Alert Breaking News Middle East War

बंधकों के शव मिलने से इजरायली जनता का गुस्सा फूटा, नेतन्याहू से सवाल

गाजा में छह बंधकों के शव मिलने के बाद इजरायली जनता का गुस्सा फूट पड़ा है. पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ आक्रोशित लोग सड़कों पर उतर गए हैं. इजरायली नेता और सेलेब्रिटी भी अब हमास आतंकियों के चंगुल में फंसे बंधकों की रिहाई की मांग के लिए डील पर हामी भरने की मांग कर रहे हैं. साथ ही इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद और सेना के बीच भी मनमुटाव की खबर है.

इस बीच इजरायल की तेजतर्रार खुफिया एजेंसी मोसाद के चीफ डेविड बार्निया का बड़ा बयान सामने आया है. डेविड बार्निया ने कहा है कि “बंधकों की रिहाई समझौते के तहत इजरायली सेना को फिलाडेल्फिया और नेत्ज़ारिम कॉरिडोर से हट जाना चाहिए. अब वहां किसी ऑपरेशन के लिए इजरायल सेना का रहना जरूरी नहीं है.”  

मोसाद चीफ और रक्षा मंत्री ने नेतन्याहू को घेरा

छह बंधकों की मौत के बाद रविवार को बुलाई गई बैठक में मोसाद चीफ ने साफ तौर पर सलाह देते हुए कहा कि “फिलाडेल्फिया और नेत्ज़ारिम कॉरिडोर पर अब इजरायली सेना को नहीं रहना चाहिए.” मोसाद के चीफ ही नहीं इजरायली रक्षा मंत्री यौव गैलेंट ने भी मांग को गैर जरूरी बताया है. बंधकों की मौत के बाद रविवार बुलाई गई एक बैठक में गैलेंट ने कहा, “इजरायल, मिस्र और गाजा को अलग करने वाले तथाकथित फिलाडेल्फिया कॉरिडोर पर कंट्रोल बनाए रखने की मांग बंधकों की रिहाई में एक अनावश्यक बाधा जो हमने खुद पर रखी है.”

नेतन्याहू की कड़ी शर्त से हुई बंधकों की हत्या?

पिछले महीने काहिरा में हुई मध्यस्थों की बैठक के नाकाम होने के पीछे इजरायल की एक शर्त थी. इजरायल ने अपनी मांग में फिलाडेल्फिया और नेत्ज़ारिम कॉरिडोर पर अपनी उपस्थिति की मांग रखी थी. छह बंधकों की मौत की बाद हमास ने भी उनकी मौत का आरोप नेतन्याहू पर लगाया है. हमास का दावा है कि “छह बंधकों की मौत नेतन्याहू की डील के लिए कठोर मांग की वजह से हुई है.”

क्यों फिलाडेल्फिया और नेत्ज़ारिम कॉरिडोर पर कंट्रोल चाहते हैं नेतन्याहू?
दरअसल फिलाडेल्फिया गलियारा एक संकरी पट्टी है , जो कुछ हिस्सों में लगभग 100 मीटर चौड़ी है. ये गलियारा मिस्र (इजिप्ट) के साथ सीमा के गाजा की ओर 14 किलोमीटर की लंबाई तक फैली हुई है. इसमें कॉरिडोर में राफा क्रॉसिंग शामिल है, जो गाजा का एकमात्र आउटलेट था जिस पर मई से पहले तक इजरायल का नियंत्रण नहीं था. 

इजराइल का मानना है कि हमास ने सीमा के नीचे सुरंगों के एक विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल हथियारों के आयात के लिए किया, जिससे उसे सैन्य मशीनरी बनाने में मदद मिली जिसका इस्तेमाल उसने 7 अक्टूबर को हुए हमले में किया जिससे युद्ध शुरू हो गया. इजरायली सेना ने पिछले 10 महीने में इनमें से कई सुरंगों को खत्म कर दिया है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है, “हमास को सुरंगों के माध्यम से हथियारों की तस्करी रोकने और हमास की कमर पूरी तरह से तोड़ने के लिए मिस्र की सीमा क्षेत्र पर बनी फिलाडेल्फिया और नेत्ज़ारिम कॉरिडोर पर नियंत्रण बेहद आवश्यक है.”

छह बंधकों की मौत के बाद डील में हुई देरी पर इजरायल में दो लाख से ज्यादा लोगों ने सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा प्रदर्शन किया है. वहीं मोसाद चीफ और रक्षा मंत्री ने भी फिलाडेल्फिया और नेत्ज़ारिम कॉरिडोर पर सैन्य उपस्थिति की शर्त से पीछे हटने की बात कही है. पर इजरायली पीएम क्या रणनीति अपनाते हैं. क्या शर्त से पीछे हटेंगे या फिर बंधकों की मौत के बाद इजरायली सेना और आक्रामक एक्शन लेंगे, पूरी दुनिया की निगाहें इसी पर टिकी हुई है.

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *