स्वदेशी एमआरसैम, ब्रह्मोस मिसाइल और एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर के साथ देश का सबसे नया और आधुनिक युद्धपोत भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है. उत्तर-पूर्व भारत के राज्य मणिपुर की राजधानी इंफाल के नाम पर इस जंगी जहाज को नाम दिया गया है आईएनएस इंफाल. मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह की मौजूदगी में आईएनएस इंफाल के क्रेस्ट (शिखा) का अनावरण किया.
आत्मनिर्भर भारत की समंदर में छंलाग
एलसीए तेजस के बाद भारत, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर एक कदम और आगे बढ़ चुका है. आसमान में हिंदुस्तान के पास तेजस जैसा धुरंधर है तो अब समंदर में भी चीन की दादागीरी पर और लगाम लगेगी. नॉर्थ ईस्ट के मणिपुर की राजधानी इंफाल के नाम पर स्टील्थ मिसाइल डेस्ट्रॉयर ‘आईएनएस इंफाल’ जल्द नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने जा रहा है. मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा निर्मित इंफाल प्रोजेक्ट 15बी का एक ऐसा शक्तिशाली युद्धपोत है जो समुद्री सुरक्षा के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान की परेशानी भी बढ़ाएगा. आईएनएस इंफाल से भारत की समुद्री ताकत चौगुना हो गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को राजधानी दिल्ली में इम्फाल के क्रेस्ट का अनावरण किया. इस श्रेणी के दो युद्धपोत पहले ही नौसेना में शामिल हो चुके हैं. जल्द ही इंफाल भी नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने जा रहा है. इसके बाद ही उसे आईएनएस इफाल के नाम से जाना जाएगा.
इंफाल का क्रेस्ट
क्रेस्ट (शिखा) के डिज़ाइन में बाई ओर कंगला महल और दाई ओर ‘कंगला-सा’ को दर्शाया गया है. कंगला महल मणिपुर का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है. यह मणिपुर के पूर्व राजशाही की पारंपरिक गद्दी थी. ड्रैगन के सिर और शेर के शरीर से निर्मित ‘कंगला-सा’ राज्य का एक पौराणिक जीव है. मणिपुर में ‘कंगला-सा’ को संरक्षक के रूप में देखा जाता है और यह मणिपुर का राजकीय प्रतीक भी है.
सुर्खियों में कब पहली बार आया आईएनएस इंफाल ?
22 नवंबर को आईएनएस इंफाल उस वक्त सुर्खियों में आ गया जब भारतीय नौसेना ने दुनिया की सबसे तेज चलने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एक्सटेंडेड (विस्तारित रेंज) का परीक्षण किया. आईएनएस इम्फाल से निकली ब्रह्मोस मिसाइल ने बुल्स आई यानी टारगेट पर निशाना लगाया. ओडिशा के समंदर तट के करीब नौसेना ने सफल परीक्षण किया. इस दौरान नौसेना ने स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता, स्वदेशी हथियारों की विश्वसनीयता परखने पर फोकस किया.
नौसेना की बढ़ेगी ताकत
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस इंफाल के क्रेस्ट के अनावरण किया. इस दौरान के मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह, सीडीएस जनरल अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार मौजूद थे. भारत सरकार ने साल 2013 में प्रोजेक्ट 15बी की शुरुआत की थी. इससे पहले 2019 में आईएनएस विशाखापत्तनम और 2022 में आईएनएस मोरमुगाओं को नौसेना में शामिल किया गया था. सभी परीक्षणों के बाद आईएनएस इंफाल को 23 दिसंबर को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा और अगले साल 15 बी प्रोजेक्ट के चौथे और आखिरी ‘सूरत’ को नौसेना में शामिल किया जाएगा, इसी महीने 6 नवंबर को आईएनएस सूरत के प्रतीक चिह्म का अनावरण किया गया था.
आईएनएस इंफाल से कैसे बढ़ेगी नौसेना की ताकत?
पुराने युद्धपोतों की तुलना में आईएनएस इंफाल बेहद ही शक्तिशाली है. स्वदेशी स्टील्थ गाइडेड मिसाइस इंफाल की खासियत ये है कि दुश्मनों को इसकी भनक नहीं लगेगी. दुश्मन इंफाल को अपने अपने रडार में पकड़ तक नहीं पाएंगे. सतह से सतह और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है. ब्रह्मोस के अलावा 32 बराक-8 सरफेस-टू-एयर मिसाइल लगी हैं. ब्रह्मोस और बराक के अलावा इसमें जरूरत पड़ने पर दुश्मन की पनडुब्बी को नष्ट करने वाला रॉकेट लांचर भी है, 76 मिलीमीटर की गन भी है. इस जहाज पर 2 ध्रुव या सीकिंग हेलिकॉप्टर तैनात हो सकते हैं. चार पावरफुल गैस टरबाइन लगे हैं. आईएनएस इंफाल डीजल-इलेक्ट्रिक युद्धपोत है. जंगी जहाज का डिस्प्लेसमेंट 7400 टन है. 535 फीट लंबा युद्धपोत है. अधिकतम स्पीड 56 किलोमीटर प्रतिघंटा है.इस युद्धपोत पर 50 नेवल ऑफिसर और 250 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं.
‘आत्मनिर्भर भारत’ का झंडा बुलंद
भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने आईएनएस इंफाल का डिजाइन तैयार किया है और निर्माण एमडीएल ने किया है. जहाज में लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जिसमें एमआर-सैम (एसएएम) मिसाइल, ब्रह्मोस एसएसएम, स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और 76 मिमी. एसआरजीएम शामिल हैं. इंफाल पहला ऐसा स्वदेशी विध्वंसक है, जिसके निर्माण और समुद्री परीक्षणों को पूरा करने में सबसे कम समय लगा है.
नाम आईएनएस इंफाल क्यों ?
नेवल परंपरा के मुताबिक, भारतीय नौसेना के युद्धपोतों और पनडुब्बियों के नाम प्रमुख शहरों, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, बंदरगाहों और द्वीपों के नाम पर रखे जाते हैं. समुद्री परंपराओं और नौसैनिक रिवाजों के आधार पर भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के शहर के नाम पर इसका नाम आईएनएस इंफाल रखा गया है. वॉरशिप के नाम की मंजूरी राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल, 2019 को दी थी.