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डिफेंस टेक्नोलॉजी में चीन से पिछड़ी IAF

भारतीय वायुसेना भले ही टेक्नोलॉजी और हथियारों के निर्माण में ‘पिछड़’ रही है बावजूद इसके चीन की एयर-पावर से मुकाबला करने में सक्षम है. ये कहना है देश के नव-नियुक्त एयर फोर्स चीफ ए पी सिंह का.

स्वदेशी फाइटर जेट एलसीए तेजस के मार्क-1ए वर्जन की सप्लाई में हो रही देरी पर चिंता जताते हुए एयर चीफ मार्शल ने ये जरूर दावा किया कि वायुसेना ने चीन की क्षमताओं का ‘आंकलन’ कर रखा है. ऐसे में भारतीय वायुसेना, चीन पर भारी पड़ सकती है.

वायुसेना दिवस (8 अक्टूबर) से पहले राजधानी दिल्ली में सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा कि हम (भारतीय वायुसेना) जितने देशों की वायु सेनाओं के साथ साझा युद्धाभ्यास करती है और जितना चीन की वायुसेना करती है, उससे हमें पूरा ‘विश्वास’ है कि हम चीन से टक्कर ले सकते हैं. (भारत कर चुका है इजरायल जैसा ऑपरेशन)

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति पहले की तरह ही बनी है–यानी नो पीस, नो वॉर. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि एलएसी के दूसरी तरफ चीन में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काफी तेजी से चल रहा है. लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि हमारी तरफ भी एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) और दूसरे एयर बेस को काफी मजबूत बनाया जा रहा है. 

वर्ष 2047 तक वायुसेना के विजन को साझा करते हुए चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) ने कहा कि सभी तरह के फाइटर एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर मेक इन इंडिया होने चाहिए. एपी सिंह ने कहा कि अगर सभी तरह के एयरक्राफ्ट अगर देश में ही डेवलप न भी हो सके तो उनका निर्माण जरुर भारत में ही होना चाहिए. 

स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस के मार्क-1ए वर्जन में एविएशन इंजन की सप्लाई के चलते हो रही देरी पर बोलते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अगर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) निर्माण में तेजी कर दे तो इस भरपाई की जा सकेगी.

दरअसल, अमेरिका से मार्क-1ए वर्जन में लगने वाले एफ-404 इंजन की सप्लाई में देरी हो रही है. इसके चलते एचएएल से सप्लाई में देरी हो रही है. हालांकि, एचएएल ने दावा किया है कि अगर एफ-404 इंजन की सप्लाई सुचारु हो जाती है तो हर साल 24 एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जाएगा.

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि फिलहाल वायुसेना के पास मात्र 38 एलसीए मार्क-1 हैं. 83 मार्क-1ए की सप्लाई का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है. इसके अलावा 97 अतिरिक्त मार्क-1ए के ऑर्डर की भी तैयारी है. 

लेकिन वायुसेना प्रमुख ने साफ तौर से कहा कि सैन्य तकनीक के मामले में भारत, चीन से ‘पिछड़’ रहा है. ए पी सिंह ने साफ तौर से कहा कि सैन्य निर्माण में तो हम (भारत), चीन से ‘काफी पिछड़’ रहे हैं. 

एयर फोर्स चीफ ने कहा कि वायुसेना की स्क्वाड्रन 30 से नीचे नहीं जानी चाहिए.

एपी सिंह ने ये जरुर बताया कि वायुसेना 06 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम (एइडब्लूइएस यानी अवैक्स) लेने जा रही है जिसके लिए डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) एम्ब्रेयर एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करेगा. इसके अलावा डीआरडीओ एयरबस कंपनी से भी ए-321 एयरक्राफ्ट खरीदने की तैयारी कर रही है ताकि उन्हें भी आई एन द स्काई के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. 

वायुसेना प्रमुख ने ये भी जानकारी दी कि मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (एमटीए) की आरएफआई (रिक्वेस्ट फॉर इनफार्मेशन) जारी कर दी गई है ताकि पुराने पड़े चुके एएन-32 और आईएल-76 विमानों को रिप्लेस किया जा सके. 

चीफ ऑफ एयर स्टाफ ने मीडियम रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) से जुड़ी टेंडर प्रक्रिया के बारे में जानकारी साझा की.