भारत और फ्रांस के बीच रफाल (राफेल) फाइटर जेट के 26 मरीन वर्जन का सौदा इसी महीने के अंत में होने वाला है. फरवरी महीने में पीएम नरेंद्र मोदी और इमैनुएल मैक्रों की पेरिस में मुलाकात के बाद 28 अप्रैल को फ्रांस के रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू भारत के दौरे पर आ रहे हैं. इस दौरान रफाल एम के 63 हजार करोड़ के सौदे पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.
इसी महीने की 9 तारीख को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने रफाल (एम) लड़ाकू विमानों खरीदने को हरी झंडी दी थी.
रफाल एम के भारत आने की तारीख तय, और सशक्त बनेगी नौसेना
रफाल एम को फ्रांस की कंपनी दासो ने बनाया है. बेहद ही घातक फाइटर जेट हैं. भारत-फ्रांस के बीच हुई डील के तहत 22 सिंगल सीटर और 4 टू सीटर रफाल मरीन खरीदे जाएंगे, ये रफाल (एम) ‘इंटरगर्वमेंटल डील’ (आईजीआई) यानी दोनों देशों की सरकार के बीच सीधे समझौते के तहत ही खरीदे जाएंगे. मरम्मत, लॉजिस्टिक सपोर्ट, ट्रेनिंग आदि की सुविधा फ्रांस मुहैया कराएगा. इन मरीन फाइटर्स को आईएनएस विक्रांत पर मिग-29के फ्लीट के साथ तैनात किया जाएगा.
नौसेना के लिए राफेल एम बनेगा गेमचेंजर
साल 2023 में के जुलाई के महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित ‘बेस्टिल-डे परेड’ में हिस्सा लेने गए थे, तब रक्षा मंत्रालय ने इन 26 रफाल (एम) और फ्रांस से ही तीन (03) स्कॉर्पिन क्लास सबमरीन खरीदने की मंजूरी दी थी. इसके बाद अक्टूबर के महीने में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस को इन फाइटर जेट को खरीदने के लिए लेटर फॉर रिक्वेस्ट भेजा था, जो टेंडर प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है. इसी के जवाब में दिसंबर (2023 में) फ्रांस ने अपना लेटर ऑफ एक्सप्टेंस (एलओए) रक्षा मंत्रालय को भेजा. नौसेना के लिए जो 26 रफाल (एम) खरीदे जाएंगे, उनमें 22 सिंगल सिटर फाइटर जेट होंगे और चार ट्विन-सीटर यानि ट्रेनिंग के लिए होंगे.
भारतीय नौसेना के पास मेरीटाइम कॉम्बेट के लिए फिलहाल रुस के 45 मिग-29 के लड़ाकू विमान हैं. लेकिन ये अब पुराने पड़ते जा रहे हैं. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर एलसीए-तेजस का मेरीटाइम वर्जन तैयार किया है जिसके एलसीए (नेवल) के नाम से जाना जाता है. लेकिन सिंगल इंजन होने के कारण नौसेना इस फाइटर जेट को एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात करने में हिचकिचा रही है. ऐसे में एचएएल ने ‘डेक बेस्ड ट्विन इंजन फाइटर जेट’ (टीईडीबीएफ यानी टेडबेफ) पर काम करना शुरु कर दिया है.
टेडबेफ का प्रोटो वर्जन 2026 तक आने की उम्मीद है और इसका प्रोडक्शन 2030 से शुरु हो जाएगा. 2040 तक 45 टेडबेफ नौसेना को मिल सकते हैं. यही वजह है कि इस गैप को भरने के लिए 26 रफाल (एम) की जरूरत है.
आईएनए विक्रांत पर तैनात होंगे रफाल एम
भारतीय नौसेना का स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत, ‘आईएनएस विक्रांत’ बनकर है. सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में कोच्चि (केरल) में आईएनएस विक्रांत को नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल कर लिया गया था. लेकिन उस पर तैनात करने के लिए भारत के पास फिलहाल कोई मेरीटाइम फाइटर जेट नहीं था. ऐसे में कमीशनिंग समारोह में नौसेना के दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर, ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ पर तैनात होने वाले फाइटर जेट, मिग-29के को विक्रांत पर तैनात किया गया था.
भारतीय नौसेना के पास मेरीटाइम कॉम्बेट के लिए फिलहाल रुस के 45 मिग-29के लड़ाकू विमान हैं. लेकिन ये अब पुराने पड़ते जा रहे हैं. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर एलसीए-तेजस का मेरीटाइम वर्जन तैयार किया है जिसके एलसीए (नेवल) के नाम से जाना जाता है.
आईएनएस विक्रांत के लिए भारतीय नौसेना ने शुरुआत में रफाल (एम) के साथ अमेरिकी (बोइंग कंपनी के) एफ/ए-18 सुपर होर्नेट को भी टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया था. हालांकि, दोनों ही मेरीटाइम फाइटर जेट की क्षमताएं लगभग बराबर थी. लेकिन बाद में नौसेना ने रफाल (एम) को इसलिए चुना क्योंकि भारतीय वायुसेना पहले से 36 रफाल लड़ाकू विमान इस्तेमाल कर रही है.