सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर कब्जे की अमेरिकी धमकी को भारत, रूस, चीन समेत 11 देशों ने खारिज कर दिया है. 11 देशों ने एक ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी करके तालिबान सरकार के साथ बगराम एयरबेस को लेकर प्रतिबद्धता जताई. और अफगानिस्तान में किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप या मिलिट्री की तैनाती का विरोध किया है.
पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में बने बगराम एयरबेस को दोबारा हासिल करेंगे. ट्रंप ने खुलासा किया था कि जल्द ही अमेरिकी सैनिकों की दोबारा तैनाती को लेकर तैयारी की जा रही है.
बगराम एयरबेस पर अमेरिकी कब्जे की धमकी, 11 देशों ने की खारिज
काबुल के बेहद करीब बगराम एयरबेस अब तालिबान के साथ 11 और देश खड़े हो गए हैं. मॉस्को में आयोजित सम्मेलन से आई तस्वीर से अमेरिकी में खलबली मच गई है.
मॉस्को फॉर्मेट की सातवीं बैठक में जारी ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया कि अफगानिस्तान या उसके पड़ोसी देशों में किसी भी तरह का मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की कोशिश क्षेत्रीय शांति के खिलाफ है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
बैठक में भारत के अलावा रूस, चीन, ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शामिल हुए, जबकि बेलारूस को अतिथि देश के रूप में बुलाया गया था. पहली बार अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के नेतृत्व में अफगान प्रतिनिधिमंडल भी सदस्य देश के रूप में शामिल हुआ.
ट्रंप को मिला टका सा जवाब, देशों ने कहा, अफगानिस्तान में सैन्य ढांचे का तैनात करना अस्वीकार्य
बयान में सभी देशों ने “अफगानिस्तान को स्वतंत्र, एकजुट और शांतिपूर्ण राष्ट्र बनाने का समर्थन दोहराया. आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते बढ़ाने, निवेश सहयोग पर जोर दिया. अफगानिस्तान को स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, कृषि और आपदा प्रबंधन में मदद करने की बात कही, ताकि वो जल्द स्वावलंबी बने. मानवीय सहायता जारी रखने और उसके राजनीतिकरण का विरोध किया.
सभी देशों ने “आतंकवाद-रोधी सहयोग मजबूत करने की जरूरत बताई और अफगानिस्तान से अपील की कि वो आतंकवाद खत्म करे और अपनी जमीन का इस्तेमाल पड़ोसियों के खिलाफ न होने दे. अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में अपने सैन्य ढांचे को तैनात करने के देशों के प्रयासों को अस्वीकार्य बताया, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हितों की पूर्ति नहीं करता.”
ट्रंप ने बगराम एयरबेस पर की थी अमेरिका के नियंत्रण की बात
ट्रंप ने अपने ताजा बयान में कहा था कि, “वह अफगानिस्तान के बगराम एयर बेस पर अमेरिकी उपस्थिति को फिर से स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं क्योंकि चीन के न्यूक्लियर हथियार केंद्र बगराम बेस के बेहद करीब हैं.”
ट्रंप ने कहा, “चीन के परमाणु हथियार बनाने वाले इलाके से यह बेस सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है. इसलिए यह हमारे लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम है.हम इसे वापस चाहते हैं क्योंकि अफगान सरकार को हमारी जरूरत है.”
बाहरी सैन्य उपस्थिति हमें अस्वीकार है: अफगानिस्तान
ट्रंप के ताजा बयान पर तालिबान ने प्रतिक्रिया दी है. तालिबानी अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा कि “अफगानिस्तान ने कभी भी विदेशी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं की है. इसी वजह से ट्रंप के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं. अफगानिस्तान और अमेरिका को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है. अफगानों का इतिहास रहा है कि उन्होंने कभी भी बाहरी सैन्य उपस्थिति को बर्दाश्त नहीं किया है. दोहा वार्ता के दौरान ट्रंप के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया गया था. आगे भी इस पर कोई बात नहीं होगी. अन्य संबंधों के लिए बातचीत हो सकती है.”
बगराम एयरबेस पर अब तालिबान का है कब्जा
साल 2021 में अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी के बाद बगराम एयरबेस अमेरिका ने खाली कर दिया था.
आज से चार साल पहले जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के वापसी का ऐलान किया तो वहां अराजकता फैल गई थी. उस दौरान अफगान सरकार गिर गई थी, काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी मच गई थी और एक आत्मघाती हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 लोग भी मारे गए थे.
अफगानिस्तान से वापसी के बाद यह एयर बेस तालिबान के हाथों में चला गया था. तब से बगराम बेस पर तालिबान का कब्जा है.
बगराम एयरबेस के बारे में जानिए
बगराम एयरफील्ड अफगानिस्तान के परवान प्रांत में है. रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण एयरबेस है. बगराम एयरबेस, अफगानिस्तान के चारिकर शहर से लगभग 11 किलोमीटर और काबुल से 47 किलोमीटर दूर है. इस एयरफील्ड में 11,800 फुट का रनवे है जो बमवर्षक और बड़े मालवाहक विमानों की सेवा करने में सक्षम है. इसे दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक माना जाता है. दुनिया के सबसे मजबूत और सबसे लंबे रनवे में से एक है.