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किम जोंग के देश से नजदीकी, भारत ने खोली एम्बेसी

दक्षिण कोरिया में आए राजनीतिक भूचाल के बाद भारत ने पड़ोसी देश उत्तर कोरिया से नजदीकियां बढ़ानी शुरु कर दी है. ठीक, सुना आपने, उत्तर कोरिया. सनकी तानाशाह किम जोंग उन के देश से. खबर है कि उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में अपनी एम्बेसी खोली है.

करीब चाल साल बाद भारतीय दूतावास कोफिर से उत्तर कोरिया में खोला गया है. करीब 15 दिन पहले भारत ने प्योंगयोंग में दूतावास को दोबारा खोले जाने का फैसला किया था.

दूतावास के लिए एक टेक्निकल और डिप्लोमैटिक टीम को प्योंगयोंग के लिए रवाना किया गया है. हालांकि इस बात को सीक्रेट रखा गया है कि राजनयिक उत्तर कोरिया कब पहुंचे या उन्होंने वहां कैसे यात्रा की. अभी राजदूत की नियुक्ति भी नहीं की गई है पर प्योंगयोंग में भारतीय दूतावास के कुछ कर्मचारियों ने काम करना शुरु कर दिया है.

कोरोना महामारी के चलते, वर्ष 2021 में भारत ने प्योंगयांग में अपने दूतावास को बंद कर दिया था.

रूस के साथ नॉर्थ कोरिया की करीबी और दक्षिण कोरिया में मची सियासी उथलपुथल के बीच भारत ने एक बार फिर से नॉर्थ कोरिया से दोबारा संबंध मजबूत करने पर जोर दिया है. भारत के सामने दोबारा दूतावास खोलना कम चुनौती नहीं है, क्योंकि नॉर्थ कोरिया दुनियाभर में अपनी जासूसी के लिए बदनाम है. ऐसे में भारत को दूतावास को ‘डीबग’ करना होगा. आसानी भाषा में समझें तो इसकी जांच करनी होगी कि कहीं दूतावास में जासूसी उपकरण तो नहीं लगाए गए हैं.

बताया जा रहा है कि दूतावास को पूरी तरह से संचालित करने के लिए कुछ दिनों का और वक्त लगेगा, क्योंकि अभी बिना किसी राजदूत की नियुक्ति के प्योंगयोंग में काम किया जा रहा है. रिपोर्ट है कि विदेश मंत्रालय जल्द ही राजदूत के नाम का ऐलान कर सकता है. (दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ, राष्ट्रपति ने दिखाया उत्तर कोरिया का डर)

उत्तर कोरिया की ओर भारत के झुकाव की ये है कूटनीतिक वजह

भारत अपनी तटस्थ कूटनीति के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. तटस्थ मतलब दो अलग-अलग दुश्मन देशों के बावजूद भारत की उन दोनों देशों से अच्छी दोस्ती होगी. उदाहरण के तौर पर रूस-यूक्रेन, इजरायल-फिलीस्तीन, ईरान-इजरायल के साथ भारत के रिश्तों को देखा जा सकता है.

ऐसे में उत्तर कोरिया के साथ भी अब भारत ने संबंध बनाने शुरु कर दिए हैं. हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है. प्योंगयोंग में पहले भी भारतीय दूतावास था.

प्योंगयांग से करीबी संबंध इसलिए भी अहम हैं क्योंकि पिछले कुछ सालों में उत्तर कोरिया का दुनिया में वर्चस्व बढ़ा है. नॉर्थ कोरिया ने न्यूक्लियर हथियार और हाइपरसोनिक मिसाइल में महारत हासिल कर ली है, ऐसे में भारत का प्योंगयोंग में रहना जरूरी है.

वहीं एक वजह ये भी है कि तानाशाह किम जोंग उन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच घनिष्ठ मित्रता है. पुतिन और पीएम मोदी के बीच भी अच्छी दोस्ती है, ऐसे में उत्तर कोरिया और भारत के बीच भी न्यूट्रल संबंध बनना जरूरी हो जाता है. इसके अलावा साउथ कोरिया में भी राजनीतिक उथलपुथल है, जिस पर भी भारत को नजर रखना जरूरी है. 

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के एक बार फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुना भी एक कारण है. ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में कोरियाई प्रायद्वीप में शांति बहाली के लिए किम जोंग से खुद डीएमजेड यानी डी-मिलिट्राइज जोन में जाकर मुलाकात करी थी.

इसके अलावा हिंद महासागर में चीन की विस्तारवाद नीति के चलते अमेरिका, भारत, जापान. ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर क्वाड का गठन किया है. क्वाड के जवाब में रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया का भी गठजोड़ है.

रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया पर गौर किया जाए तो रूस और ईरान के साथ भारत के संबंध मजबूत हैं. वहीं चीन और भारत के रुख में भी रूस के चलते थोड़ी नरमी आई है. ऐसे में सिर्फ एक उत्तर कोरिया वो देश है, जिससे भारत को अपने कूटनीतिक संबंध मजबूत करने हैं. 

यूएन की रोक के बाद भारत के साथ संबंध हुए थे प्रभावित

पिछले कुछ वर्षों में भारत-नॉर्थ कोरिया के बीच रिश्तों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. खास तौर पर तब जब भारत ने साल 2017 में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के अनुसार नॉर्थ कोरिया के साथ आर्थिक आदान-प्रदान बंद कर दिया, जिसके बाद प्योंगयांग को अपना तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार खोना पड़ा था. अब उत्तर कोरिया में भारतीय दूतावास में दोबारा काम शुरु करने के बाद संबंधों में सुधार होगा. 

भारत ने दी है उत्तर कोरियाई सैनिकों को ट्रेनिंग

वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगने से पहले भारतीय सेना, उत्तर कोरिया के सैनिकों को इंग्लिश की ट्रेनिंग देती थी. पचमढ़ी स्थित आर्मी एजुकेशन कोर (एईसी) के सेंटर में कोरियाई सैनिक अंग्रेजी सीखने आते थे. लेकिन संसद में एक बार इस बात का खुलासा होने के बंद ये ट्रेनिंग बंद कर दी गई थी.

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