Breaking News Defence TFA Exclusive Weapons

भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल जल्द होगी रॉकेट फोर्स का हिस्सा

जल्द ही भारत भी रूस और अमेरिका की तरह हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार करने जा रहा है. अभी ये हाइपरसोनिक मिसाइल आरएंडडी यानि रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्टेज पर है लेकिन जल्द भारतीय सेना के तोपखाने का हिस्सा बनने जा रही है. खास बात ये है कि ये ब्रह्मोस से अलग हाइपरसोनिक मिसाइल है.

भारतीय सेना के डीजी आर्टिलरी (महानिदेशक) लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने इस बात का खुलासा किया है कि ये हाइपरसोनिक मिसाइल तोपखाने का हिस्सा होगी. ले.जनरल अदोष कुमार के मुताबिक, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) इस हाइपरसोनिक मिसाइल को बनाने में जुटा है.

बेहद संवेदनशील प्रोग्राम से जुड़ा मामला होने के चलते हालांकि, डीजी आर्टिलरी ने इस हाइपरसोनिक मिसाइल के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की हैं. लेकिन ले. जनरल अदोष कुमार ने ये जरूर कहा कि ये हाइपरसोनिक मिसाइल, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस से अलग है.

भारत, दरअसल, ब्रह्मोस मिसाइल के भी एक हाइपरसोनिक वर्जन को तैयार करने में जुटा है. ऐसे में अगर ये प्रोजेक्ट भी सफल हो जाता है तो भारत के पास दो तरह की हाइपरसोनिक मिसाइल हो जाएंगी. एक जो किसी व्हीकल से लॉन्च की जाएगी और जिसे भारतीय सेना की आर्टिलरी इस्तेमाल करेगी. दूसरी होगी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस-2’ जिसे स्क्रैमजेट इंजन से पावर किया जाएगा. हालांकि, ब्रह्मोस मिसाइल भी सेना के तोपखाने का ही हिस्सा है.

वर्ष 2020 में डीआरडीओ ने ‘हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल’ (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण किया था. इस एचएसटीडीवी को ओडिसा के अब्दुल कलाम आइलैंड (बालासोर) में टेस्ट किया गया था. इस व्हीकल के जरिए मिसाइल को हाइपरसोनिक स्पीड से लॉन्च किया जा सकता है. डीआरडीओ ने अपने इस प्रोजेक्ट को ‘विष्णु’ नाम दिया है. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1302893034623741956?s=46)

हाल ही में यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायल के तेल अवीव पर एक हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला करने का दावा किया था. इजरायल का आयरन डोम तक इससे डिटेक्ट और इंटरसेप्ट करने में नाकाम रहा था. क्योंकि हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार आवाज की स्पीड (मैक) से पांच गुना अधिक होती है. साथ ही ये बेहद ही नीचे उड़ान भरती है जिसके कारण ये रडार की जद में नहीं आ पाती है.

यूक्रेन युद्ध में रूस ने भी ‘किंझल’ हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है जिसे मिग-31 फाइटर जेट से लॉन्च किया जाता है.

वर्ष 2021 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को हाइपरसोनिक मिसाइल पर तेजी से काम करने का आह्वान किया था. अब तीन साल बाद जाकर ऐसा लगता है कि भारत भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने वाले देशों की श्रेणी में आ सकता है.

28 सितंबर यानी शनिवार को भारतीय सेना का तोपखाना अपना 198 वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. कारगिल युद्ध (1999) के दौरान भारत के तोपखाने ने जंग का रुख बदल दिया था. हाल के रूस-यूक्रेन युद्ध में तोपखाने का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया है. माना जाता है कि रूस एक दिन में यूक्रेन पर 10-15 हजार तोप और रॉकेट के गोले दागता है. यूक्रेन भी रूस पर 4-5 हजार गोले दागता है.

आर्टिलरी-डे से पहले राजधानी दिल्ली में मीडिया को (ऑफ कैमरा) संबोधित करते हुए ले.जनरल अदोष कुमार ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में तोपखाने की अहम भूमिका को देखते हुए भारतीय सेना भी अपने तोपखाने को मजबूती प्रदान करने में जुटी है.

भारतीय सेना के तोपखाने में फिलहाल बोफोर्स तोप के अलावा स्वदेशी धनुष, कोरियाई के-9 वज्र और सारंग गन शामिल हैं. इसके अलावा अमेरिका से ली एम-777 लाइट होवित्जर गन भी हैं जिन्हें खासतौर से चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के उन इलाकों में तैनात किया गया है जहां सड़क के माध्यम से पहुंचना मुश्किल होता है.

भारतीय तोपखाने की ताकत पिनाका रॉकेट सिस्टम भी है जिसकी रेंज को हाल के सालों में काफी बढ़ाया गया है. प्रेसेशियन म्युनिशन के साथ अब इसकी घातक क्षमता काफी बढ़ गई है. साथ ही ब्रह्मोस मिसाइल के लैंड वर्जन को भी तोपखाना ही संचालित करता है.

इसके अलावा डीआरडीओ द्वारा तैयार की जा रही लंबी दूरी की सबसोनिक क्रूज मिसाइल निर्भय और कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय भी जल्द तोपखाने में शामिल हो सकती हैं.

ऐसे में ब्रह्मोस, पिनाका, निर्भय, प्रलय और हाइपरसोनिक मिसाइल (अंडर डेवलपमेंट), भारतीय तोपखाने में एक रॉकेट फोर्स की तरह दुश्मन के पसीने छुड़ाने के लिए तैयार है.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *