म्यांमार में बिगड़ते हालात के बीच भारत ने 77 गैर-कानूनी शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेज दिया है. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने खुद ये जानकारी देते हुए कहा है कि गैर-कानूनी तरीके से भारत में रह रहे म्यांमार के नागरिकों की पहचान कर वापस भेजा जा रहा है. गौरतलब है कि इन दिनों भारत से सटे म्यांमार के रखाइन प्रांत में जबरदस्त हिंसा और अस्थिरता का माहौल है जिसके कारण म्यांमार के लोग और सुरक्षाकर्मी तक भारत भाग आए हैं.
भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में जुंटा (मिलिट्री रूल) और विद्रोही संगठन अराकान-आर्मी में जबरदस्त जंग छिड़ गई है. म्यांमार के रखाइन प्रांत के बुथिदौंग शहर में जुंटा सेना और विद्रोहियों में लड़ाई के चलते 1500 से ज्यादा हिंदू फंस गए हैं. विद्रोहियों ने बुथिदौंग शहर के बाहर जाने वाली सड़क पर कब्जा कर लिया है, जिसके बाद 1500 से ज्यादा हिंदुओं और 20 रखाइन निवासियों को इलाके से बाहर जाने से रोक दिया गया है.
म्यामांर में धर्म और जाति के नाम पर लोगों को टारगेट किया जा रहा है. स्थिति बेहद खराब है. ये स्थिति इसलिए भी बिगड़ी है क्योंकि म्यामांर की सेना पर पिछले दिनों रोहिंग्या समुदाय के लोगों को जबरन सेना में भर्ती करने और जंग में भेजने का आरोप लगा था. म्यांमार की सेना पर आरोप है कि वो रोहिंग्याओं को ट्रेनिंग देकर विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई करने के लिए भेज रही है.
म्यांमार की सेना ने हालांकि विद्रोहियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है. कुछ इलाकों में विद्रोहियों को सेना ने खदेड़ दिया है. म्यांमार के पश्चिमी हिस्से में मौजूद थांडवे शहर में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के पास लड़ाई तेज हो गई है. इसके अलावा खबरें ऐसी भी आई हैं कि आर्मी ने दवाओं की दुकानें बंद करवा दी हैं. साथ ही कड़ी चेकिंग के चलते गांवों में फंसे लोगों तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच रही हैं.
म्यांमार में सत्ता पर सेना के कब्जा करने के बाद से देश में हिंसक विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. म्यांमार के हालात पर भारत की भी नजर है. पिछले महीने (अप्रैल) में भारत ने सिटवे दूतावास से सभी कर्मचारियों को यांगून में शिफ्ट कर दिया है. हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक सुरक्षा सम्मेलन में म्यांमार के समकक्ष से दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर खास बातचीत की थी.
म्यांमार में अस्थिरता भारत के लिए भी चिंता का विषय है. क्योंकि सटे हुए मणिपुर में पिछले छह महीने से हिंसा और तनाव जारी है. ऐसे में म्यांमार से गैर-कानूनी तरीके से आए शरणार्थी समस्या को अधिक गंभीर बना सकते हैं (https://x.com/NBirenSingh/status/1785972790929088630).
म्यांमार में सेना द्वारा फरवरी 2021 में सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद तनाव है. बौद्ध बाहुल्य देश म्यांमार में रखाइन सबसे गरीब क्षेत्र है और यहां अधिकतर रोहिंग्या आबादी रहती है. इनमें अधिकतर लोग मुसलमान हैं और उन्हें म्यांमार की नागरिकता हासिल नहीं है.
गौरतलब है कि इसी साल जनवरी के महीने में चीन ने जुंटा और अराकान आर्मी के बीच समझौता कराने की कोशिश की थी लेकिन उसमें सफलता हासिल नहीं हुई. म्यांमार के खराब हालात चीन के लिए भी चिंता का बड़ा कारण है. क्योंकि चीन से सटे म्यांमार के कचिन प्रांत में भी विद्रोहियों ने एक बड़े हिस्सा पर कब्जा कर लिया है. ऐसे में चीन की बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट पर भी खतरा मंडराने लगा है. कचिन विद्रोहियों (आर्मी) पर लगाम लगाने के लिए पिछले महीने चीन ने म्यांमार सीमा से सटे इलाकों में एक बड़ी मिलिट्री एक्सरसाइज की थी. कचिन और रखाइन प्रांत में हिंसा और अस्थिरता पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) तक चिंता जता चुका है.