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इनसाइड स्टोरी: यमन में भारतीय नर्स की फांसी कैसे टली?

यमन की जेल में भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया की दी जाने वाली फांसी को लेकर कूटनीतिक कोशिशें रंग लगाई है. 16 जुलाई को होने वाली फांसी को टाल दिया गया है. केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिशा को 2020 में यमन के एक व्यक्ति की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. निमिषा प्रिया को बचाने के लिए हर संभव कोशिशें की जा रहीं हैं. 

ब्लड मनी के लिए सरकार की ओर से मांगा गया था समय

निमिषा प्रिया को बचाने के लिए लगातार भारत में मुहिम चलाई जा रही थी. क्राउड फंडिंग के जरिए पैसे इकट्ठा किए जा रहे हैं. निमिषा की फांसी की सजा के मद्देनजर भारत सरकार लगातार यमन सरकार के संपर्क में है. मामला संवेदनशील होने के कारण सरकार की तरफ से पूरी कोशिशें की जा रही हैं.

निमिषा को फांसी से पूरी तरह बचाने का सिर्फ एक तरीका ये है कि मृतक व्यक्ति का परिवार ब्लड मनी यानी वित्तीय मुआवजा स्वीकार कर ले. सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार शुरुआत से ही निमिषा को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. सरकार की कोशिश है कि मृतक व्यक्ति का परिवार ब्लड मनी लेने के लिए तैयार हो जाए. 

पीड़ित परिवार को 10 हजार अमेरिकी डॉलर (8.5 करोड़ रुपये) का ब्लड मनी देने की पेशकश की गई है, हालांकि, परिवार ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है.

बेहद संवेदनशील मामला होने के बावजूद भारतीय अधिकारी, यमन की जेल और कोर्ट प्रशासन के संपर्क में है. माना जा रहा है कि भारत सरकार की इसी कोशिशों के कारण निमिषा की फांसी को टाला जा सकता है. आखिरी वक्त में भारत सरकार की कोशिशें रंग लाई और निमिषा की फांसी को कुछ दिनों के लिए टाल दी गई है, हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि फांसी कब तक के लिए टाली गई है. 

मुस्लिम धर्मगुरू और नेताओं ने भी निमिषा को बचाने की पहल की 

बताया जा रहा है कि सरकार के अलावा केरल के बड़े सुन्नी मुस्लिम नेता एपी अबु बकर ने यमन में सूफी विद्वानों से संपर्क किया था. एपी अबु बकर की कोशिशों को कारण यमन के सूफी नेता शेख हबीब उमर बिन हाफिज के प्रतिनिधियों और तलाल आब्दो मेहंदी (मृतक) के परिवार के बीच मुलाकात हुई थी. 

सूफी नेता ने मेहंदी परिवार को समझाया और कई विकल्प दिए. ब्लड मनी स्वीकार करने का ऑफर देकर निमिषा को माफ करने के लिए कहा. इसके अलावा ये भी कहा कि अगर वो नहीं चाहते हैं कि निमिषा माफ की जाए तो फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने के लिए समझाया. 

निमिषा की पूरी कहानी जानिए, यमन में नौकरी से हत्या की दोषी कैसे बनी

केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया, साल 2008 में मौकरी के लिए यमन गई थी. यमन में कई वर्षों तक नौकरी करने के बाद केरल लौटी और केरल में शादी की. निमिषा का पति भी यमन गया और एक इलेक्ट्रिशियन की नौकरी करने लगा. लेकिन निमिषा जब मां बनी तो आर्थिक तंगी के कारण वो पति के साथ वापस केरल लौट आई. केरल में तकरीबन 50 लाख रु इकट्ठा करने के बाद निमिषा वापस यमन गई और अपना क्लीनिक खोला.

लेकिन यमन के कानून के तहत विदेशी को स्थानीय पार्टनर रखना अनिवार्य है, इसलिए निमिषा ने यमन के नागरिक तलाल अब्दो मेहंदी को अपना पार्टनर बनाया. बताया जाता है कि मेहंदी की पत्नी के इलाज के दौरान दोनों में बातचीत हुई थी. थोड़े दिन तो ठीक रहा सबकुछ लेकिन आरोपों के मुताबिक मेहंदी ने निमिषा से न सिर्फ पैसों की धोखाधड़ी की, बल्कि फोटो मॉर्फ करके उसके साथ शादी का दावा भी किया.

निमिषा ने पुलिस में कंपलेंट करने की कोशिश की तो मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया गया. मेहंदी ने निमिषा का पासपोर्ट भी छीन लिया था. साल 2017 में निमिषा ने इंजेक्शन से बेहोश करके पासपोर्ट लेने की कोशिश की, लेकिन दवा के ओवरडोज़ से मेहंदी की मौत हो गई. बाद में निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया. 

यमन में कानूनी प्रक्रिया के बाद साल 2020 में फांसी की सजा सुनाई गई. निमिषा की अंतिम अपील साल 2023 में खारिज कर दी गई. जिसके बाद सख्त कानून के कारण फांसी मुकर्रर कर दी गई. लेकिन सूफी नेता और भारत सरकार के प्रयासों के कारण निमिषा की फांसी टाले जाने से फौरी राहत मिली है.

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