पिछले पांच महीने से चल रही इजरायल-हमास जंग में अब वॉर-क्राइम के मामले भी सामने आने लगे हैं. सोशल मीडिया पर लगातार ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं जिनमें इजरायली सैनिक फिलिस्तीनी महिलाओं के अंडरगारमेंट्स और बिना कपड़ों की मंनेकीन (पुतलों) के साथ अश्लील हरकतें करते दिखाई पड़ रहे हैं. यूएन सहित पूरी दुनिया इजरायली सैनिकों के इस दुर्व्यवहार की निंदा कर रही है. इस तरह की घटनाओं से खुद इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) के कान खड़े हो गए हैं.
इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर ऐसी वीडियो धडल्ले से वायरल हो रही हैं जिनमें इजरायली सैनिक गाजा में फिलीस्तीनी घरों में महिलाओं के अंडरगारमेंट्स और नाइट ड्रेस के साथ अश्लील हरकतें करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. इन तस्वीरों और वीडियो में इजरायली सैनिक हथियार लिए हुए भी दिखाई दे रहे हैं. घरों के साथ-साथ इजरायली सैनिक अपने टैंक और मिलिट्री व्हीकल तक में इस तरह की आपत्तिजनक हरकत करते हुए दिख रहे हैं. इजरायली सैनिकों की इन हरकतों को सामरिक जानकार जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन करार दे रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा कन्वेंशन में युद्ध के दौरान सैनिकों को सामान्य नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार करने की मनाही है.
ये कोई पहला मामला नहीं है जब इजरायली सैनिकों पर इस तरह के आरोप लगे हैं. इससे पहले फिलिस्तीनी नागरिकों को सिवाय अंडरवियर के पूरी तरह नग्न कर परेड कराने और वैसे ही ट्रकों में ठूंस ठूंस कर भरकर डिटेंशन सेंटर ले जाने पर भी संयुक्त राष्ट्र कड़ी आपत्ति जता चुका है. उस दौरान हालांकि, इन लोगों की संदिग्ध पहचान होने के चलते किसी ने कड़ा विरोध नहीं किया था.
युद्ध के शुरुआती हफ्तों में जब आईडीएफ ने एरियल-स्ट्राइक या फिर टैंक और आईईडी के जरिए गाजा के घरों, दुकान, मार्केट और मस्जिदों को तबाह किया था तब भी दुनिया ने इतना विरोध नहीं किया था. क्योंकि उस वक्त दुनिया को लगता था कि आईडीएफ की ये जवाबी कार्रवाई आतंकी संगठन हमास के 7 अक्टूबर (2023) के हमले का बदला लेने के लिए है. हमले के दौरान हमास के आतंकियों ने भी बर्बरता की सभी हदें पार कर दी थीं और इजरायली महिलाओं की साथ दुर्व्यवहार किया था. हमास के आतंकी इजरायली महिलाओं को अगवा कर अपने साथ ले गए थे.
अभी भी इजरायली नागरिक हमास की कैद में हैं. इजरायल साफ कर चुका है कि जब तक सभी बंधकों को छुड़ा नहीं लिया जाता, हमास के खिलाफ जंग जारी रहेगी.
पिछले पांच महीनों से चल रही जंग में अब तक करीब 30 हजार लोगों की जान चुकी है और लाखों लोग बेघर हो गए हैं. युद्धविराम के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की कोशिशें भी बेकार साबित हुई हैं. अमेरिका और भारत जैसे मित्र-देश भी इजरायल से गाजा के लोगों के मानवाधिकारों को बचाने की अपील कर चुके हैं.
गाजा में इजरायली सैनिकों को हमास के खिलाफ खुली छूट देने के दुष्परिणाम पहले भी सामने आई थे. पिछले महीने ही आईडीएफ के मिलिट्री एडवोकेट-जनरल ने हमास के खिलाफ जंग में बहुतायत फोर्स के इस्तेमाल, सैनिकों द्वारा लूटपाट और फिलिस्तीन बंधकों से दुराचार और संदिग्ध मौत के मामलों का उजागर कर आपराधिक मामले चलाने की बात कबूल की थी.
रुस-यूक्रेन युद्ध के शुरुआती महीनों में भी बूचा और दूसरे शहरों में वॉर क्राइम की घटनाएं सामने आई थीं.