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गणतंत्र दिवस पर आत्मनिर्भर भारत की ताकत, कर्तव्य पथ पर प्रलय पिनाका और नंदीघोष

76 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर रक्षा क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर बनने की झलक दिखाई पड़ी. साथ ही मित्र-देशों के लिए मेक फॉर द वर्ल्ड का भरोसा भी दिखाई पड़ा. इस साल की परेड में टेक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय पहली बार दिखाई पड़े तो प्राइम स्ट्राइक वेपन ब्रह्मोस भी मौजूद थी.

खास बात ये रही कि इस साल इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि थे. हाल के दिनों में इंडोनेशिया ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है.

देश पर आने वाले हर खतरे से निपटने के लिए सेना को स्वदेशी हथियारों से लैस करने वाले डीआरडीओ की सबसे खतरनाक मिसाइल प्रलय पहली बार कर्तव्य पथ पर दिखाई देने दी. प्रलय, डीआरडीओ की सबसे नई बैलिस्टिक मिसाइल में से एक है जिसे थलसेना और वायुसेना के लिए तैयार किया गया है.

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की प्रलय मिसाइल के अलावा, ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम, नाग मिसाइल सिस्टम और शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम (10 मीटर) इस गणतंत्र दिवस परेड में शामिल रहे.

टी-90 भीष्म टैंक, नाग एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम, सारथ बीएमपी (इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल) भी परेड में दिखाई पड़े. (https://x.com/narendramodi/status/1883446686397374807)

डीआरडीओ का रक्षा-कवच

गणतंत्र दिवस परेड में डीआरडीओ की मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई ‘रक्षा कवच’ झांकी खास आकर्षण रहा. डीआरडीओ की झांकी का थीम था ‘रक्षा कवच – बहु-क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ बहु-स्तरीय संरक्षण’. 
झांकी में त्वरित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, एंटी ड्रोन सिस्टम, सैटेलाइट-आधारित निगरानी प्रणाली, मध्यम शक्ति रडार (अरुध्र), उन्नत हल्के वजन के टारपीडो, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली (धर्मशक्ति), लेजर-आधारित एनर्जी-वेपन, बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली, स्वदेशी मानव रहित हवाई प्रणाली दिखाई दिए.

स्पेशल मोबिलिटी व्हीकल भी रहे खास आकर्षण

लंबे समय तक भारतीय सेना जिप्सी या फिर मिलिट्री ट्रक की सवारी करती थी. लेकिन इनमें सुरक्षा के साथ-साथ मूवमेंट में भी लंबा समय लगता था. चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पैदल चलने से भी पैट्रोलिंग में एक लंबा वक्त लगता था. ऐसे में स्पेशिलिजाइड व्हीकल से ये दिक्कत काफी कम हो गई हैं. भारतीय सेना इस वक्त आधा-दर्जन से भी ज्यादा ऐसी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रही है, जिन्हें स्वदेशी कंपनियों ने मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया है.

खास बात ये है कि सेना ने इन सभी गाड़ियों का नाम पौराणिक मान्यताओं और ऐतिहासिक पात्रों के नाम पर रखा है. ऑल टेरेन व्हीकल को ‘चेतक’ का नाम दिया गया है तो क्विक रिएक्शन फोर्स हैवी व्हीकल को ‘कपिध्वज’ का नाम दिया गया है. इन सभी स्पेशल व्हीकल्स को इस साल गणतंत्र दिवस परेड में सेना ने उतारा गया.

चेतक: पॉलेरिस कंपनी के ऑल टेरेन व्हीकल (एटीवी) को महाराणा प्रताप के घोड़े ‘चेतक’ का नाम दिया गया है. एटीवी को रेगिस्तान से लेकर बर्फ और पहाड़ों तक में चलाया जा सकता है.

कपिध्वज: जेएसडब्लू (जिंदल) ग्रुप की स्पेशिलिटी मोबिलिटी व्हीकल को महाभारत के अर्जुन और कृष्ण के रथ पर लगे ध्वज का नाम दिया गया है. अर्जुन के रथ पर लगे भगवा ध्वज पर हनुमान जी का चिन्ह था और ‘कपिध्वज’ नाम दिया गया था.

सेना का कपिध्वज एक ऑफ रोड व्हीकल है. जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने यूक्रेन की एक कंपनी के साथ मिलकर इस खास व्हीकल को तैयार किया है.

नंदीघोष: कल्याणी ग्रुप की एम-4 माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल को अर्जुन और कृष्ण जी के रथ का नाम दिया गया है. इस गाड़ी में आधा दर्जन सैनिक सवार हो सकते हैं. गाड़ी पूरी तरह बारूदी सुरंग और आईईडी ब्लास्ट से सुरक्षा प्रदान करता है. साथ ही खास सन-रूफ पर हथियारबंद सैनिक को भी तैनात किया जा सकता है.

बजरंग: महिंद्रा कंपनी की एडवांस लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल (एएलएसवी) को हनुमान जी का नाम ‘बजरंग’ दिया गया है.

ऐरावत: सेना की इंफैन्ट्री द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाली महिंद्रा कंपनी की इस एएलएसवी को मोर्टार से लैस किया गया है. भगवान इंद्र की सफेद हाथी की सवारी के नाम पर पर मोर्टार-युक्त एएलएसवी को ‘ऐरावत’ नाम दिया गया है.

त्रिपुरांतक: भगवान शिव के नाम पर टाटा कंपनी की क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल (क्यूआरएफवी) को ‘त्रिपुरांतक’ नाम दिया गया है.

डीआरडीओ के बेहद घातक मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम को भगवान शिव के धनुष, पिनाका का नाम दिया गया है. पिनाका को भी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनाया गया.

पिनाका के अलावा आकाश मिसाइल सिस्टम और बीएम-21 ग्रैड रॉकेट सिस्टम को भी प्रदर्शित किया गया.

खास बात ये है कि आकाश और पिनाका, दोनों को ही हाल के सालों में आर्मेनिया को एक्सपोर्ट किया गया है.

बैटलफील्ड की निगरानी करने वाला संजय भी उतारा पहली बार

इस साल गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार भारतीय सेना ने दुनिया के सामने अपने बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम (बीएसएस) को प्रदर्शित किया, जिसे ‘संजय’ का नाम दिया गया है.

बीएसएस को गाजियाबाद स्थित सरकारी उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने तैयार किया है. बीएसएस में रडार लगे हैं ताकि दुश्मन के टैंक और मिलिट्री व्हीकल्स की आहट की चेतावनी भी कमांडर्स तक पहुंच सके.

कई सौ किलोमीटर दूर रहकर भी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में दुश्मन देश के सैनिकों की मूवमेंट और सैन्य काफिले की जानकारी भी बीएसएस के जरिए पता की जा सकती है. क्योंकि, इसमें महाभारत के संजय की आंखों का काम करता है ड्रोन, जो ऊंचाई से जंग के मैदान की लाइव फीड मुहैया कराता है.