अरब सागर में भारतीय नौसेना की ताकत दोगुनी हो गई है. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत इन दिनों नौसेना के कैरियर बैटल ग्रुप (सीबीजी) का हिस्सा बन गया है. वर्ष 2022 में भारतीय नौसेना का हिस्सा बनने के बाद पहली बार विक्रांत, नौसेना के दूसरे विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य के साथ मिलकर समंदर में युद्धाभ्यास के लिए उतरा है.
भारतीय नौसेना के मुताबिक, पश्चिमी कमान के जंगी बेड़े (‘स्वार्ड आर्म’) में अब आईएनएस विक्रांत भी शामिल हो गया है. ऐसे में भारतीय नौसेना की मेरीटाइम क्षमता भी भारी इजाफा हो गया है.
नौसेना की पश्चिमी फ्लीट के मुताबिक, आईएनएस विक्रांत ने आईएनएस विक्रमादित्य के नेतृत्व में सीबीजी को शामिल कर लिया है. इस दौरान दोनों विमानवाहक युद्धपोत, अरब सागर में ‘मल्टी डोमेन एक्सरसाइज’ में हिस्सा ले रहे हैं.
नौसेना की पश्चिमी कमान ने सीबीजी की तस्वीरें भी साझा की हैं, जिसमें साफ दिखाई पड़ रहा है कि आईएनएस विक्रांत (आर-11) पर मिग-29के फाइटर जेट लैंडिंग और टेक-ऑफ कर रहे हैं. साथ ही विक्रांत के डेक पर हेलीकॉप्टर पर तैनात हैं.
दरअसल, आईएनएस विक्रांत के लिए अभी तक भारतीय नौसेना के पास फिलहाल कोई फाइटर जेट नहीं है. ऐसे में विक्रमादित्य पर तैनात होने वाले मिग-29के को ही विक्रांत से संचालित किया जाता है.
भारतीय नौसेना, फ्रांस से रफाल (राफेल) लड़ाकू विमान के 26 मरीन वर्जन खरीदने की तैयारी कर रही है ताकि उन्हें विक्रांत पर तैनात किया जा सके.
भारतीय नौसेना के पास मेरीटाइम कॉम्बेट के लिए फिलहाल रुस के 45 मिग-29के लड़ाकू विमान हैं. लेकिन ये अब पुराने पड़ते जा रहे हैं. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर एलसीए-तेजस का मेरीटाइम वर्जन तैयार किया है जिसके एलसीए (‘नेवल’) के नाम से जाना जाता है. लेकिन सिंगल इंजन होने के कारण नौसेना इस फाइटर जेट को एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात करने में हिचकिचा रही है. ऐसे में एचएएल ने ‘डेक बेस्ड ट्विन इंजन फाइटर जेट’ (टीईडीबीएफ यानी टेडबेफ) पर काम करना शुरु कर दिया है.
टेडबेफ का प्रोटो वर्जन 2026 तक आने की उम्मीद है और इसका प्रोडक्शन 2030 से शुरु हो जाएगा. 2040 तक 45 टेडबेफ नौसेना को मिल सकते हैं. यही वजह है कि इस गैप को भरने के लिए 26 रफाल (एम) की जरूरत है.
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अरब सागर में नौसेना की ताकत का डबल-डोज़
- by TFA Desk
- September 20, 2024
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- 3 months ago
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