार जल्द ही देश के दस (10) अलग-अलग कैंट इलाकों को खत्म करने जा रही है. इसको लेकर जल्द ही एक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा ताकि कैंटोनमेंट बोर्ड खत्म कर दिए जाएं और छावनियों के सिविल एरिया को स्थानीय निकायों के अधिकार-क्षेत्र में शामिल कर दिया जाए.

जिन 10 कैंट इलाकों को खत्म किया जा रहा है, वे हैं अजमेर, बबीना (झांसी), क्लेमेंटाउन (उत्तराखंड) देहरादून, देवलाली (महाराष्ट्र), फतेहगढ़ (उत्तर प्रदेश), मथुरा, नसीराबाद, रामपुर और शाहजहांपुर.

दरअसल, देश में कुल 61 सैन्य परिषद छावनियां हैं जो रक्षा मंत्रालय के डिफेंस एस्टेट विभाग के अंतर्गत हैं. लेकिन रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा इन छावनियों के रख-रखाव में खर्च होता है जबकि यहां सैनिकों के साथ-साथ सामान्य नागरिक भी रहते हैं. यही वजह है कि सरकार इन छावनियों में से सैन्य इलाकों को अलग कर मिलिट्री स्टेशन बनाकर सिविल एरिया को स्थानीय निकायों (म्युनिसिपल कमेटी या नगर निगम) में मिलाने की तैयारी कर रही है.

डिफेंस एस्टेट के अंतर्गत देशभर में कुल 18 लाख एकड़ जमीन है. इनमें से इन 61 कैंटोनमेंट में का हिस्सा है 1.61 लाख एकड़.

पिछले साल हिमाचल प्रदेश के योल कैंट को सरकार ने डिनोटिफाइड कर अलग मिलिट्री स्टेशन बना दिया था. योल कैंट के सिविल एरिया को स्थानीय निकाय को सौंप दिया गया था.

दरअसल, ब्रिटिश राज में सैन्य अफसरों और सैनिकों के अलग रहने के लिए देशभर में कैंट की स्थापना की गई थी. देश का सबसे पुराना कैंट पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में वर्ष 1765 में स्थापित किया गया था. इस वक्त भारतीय सेना की सेंट्रल कमांड (हेडक्वार्टर लखनऊ) के अंतर्गत 25 कैंट हैं. जबकि, दक्षिणी कमान (मुख्यालय पुणे) के अंतर्गत 19 कैंट हैं, पश्चिमी कमान (चंडीमंदिर) के अंतर्गत 12, पूर्वी कमान (मुख्यालय फोर्ट विलियम) के अंतर्गत चार (04) और उत्तरी कमान (उधमपुर) के अंतर्गत एक (01) है.

भारतीय सेना के उच्च-पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, किसी भी कैंट एरिया में डिफेंस लैंड पर कभी कोई गैर-कानूनी कब्जे की रिपोर्ट नहीं मिली है. सूत्रों के मुताबिक, धीरे-धीरे कर देश के सभी 61 सैन्य छावनी परिषद को डिनोटिफाइड कर दिया जाएगा.

फिलहाल, कैंटोनमेंट बोर्ड (परिषद) भी एक स्थानीय निकाय की तरह काम करती हैं जिसमें चुने हुए प्रतिनिधि तो होते हैं लेकिन सीईओ एक डिफेंस एस्टेट अधिकारी होता है. साथ ही सेना के ब्रिगेडियर रैंक का अधिकारी इस बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत रहता है.

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