July 7, 2024
XYZ 123, Noida Sector 63, UP-201301
Alert Breaking News Classified Reports

कंबोडिया में ‘जामताड़ा’, Cyber slavery में फंसे भारतीय

‘साइबर स्लेवरी’ सुनने में तो अजीब लगेगा पर कंबोडिया से भारत लाए गए 250 भारतीयों ने जो खुलासा किया है वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है. नौकरी के बहाने विदेश में अच्छी कमाई की झांसा और फिर ट्रेनिंग के बाद भारतीयों को एक जालसाजी के ऐसे गहरे कुएं में धकेल दिया जाता था, जहां से उनका निकलना बेहद मुश्किल था. पर जैसे ही भारत सरकार को कंबोडिया में जबरन लोगों को साइबर क्राइम कराने की खबर मिली तो भारतीयों को साइबर ठग वाले गैंग से वापस लाने की कवायद शुरु की गई.

‘साइबर स्लेवरी’ में फंसे हैं भारतीय
विदेश मंत्रालय की तमाम कोशिशों के बाद कंबोडिया में एक बड़े स्कैम में फंसे 250 से ज्यादा भारतीयों को भारत लाया गया है. सभी को नौकरी का झांसा देकर विदेश ले जाया गया था, मगर वहां गंभीर स्कैम में फंसा दिया गया. माना जा रहा है कि अब भी बड़ी तादाद में भारतीय नागरिक कंबोडिया में फंसे हुए हैं, जिनसे साइबर क्राइम करवाया जा रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक, विदेश मंत्रालय उन सभी भारतीय नागरिकों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो मंत्रालय का समर्थन चाहते हैं. धोखाधड़ी करने वाले और भारतीयों को फ्रॉड में फंसाने वाले जिम्मेदार लोगों पर नकेल कसने के लिए भारत में एजेंसियों के साथ काम कर रही हैं.

कहीं आपके पास तो नहीं आया ऐसा कॉल ?
जांच एजेंसियों के मुताबिक, कंबोडिया में जालसाजों के शिकार ज्यादातर एजेंट दक्षिणी राज्यों से हैं. उन लोगों को डेटा एंट्री नौकरियों के बहाने पहले कंबोडिया भेजा गया और अब उन्हें साइबर फ्रॉड कराया जा रहा है. कंबोडिया पहुंचते ही लोगों से पासपोर्ट छीन लिया जाता है, दिन के 12-12 घंटे काम करवाया जाता है. अगर कोई काम से मना कर दे, तो पीटा जाता था, टॉर्चर किया जाता है. कई-कई दिनों तक लोगों को बंद कमरे में रखा जाता था, तब तक जबतक वो लोग साइबर क्राइम करने के लिए मान नहीं जाते थे. कंबोडिया में फंसे लोगों को वहीं से कॉल करके भारतीयों को धोखा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है और उनसे ठगी कराई जा रही है. गैंग के लोग कंबोडिया से कॉल करके किसी को कभी कोई कानूनी अधिकारी बनकर चंगुल में फंसाते हैं, कभी ये कहकर कि ‘पार्सल में कुछ संदिग्ध मिला है, बचना चाहते हो तो पैसे भेज दो’ कहकर ठगी करते थे. माना जा रहा है कि गैंग ने करीब 6 महीने में 500 करोड़ की ठगी की थी.

कंबोडियाई गैंग का कैसे हुआ खुलासा ?

