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तालिबान वाला दांव, चित्त पड़ेगा पाकिस्तान

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की नींद उड़ाने के लिए भारत ने चला है बड़ा कूटनीतिक दांव. विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के तालिबान शासित शासन के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से पहली बार आधिकारिक बातचीत की है.ये पहली बार है जब तालिबान सरकार से मंत्रिस्तर बातचीत हुई है. 

इससे पहले विदेश मंत्रालय के अधिकारी तालिबान के संपर्क में रहे हैं, लेकिन पहलगाम नरसंहार के बाद जिस तरह से तालिबान ने भारत के साथ खड़े होने पर प्रतिबद्धता जताई, जयशंकर और मुत्ताकी के बीच बातचीत नई रणनीति की ओर इशारा कर रही है.

एस जयशंकर और मुत्ताकी के बीच फोन पर हुई बात

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से फोन पर बात की है. तालिबान ने पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों द्वारा किए गए पहलगाम हमले की निंदा की थी, जिसके बाद एस जयशंकर और तालिबानी मंत्री ने एक दूसरे से संपर्क किया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “अफगान के विदेश मंत्री मौलवी आमीर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई. पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी निंदा की मैं बहुत सराहना करता हूं. अफगान जनता के साथ हमारी पारंपरिक मित्रता और विकास की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराया. आगे सहयोग बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की.” 

अफगानी विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की निराधार रिपोर्ट को खारिज किया- एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान को लेकर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार पर भी चर्चा की. दरअसल पाकिस्तान, तालिबान को जम्मू और कश्मीर की घटनाओं से जोड़ने की कोशिश कर रहा है. एस जयशंकर ने लिखा, “मुत्ताकी के ‘पाकिस्तान मीडिया में झूठी और निराधार रिपोर्टों के माध्यम से भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के हालिया प्रयासों को दृढ़ता से खारिज करने’ का स्वागत किया.”

अफगान अपने असली दोस्तों और दुश्मनों को जानता है: भारत

पाकिस्तान ने प्रोपेगेंडा फैलाते हुए दावा किया था कि ऑपरेशन सिंदूर में की गई एयरस्ट्राइक में अफगानिस्तान के क्षेत्र को नुकसान पहुंचा. लेकिन तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तान के दावों को खारिज कर दिया था. अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायत खोवाराजम ने साफ किया कि भारत की एयरस्ट्राइक में अफगानिस्तान को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी पाकिस्तान के दावों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि “अफगान अपने असली दोस्तों और दुश्मनों के बारे में जानते हैं. अफगान जनता को ये बताने की जरूरत नहीं कि किस देश ने पिछले डेढ़ साल में कई अफगान नागरिकों को अफगानिस्तान में आधारभूत ढांचे को टारगेट किया है.”

पहलगाम अटैक के बाद भारतीय राजनयिक ने की थी मुत्ताकी से मीटिंग

पहलगाम आतंकवादी हमले के कुछ दिनों बाद, 27 अप्रैल को, भारतीय राजनयिक आनंद प्रकाश ने काबुल का दौरा किया था. आनंद प्रकाश ने ‘सीमा पार आतंकवाद’ को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बड़े तनाव के बीच मुत्ताकी से मीटिंग की थी. बैठक के दौरान मुत्ताकी ने भारत के साथ राजीनितक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया. इस दौरान मुत्ताकी ने भारतीय निवेशकों को अफगानिस्तान में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया.

कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए बेहद अहम है अफगानिस्तान

भारत ने तालिबान सरकार को मान्यता भले ही न दी हो लेकिन, पड़ोसी देश अफगानिस्तान को भारत हमेशा से मदद करता रहा है. चाहे वो अनाज हो या फिर दवाइयां. भारत ने अफगानिस्तान में कई परियोजनाओं पर 3 अरब डॉलर से अधिक निवेश किया हुआ है, जिसमें सड़कें, बिजली, बांध और हॉस्पिटल शामिल है. भारत ने अफगान सैन्य अधिकारियों को ट्रेनिंग दी है, छात्रों को स्कॉलरशिप देता है. साथ ही अफगानिस्तान की संसद भवन का निर्माण भी भारत की मदद से हुआ है.

तालिबान-भारत में प्रगाढ़ हो रहे रिश्ते, पाकिस्तान का दिल जले

भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों को मजबूत करने के पीछे एनएसए अजीत डोवल का भी बहुत हाथ है. भारत इस बात पर भी जोर देता रहा है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए. पिछले साल से अलग-अलग स्तर पर तालिबान प्रशासन के साथ विदेश मंत्रालय के अधिकारी मुलाकात कर चुके हैं. पिछले साल एस जयशंकर के करीबी राजनयिक जे पी सिंह ने तालिबान के मंत्रियों से मुलाकात की थी तो  इस साल जनवरी में दुबई में तालिबान के साथ भारत की एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई थी. बैठक विदेश सचिव विक्रम मिस्री की अध्यक्षता में हुई थी. तालिबान के साथ बैठक में तालिबान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी और एक अफगान प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ था. दोनों नेताओं ने चाबहार बंदरगाह सहित कई मुद्दों पर बातचीत की गई थी.

पाकिस्तान-अफगानिस्तान ने रिश्तों में है तनाव

पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में भारी तनाव है. भारत और तालिबान के बीच जनवरी 2025 में मुलाकात के कुछ दिनों पहले पाकिस्तान ने पूर्वी अफगानिस्तान में हवाई हमले किए थे. पाकिस्तानी अटैक को लेकर तालिबान सरकार ने बताया था कि पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक में बेगुनाह शरणार्थी मारे गए थे. दोनों देशों में तनाव इतना बढ़ गया था कि पाकिस्तान की कुछ चौकियों पर तालिबान का कब्जा कर लिया वहीं पाकिस्तान ने हजारों अफगानी शरणार्थियों को बाहर निकाल दिया है, जिसका अफगानिस्तान विरोध करता है. दोनों देशों में सीमा विवाद इस कदर बिगड़ चुका है कि सीमा पर बनीं चौकियों में कई बार गोलीबारी की जा चुकी है.

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