देश की सेना को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी सरकारी एविएशन कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने बिना नाम लिए उन मीडिया रिपोर्ट्स को नकार दिया है, जिसमें एचएएल को लेकर नकारात्मक टिप्पणियां की गई थीं. एचएएल ने एक बयान में कहा है कि बिना पक्ष जाने हुए कोई भई रिपोर्ट लिखना दुर्भाग्यपूर्ण है. अपने बयान में एचएएल ने ब्लॉगर्स, प्रिंट, वेबसाइट, सोशल और डिजिटल मीडिया में बिना जानकारी एचएएल को लेकर पब्लिक किए जा रहे आर्टिकल्स और वीडियो पर आपत्ति जताई है.
हेलीकॉप्टर्स पर की जा रही अटकलों से एचएएल परेशान, जारी किया बयान
एचएएल ने बयान जारी करते हुए कहा है कि, “इसी साल जनवरी के महीने में भारतीय तट रक्षक बल (इंडियन कोस्ट गार्ड) द्वारा संचालित एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) एक दुर्घटना का शिकार हो गया था. ऐसे में दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के बाद से, एचएएल पर दुर्भावनापूर्ण इरादों के साथ अटकलें, स्टोरी और रिपोर्ट लिखी और प्रकाशित की जा रही हैं. ये रिपोर्ट तथाकथित रक्षा विश्लेषकों, पूर्व पायलटों, पूर्व मिलिट्री ऑफिसर्स और ‘आर्म-चेयर’ आलोचकों द्वारा लिखी गई हैं. ये कहानियां एचएएल के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किए बिना लिखी गई हैं और तर्क एकतरफा और पक्षपातपूर्ण हैं. इन रिपोर्ट में अशुद्धियां और पुराने मुद्दों के संदर्भ हैं जिन्हें एचएएल ने अपने ग्राहकों के साथ विश्वास में लेकर हल कर लिया है.”
बयान में कहा गया कि “एचएएल, रक्षा मुद्दों और उत्पादों की संवेदनशील प्रकृति के कारण इन सभी रिपोर्टों पर एक-एक करके प्रतिक्रिया या टिप्पणी नहीं कर सकता है. एचएएल इस बात पर जोर देना चाहता है कि वह भारतीय वायु सेना सहित अपने सभी ग्राहकों के साथ काम कर रहा है और रक्षा एयरोनॉटिक्स और जटिल उड़ान प्लेटफार्मों में निहित महत्वपूर्ण मुद्दों को संभालने में आश्वस्त है. किसी भी तरह की अटकलों से बचना चाहिए.ये हितधारकों के हितों को नुकसान पहुंचा सकती हैं”
5 जनवरी को पोरबंदर में क्रैश हुआ था एएलएच ध्रुव
एचएएल सेना में आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रयासरत है. एचएएल हेलीकॉप्टर का निर्माण करता है. इन हेलीकॉप्टर को थलसेना, वायुसेना और नौसेना के साथ-साथ कोस्टगार्ड भी इस्तेमाल करती है. 5 जनवरी को गुजरात के पोरबंदर नेवल एयर बेस पर कोस्टगार्ड का एक एएलएल-ध्रुव हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था. इस दुर्घटना में दोनों पायलट समेत एक क्रू मेंबर की जान चली गई थी. इस दुर्घटना के बाद से सेना के तीनों अंगों के साथ-साथ कोस्टगार्ड की भी पूरी फ्लीट को ग्राउंडेड कर दिया गया था. इसी हादसे के बाद अलग-अलग तरह की लिखी जा रहीं रिपोर्ट्स के बाद एचएएल ने बयान जारी करते हुए रिपोर्ट्स को दुर्भावनापूर्व और अटकलों वाला बता दिया है.
एचएएल सेना के लिए क्या-क्या बनाता है, राजस्व 30,381 करोड़ पार
एचएएल देश की सबसे बड़ी डिफेंस मैन्युफैक्चरर और सप्लायर और एयरोस्पेस कंपनी है. एचएएल ने साल 1942 से ही देश के लिए हेलीकॉप्टर बनाना शुरु कर दिया था. मार्केट के हिसाब से एचएएल देश की सबसे बड़ी ड्रोन कंपनी है. हेलीकॉप्टर के साथ-साथ इंजन भी बनाती है. एचएएल ने ही स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का निर्माण किया है, जिसकी तूती बोल रही है. ये रडार और मिसाइल जैसे उपकरणों का भी विकास और निर्माण करता है.एचएएल ने वायुसेना के लिए 200 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और 500 ध्रुव हेलीकॉप्टर का निर्माण किया है.ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होने के बावजूद, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इस साल (2024-25) में रिकॉर्ड राजस्व हासिल किया है. इस साल एचएएल का रेवेन्यू 30,381 करोड़ है. ये राजस्व ऐसे समय में हासिल हुआ है जब एचएएल ने एलसीए फाइटर जेट और एएलएच हेलीकॉप्टर की डिलीवरी वक्त रहते नहीं की है.
एचएएल को 62 हजार करोड़ का ‘प्रचंड’ ऑर्डर, 12 सुखोई फाइटर जेट और 240 इंजन का भी मिला ऑर्डर
एचएएल को रक्षा मंत्रालय से हाल के सालों का सबसे बड़ा ऑर्डर मिला है. ये लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड का है. रक्षा मंत्रालय ने 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर का करार एचएएल से किया है. इस करार की कुल कीमत 62,700 करोड़ है. रक्षा मंत्रालय का किसी भी स्वदेशी कंपनी से ये अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है. यहां तक की फ्रांस से लिए 36 राफेल (रफाल) फाइटर जेट का सौदा भी 59 हजार करोड़ में हुआ था. इसके अलावा एचएएल को इस साल 12 सुखोई फाइटर जेट का ऑर्डर मिला है. साथ ही सुखोई के 240 एविएशन इंजन का ऑर्डर भी मिला है. 40 डोरनियर एयरक्राफ्ट के अपग्रेड की जिम्मेदारी भी एचएएल को मिली है. इसी साल एचएएल को ‘महारत्न’ का दर्जा मिला है. एचएएल, देश का पहला डिफेंस पीएसयू है जिसे महारत्न का दर्जा मिला है.