करीब 4 महीने पहले, 30 दिसंबर (2023) को ओडिशा में राउरकेला पुलिस ने एक साइबर-क्राइम गैंग का भंडाफोड़ किया था. देश के अलग-अलग हिस्सों से आठ लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. गिरफ्तार लोग ‘फेक स्टॉक ट्रेडिंग ऐप’ के जरिए ठगी कर रहे थे. जिन लोगों की गिरफ्तारी की गई, वो लोग कंबोडिया से भारत लौटे थे और भारत आकर बड़े स्तर पर साइबर फ्रॉड का एक गैंग ऑपरेट करना शुरु कर दिया. आठ की गिरफ्तारी के बाद 16 लोगों के खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर जारी किया गया. इसके बाद हैदराबाद हवाई अड्डे पर दो लोगों को हिरासत में लिया गया, जो कंबोडिया से लौट रहे थे. सूत्रों के मुताबिक, इस गैंग ने केन्द्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी से करीब 70 लाख रुपये की ठगी की थी. वरिष्ठ अधिकारी की शिकायत के बाद साइबर विंग एक्शन में आई और जांच में पता चला कि एक बड़ी संख्या में भारतीयों को कंबोडिया में ले जाकर एक बड़े जाल में फंसाया गया है. साइबर गैंग को लेकर गृह मंत्रालय के साइबर विंग ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक हाई लेवल बैठक भी की है. जिसके बाद कंबोडिया से भारतीयों को वापस लाने की कवायद शुरु की गई. इस बीच कंबोडिया में फंसे लोगों ने भी अपने परिवार से संपर्क करके आपबीती सुनाई कि किस तरह से वहां टॉर्चर किया जा रहा है.

‘जामताड़ा’ साइबर क्राइम का हॉटस्पॉट, नोएडा में कंबोडियाई गैंग
झारखंड और बंगाल बॉर्डर पर बसा जामताड़ा जिला पिछले 5 सालों से साइबर फ्रॉड का हॉटस्पॉट बना हुआ है. स्कूली बच्चे भी साइबर क्राइम का गुर सीखकर 50-50 लाख की ठगी कर रहे हैं. पुलिस लगातार साइबर ठगी पर एक्शन ले रही है. तो नोएडा में भी इसी साल मार्च महीने के शुरुआत में 100 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी करने वालों पर शिकंजा कसा था. चाइनीज साइबर क्रिमिनल, कंबोडिया में बैठकर भारत के लोगों के साथ साइबर फ्रॉड कर रहे थे. नोएडा पुलिस ने चीनी सरगना को नेपाली सहयोगी के साथ गिरफ्तार किया था. नोएडा पुलिस के मुताबिक, साइबर फ्रॉड गैंग का सेंटर कंबोडिया में था और वहीं से बैठकर भारत के लोगों से सोशल मीडिया पर संपर्क कर करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया जा रहा था. साइबर गैंग भारतीय नागरिकों और कंपनियों का डाटा लेकर कंबोडिया भेज देता था और इस डाटा पर सिम एक्टिवेट कर लेते थे. इसके बाद व्हाट्सएप ग्रुप और टेलीग्राम ग्रुप बनाकर भारतीय लोगों को उसमे जोड़ते थे और शेयर बाजार में निवेश करने, वर्क फ्रॉम होम, विदेशों में नौकरी से लेकर कई तरह के ऑफर देकर ग्रुप में जोड़ते और लाखों रुपए की ठगी करते थे.

कंबोडिया से लौटे लोगों से जांच एजेंसियां बात कर रही हैं. वहीं जांच में पता चला है कि कंबोडियाई गैंग कंप्यूटर में एक्सपर्ट लोगों को नौकरी के बहाने बुलाते थे. बाद में उन्हें लोगों के फेसबुक प्रोफाइल को ढूंढने और ऐसे लोगों के पहचान के लिए लगाया जाता था जिन्हें आसानी से ठगा जा सकता था. इस गैंग के साथ कुछ चाइनीज और मलेशियाई लोगों के भी शामिल होने का शक है. साइबर फ्रॉड करने वालों में मलेशिया, चीन, वियतनाम, म्यांमार के लोग शामिल हैं. जांच एजेंसियों के मुताबिक, साइबर विंग को पता चला है कि धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों के मालिक हमेशा चीनी नागरिक ही निकले हैं. इस गैंग के खुलासे के बाद ये बहस फिर छिड़ गई है कि सोशल मीडिया पर दी जाने वाली लोगों की जानकारियां और फोटो कितने सुरक्षित हैं ?

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave feedback about this

  • Rating