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मोसाद के हेडक्वार्टर तक नहीं पहुंच पाई ईरान की मिसाइल

इजरायल के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम के चलते एक बार फिर ईरान का मिसाइल हमला बहुत हद तक नाकाम रहा. हमले से भले ही नेवातिम एयरबेस को जरूर नुकसान पहुंचा है लेकिन इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के हेडक्वार्टर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. साथ ही 200 मिसाइल के हमले में इजरायल में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. हालांकि, इस बार ईरान ने बैलिस्टिक के साथ-साथ हाइपरसोनिक मिसाइल को भी हमले में इस्तेमाल किया था. 

जानकारी के मुताबिक, इजरायल के सबसे बड़े शहर तेल अवीव के बाहरी इलाके में स्थित दुनिया की सबसे खतरनाक इंटेलिजेंस एजेंसी में से एक मोसाद के हेडक्वार्टर से करीब 500 मीटर की दूरी पर ईरान की मिसाइल जाकर गिरी. ऐसे में मोसाद के हेडक्वार्टर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

माना जा रहा है कि इजरायल की एयर डिफेंस प्रणाली के चलते ईरान की काफी संख्या में मिसाइल हवा में ही मार गिराई गई थी. लेकिन मिसाइल के मलबे (खोल) के जमीन पर गिरने से गड्ढे जरूर पड़ गए.

हालांकि, पूरी दुनिया इजरायल के आयरन डोम सिस्टम को हवाई हमलों को रोकने के लिए दाद देती है. लेकिन हकीकत ये है कि आयरन डोम, इजरायल की हवाई सुरक्षा प्रदान करने वाली कई प्रणालियों में से एक है. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1841386608664166727)

इजरायल की एयर डिफेंस प्रणाली में लॉन्ग रेंज यानी लंबी दूरी से लेकर कम दूरी की मिसाइलें शामिल हैं जिन्हें इजरायल ने खुद या फिर अमेरिका जैसे मित्र-देशों के साथ मिलकर तैयार किया है.

आयरन डोम

अमेरिका के सहयोग से इजरायल में विकसित यह प्रणाली कम दूरी के रॉकेटों को मार गिराने में माहिर है. उनकी सफलता दर 90 फीसदी है. पिछले दशक के शुरू से लेकर अब तक यह हमास और हिजबुल्ला के हजारों रॉकेट हमले नाकाम कर चुकी है. ये शॉर्ट रेंज एंटी-मिसाइल प्रणाली है जो 60-70 किलोमीटर से आने वाले खतरों को भांप कर आसमान में ही निष्क्रिय कर देती है.  

डेविड स्लिंग

अमेरिका की रेथियॉन कंपनी और इजरायल की राफिल (रफाल नहीं) कंपनी ने एक साथ मिलकर डेविड स्लिंग प्रणाली को मध्यम दूरी की मिसाइलों के हमले रोकने के लिए तैयार किया है. इसके रेंज करीब 300 किलोमीटर है.

एरो सिस्टम

अमेरिका के साथ मिलकर विकसित एरो सिस्टम (प्रणाली) लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने में सक्षम है. इसकी रेंज करीब 2400 किलोमीटर है यानी अगर दुश्मन की कोई मिसाइल इजरायल की सीमा की तरफ दागी जाती है तो ये पहले ही भांप लेता है और काउंटर मिसाइल दागकर आसमान में ही तबाह कर सकती है. बैलिस्टिक मिसाइलों हमलों से बचाने में भी सक्षम है एरो प्रणाली. यही वजह है कि ईरान ने मंगलवार को जब इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की तो एरो ने उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया.

एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली एरो का निर्माण इजरायल की इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री (आईएआई), अमेरिकी को-फंडिंग के साथ करती है. रिपोर्ट्स की मानें तो इजरायल के हथियारों के जखीरे में एरो के कई वर्जन है जिनमें एरो-2 और एरो-3 प्रमुख हैं. ये शॉर्ट रेंज पर भी दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिरा सकने में सक्षम है.

एरो मिसाइल प्रणाली के लिए इजरायल ग्रीन पाइन रडार का इस्तेमाल करता है. भारत ने भी इजरायल से ये ग्रीन पाइन रडार खरीदी हैं जो दुश्मन की मिसाइल और एयरक्राफ्ट को सर्च, डिटेक्ट और ट्रैक करने का काम करती है.

पिछले साल की 7 अक्टूबर (2023) की घटना से सबक लेते हुए इजरायल ने अपने ग्राउंड और एयर डिफेंस फोर्सेज को पूरी तरह अलर्ट पर रखा हुआ है.

मंगलवार के हमले की तरह ही पांच महीने पहले यानी अप्रैल के महीने में भी इजरायल ने ईरान के ऐसे ही हवाई हमले को विफल कर दिया था. उस वक्त भी ईरान ने अपनी धरती से लेकर सीरिया और इराक से ड्रोन और मिसाइलों के जरिए इजरायल के सैन्य ठिकाने तबाह करने के लिए 300 से ज्यादा हवाई हमले एक साथ किए थे.

उस दौरान भी ईरान ने कुल 185 कामकाजी ड्रोन (शहीद) और 36 क्रूज मिसाइल दागी थीं. इसके अलावा लंबी दूरी की करीब 100 बैलिस्टिक मिसाइल भी दागी गई थीं. इजरायल की मानें तो इनमें से 99 प्रतिशत हवाई हमलों को अमेरिका, इजरायल और जॉर्डन जैसे देशों की वायु-रक्षा प्रणाली से इजरायल की जमीन पर पहुंचने से पहले ही नष्ट कर दिया गया.

यही वजह है कि मंगलवार के हमले में ईरान ने हाइपरसोनिक मिसाइल (‘फतह’) को भी शामिल किया था. [जानिए इजरायल के अचूक एयर डिफेंस सिस्टम को (TFA Special) ]