By Rishav Gupta
“बी-2 बॉम्बर का एयरोडायनेमिक्स ईगल से प्रेरित था. इसे छोटा भीम सीरियल की टुनटुन मौसी से लिया गया है.” ये कहना है इंटरनेट यूजर का जब एक जानी-मानी एयरोस्पेस मैगजीन ने पहली बार एक स्वदेशी ड्रोन की तस्वीर ट्विटर (‘एक्स’) पर साझा की.
कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक भारतीय ड्रोन चर्चा का विषय बना हुआ है. देश के ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के रक्षा विशेषज्ञ इसे देखकर चौंक गए हैं. उन्हे आश्चर्य तो हो रहा लेकिन ये हास्य का पात्र भी बन चुका है. भारत की एक स्वदेशी कंपनी ‘फ्लाइंग वेज’ ने इस ड्रोन को लॉन्च किया है. उड़ान से पहले इस ‘सी-17 ग्लोबमास्टर’ के ‘स्ट्रेटेजिक बॉम्बर’ स्वरुप यूएवी की जानकारी सोशल मीडिया पर सामने आने लगी है.
सबसे पहले बात करते हैं कि इस ड्रोन को लेकर निर्माण करने वाली कंपनी, ‘फ्लाइंग वेज’ का क्या कहना है. कंपनी के संस्थापक सुहास तेज कांडा का कहना है कि फ्लाइंग वेज का ‘एफडब्ल्यूडी-200बी’ देश का सबसे पहला बॉम्बर यूएवी, यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल होगा. यहाँ तक तो ठीक था लेकिन जो ड्रोन के साथ दावे किए हैं, उनको लेकर सवाल भी खड़े होने लगे हैं. सुहास का आरोप है कि पिछले कई सालों से भारत में (कॉम्बेट) ड्रोन की तकनीक विकसित नहीं हुई है और यहां तक कि डीआरडीओ और एचएएल जैसी संस्थानों ने भी इतने सालों से कुछ नहीं किया है.
पिछले कई सालों से भारत के सरकारी रक्षा उपक्रम ड्रोन के निर्माण में जुटे हैं. फिर वो डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाईजेशन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किए गए ‘निशांत’ जैसे प्रोटो ड्रोन हो या प्रशिक्षण के स्टेज पर ‘रुस्तम’ या ‘स्विफ्ट’ जैसे ड्रोन.
फ्लाइंग वेज का दावा है कि एफडब्ल्यूडी-200बी दुनिया के सबसे उन्नत यूएवी में से एक है. दावा तो यहां तक है कि अमेरिकी ‘एमक्यू-9बी प्रीडेटर’ ड्रोन से सस्ता होते हुए भी उतना ही घातक है. कंपनी द्वारा जारी डाटा की मानें, तो ये स्ट्रेटेजिक-बॉम्बर ड्रोन 100 किलो के पेलोड के साथ 370 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से 10-20 घंटे तक हवा में उड़ने की क्षमता रखता है. ऐसे में ये ड्रोन अबतक भारत में विकसित किसी भी ड्रोन से एंड्यूरेंस और रफ्तार में कहीं ज्यादा है. कंपनी के इन दावों के चलते ही इस देशी ड्रोन पर कई सवाल भी उठ रहे हैं (https://x.com/ReviewVayu/status/1786304157185376597).
ड्रोन को अगर सरसरी तौर से देखे तो ये उतना उच्च डिज़ाइन का नहीं दिखाई पड़ रहा है. इसके आकार को देखें तो कहीं से भी प्रीडेटर जैसा एयरोडायनामिक भी नहीं लगता है. किसी भी फाइटर जेट की तुलना में ड्रोन पहले ही धीरे उड़ते हैं लेकिन उनके भी एयरोडायनामिक आकार को ढालना होता है. एफडब्ल्यूडी-200बी अपने इस आकार को लेकर भी काफी ट्रोल हो रहा है. इसके इंजन को भी देखें तो वो इतने शक्तिशाली नहीं लग रहे कि इस भारी ड्रोन को उतनी ऊर्जा दे पाए, जबकि इसमें मिसाइल और भारी बम जैसे हथियार से लैस करने का दावा किया गया है.
सोशल मीडिया पर काफी यूज़र्स ने इस ड्रोन को लेकर ट्रोल भी किया है. सोशल मीडिया पर जानकारों का कहना है कि कि कैसे कंपनी बातों से खेल रही है. ड्रोन के साथ किए गए दावे सच में सवाल खड़े करते हैं.
ऐसा भी माना जा रहा कि जो ड्रोन दिखाया गया था लॉन्च इवेंट में, वो महेज़ एक मॉडल था. असल ड्रोन इससे कई ज्यादा उन्नत किस्म का होगा. क्योंकि कंपनी ने ये भी दावा किया कि इसे 15 दिनों के भीतर ही ट्रायल के लिए उतारा जाएगा और 3 महीने सर्टिफिकेशन में लगेंगे. यानी की इस ड्रोन के किसी सिस्टम के पूरा होने में थोड़ा वक्त है. उसके बाद ही ट्रोल हो रहे इस ड्रोन की ताकत का सही सही पता लग पाएगा.
(Rishav Gupta is a budding-journalist and an aviation enthusiast).