सीडीएस अनिल चौहान ने मध्यप्रदेश के महू में आयोजित रण संवाद में पाकिस्तान को दी है सीधी चेतावनी. सीडीएस चौहान ने कहा, भारत शांतिप्रिय है, लेकिन शांतिवादी नहीं, इसलिए कोई भी गलतफहमी में न रहे. अनिल चौहान ने कहा, हमने हमेशा एक ही सांस में शास्त्र और शस्त्र की बात की है. शस्त्र और शास्त्र एक ही तलवार के दो ब्लेड हैं.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली संगोष्ठी रण संवाद आयोजित की गई है. मंगलवार से शुरु हुए दो दिवसीय कार्यक्रम में सीडीएस के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,और तीनों सेनाओं के प्रमुख भाग ले रहे हैं.
शांति चाहते हैं तो युद्ध के लिए तैयार रहें: सीडीएस अनिल चौहान
सीडीेएस अनिल चौहान ने एमपी के आर्मी वॉर कॉलेज में ऑपरेशन सिंदूर पर आयोजित आयोजित प्रथम त्रि-सेवा संगोष्ठी, रण संवाद को संबोधित किया. इस दौरान सीडीएस ने पाकिस्तान को दो टूक कहा, कि “दुश्मन गलतफहमी में न रहे. ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए सीडीएस ने कहा, कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है, लेकिन वह शांतिवादी नहीं हो सकता. भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है. लेकिन इस गलतफहमी में न रहें, हम शांतिवादी नहीं हो सकते. मेरा मानना है कि शक्ति के बिना शांति एक काल्पनिक कल्पना है.”
सीडीएस ने एक लैटिन का उदाहरण देते हुए कहा, “ऐसा कहा गया है कि, यदि आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहें.”
हम शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र की भी बात करते हैं: सीडीएस चौहान
सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, “हमने हमेशा शस्त्र और शास्त्र की बात एक ही सांस में की है. ये दोनों एक ही तलवार के दो सिरे हैं. हम जानते हैं कि जीत के लिए सैन्य रणनीति और योद्धाओं का संयोजन जरूरी है और इसका सबसे बड़ा और बेहतरीन उदाहरण महाभारत और गीता हैं.”
सीडीएस ने कहा, “हम जानते हैं कि अर्जुन सबसे महान योद्धा थे, फिर भी उन्हें विजय की ओर ले जाने के लिए कृष्ण की आवश्यकता थी. इसी तरह, हमारे पास चंद्रगुप्त थे जिन्हें चाणक्य के ज्ञान की आवश्यकता थी. भारत गौतम बुद्ध, महावीर जैन और महात्मा गांधी की भूमि रहा है, जो सभी अहिंसा के पक्षधर थे.”
“विकसित भारत के तौर पर हमें शस्त्र, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनना होगा, न केवल तकनीक में बल्कि विचारों से भी. सैधांतिक और वैचारिक पहलुओं से युद्ध कैसे लड़ा जाता है, इसको लेकर हर वर्ग को जागरूक होने की आवश्यकता है.”
अब घोषित युद्ध खत्म, दुनिया में बल प्रयोग की प्रवृत्ति बढ़ी: सीडीएस
सीडीएस अनिल चौहान ने दुनिया में चल रहे संघर्षों के बारे में बात की. सीडीएस ने कहा, “दुनिया के देशों और सरकारों में बल पूर्वक राजनीतिक उद्येश्य पाने की लालसा बढ़ी है. अल्पकालिक संघर्षों से हासिल किया जा रहा है. दूसरा युद्ध और शांति के बीच अभाव है. हम पहले घोषित युद्धों के बारे में सुनते थे, लेकिन मौजूदा हालात में कोई घोषित युद्ध नहीं होते, इसलिए राष्ट्र रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना होगा.”
न्यूनतम लागत में तकनीक तौर पर आत्मनिर्भर बनना होगा: सीडीएस चौहान
सीडीएस अनिल चौहान ने इस दौरान मल्टी-डोमेन आईएसआई और डेटा विश्लेषण के महत्व पर जोर दिया. कहा कि “एआई (आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस), बिग डेटा और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसी तकनीकों का उपयोग करना आवश्यक होगा. भारत को न्यूनतम लागत पर यह सब हासिल करना होगा. मल्टी-डोमेन आईएसआर (इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनाइसेंस) को हमें जमीन, हवा, समुद्र, अंतरिक्ष और पानी के नीचे के सेंसर को एक साथ जोड़ना होगा. इससे हमें दुश्मन के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी. हमें बहुत सारे डेटा को रियल-टाइम में विश्लेषण करना होगा.”
महू में आयोजित चर्चा को लेकर सीडीएस ने कहा, “इसका उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करना नहीं है बल्कि ऑपरेशन सिंदूर से जो पाठ हमे पढ़ना था उसे क्रियान्वित किया जा रहा है. रण संवाद में हम ऑपरेशन सिंदूर के आगे क्या है, उस पर चर्चा कर रहे हैं यानी फ्यूचर वॉरफेयर कैसा होगा. क्योंकि निकट भविष्य की जंग बेहद खतरनाक होगी, उसमें हम मिलकर (थलसेना, वायुसेना और नौसेना मिलकर) ही जीत हासिल कर सकते हैं.”