एलएसी पर डिसएंगेजमेंट के बाद भारतीय सेना के सामने अब चीनी सेना की गतिविधियों पर निगरानी रखना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए अनमैन्ड सर्विलांस कॉप्टर (यूएवी) के लिए आरएफआई जारी की है.
आरएफआई यानी रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन के जरिए रक्षा मंत्रालय ने कंपनियों से जानकारी मांगी है. भारतीय सेना को ऐसे यूएवी की जरूरत है जो चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 4500 मीटर की ऊंचाई पर ऑपरेट कर सकते हैं.
भारतीय सेना के मुताबिक, ये ड्रोन जमीन, रेगिस्तान और ऊंचाई वाले इलाकों पर ऑपरेट करने के लिए जरूरी है. इन ड्रोन में ऐसे ऑप्टिकल कैमरा लगे हो जो फोटो और वीडियो दोनों के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हों. साथ ही दिन-रात और हर तरह के मौसम में काम कर सकते हो.
दरअसल, डिसएंगेजमेंट के बाद एलएसी से दोनों देशों की सेनाएं पीछे तो हट गई हैं लेकिन पैट्रोलिंग शुरु हो गई है. ऐसे में चीन की पैट्रोलिंग पर नजर रखने के लिए भारतीय सेना को बड़ी संख्या में सर्विलांस कॉप्टर की जरूरत है.
इस बीच खबर है कि चीनी सेना ने डेप्सांग प्लेन में पैट्रोलिंग शुरू कर दी है. भारतीय सेना ने पिछले हफ्ते ही डेप्सांग और डेमचोक में अपनी पैट्रोलिंग शुरू कर दी थी.
वर्ष 2022 में भी भारतीय सेना ने इसी तरह के 1000 सर्विलांस कॉप्टर्स के लिए टेंडर जारी किया था. उस दौरान फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत इमरजेंसी में बाय (इंडियन) के जरिए ये खरीदे जाने थे.
एलएसी पर पैट्रोलिंग के लिए सेना ने सर्विलांस कॉप्टर के साथ ही ऑल टेरेन व्हीकल (एटीवी) के लिए भी टेंडर जारी किया है.
इस बीच डिसएंगेजमेंट समझौता होने के साथ ही सोशल मीडिया पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के पुराने वीडियो की बाढ़ आ गई है. ये वीडियो हालांकि, अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी के दिखाई पड़ते हैं. भारतीय सेना ने इन वीडियो को लेकर कोई टिप्पणी अभी तक नहीं की है.
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