आज दुनिया बड़े उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रही है. ये दौर अनिश्चितताओं का है. ऐसे समय में पड़ोसियों के साथ निकट साझेदारी का बहुत महत्व है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये नसीहत मालदीव के विदेश मंत्री को दी है.
एक दिवसीय भारत यात्रा पर पहुंचे मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर के साथ एस जयशंकर की द्विपक्षीय बैठक हुई. द्विपक्षीय बैठक में जयशंकर ने कहा है कि “जहां तक भारत का सवाल है, हम हमारी ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ और सागर पॉलिसी को लेकर प्रतिबद्ध हैं. मुझे उम्मीद है कि आज की बैठक से से विभिन्न क्षेत्रों में हमारे दृष्टिकोण को और मजबूती मिलेगी.”
जयशंकर ने कहा कि “मालदीव की विकास यात्रा में भारत अहम साझेदार रहा है. हमारे प्रोजेक्ट्स से आपके देश के लोगों को लाभ हुआ है, मालदीव में लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से लेकर सोशल इनिशिएटिव और हेल्थ सुविधाओं तक में भारत ने मालदीव की मदद की है.” विदेश मंत्री ने कहा है कि आज मालदीव के साथ हुई बैठक के बाद “विभिन्न आयामों पर हमारे संबंधों की समीक्षा की जाएगी. ये हम सभी के हित में है कि हमारे बीच एक समझ बननी चाहिए कि आखिर दोनों देशों के संबंध किस तरह से आगे बढ़ेंगे.”
दरअसल, भारतीय पर्यटकों की गिरती तादाद के बाद मालदीव की अकल ठिकाने आ गई है. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सिर से चीन का खुमार उतरने लगा है. तभी तो भारत से चल रहे तनाव को कम करने के लिए मालदीव के विदेश मंत्री जमीर अपनी पहली विदेश यात्रा पर नई दिल्ली आए हैं. दिल्ली पहुंचते ही मूसा जमीर ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि “मैं भारत की अपनी पहली द्विपक्षीय आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली आया हूं, मैं भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत के साथ दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने और भारतीय संस्कृति का जीवंत अनुभव करने के लिए उत्सुक हूं.”
मालदीव से उड़ान भरने पर भी भारत की तारीफ करते हुए मूसा जमीर ने लिखा था कि “भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मिलने को उत्सुक हूं, हम अपनी यात्रा के दौरान भारत के साथ सहयोग को गहरा करने और इसे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे.”
बहुआयामी संबंधों को गति देने पर चर्चा: विदेश मंत्रालय
भारत पहुंचने के बाद विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने मालदीव के मंत्री मूसा जमीर का स्वागत किया. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पोस्ट पर तस्वीरें शेयर करके लिखा कि “भारत और मालदीव के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के साथ दोनों देशों के बहुआयामी संबंधों को गति प्रदान करने के तरीकों की तलाश की जानी है.”
भारत-मालदीव की बैठक अहम क्यों ?
एक दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे मालदीव के विदेश मंत्री और एस जयशंकर के बीच कई अहम मुद्दों पर बात हुई. ये वार्ता ऐसे वक्त में हो रही है जब पिछले साल मालदीव चुनाव में चीन समर्थक और ‘इंडिया आउट’ का नारा देने वाले मोहम्मद मुइज्जू जीत हासिल कर राष्ट्रपति बने. इसके बाद राष्ट्रपति मुइज्जू ने मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों को हटाने की घोषणा कर दी. मुइज्जू ने सत्ता संभालने के बाद से ही तेवर दिखाने शुरु कर दिए थे. भारत के दुश्मन देश चीन और तुर्की के दौरा किया था. भारत के विरोध के बावजूद चीन के जासूसी जहाज को एक बार नहीं दो दो बार अपने तट पर रुकने की इजाजत दी, इसके अलावा तुर्की के बेहद ही खतरनाक ड्रोन की भी तैनाती की. इस साल जनवरी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर गए थे, तो मालदीव के मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिससे भारतीयों ने एकजुटता दिखाते हुए मालदीव की जगह लक्षद्वीप को अपने पर्यटन स्थल बना लिया.
हमारी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर: मालदीव
मालदीव को पर्यटन घटने से जोरदार झटका लगा. मालदीव के पर्यटन मंत्री ने खुद माना कि भारत से आने वाले लोगों की तादाद तकरीबन 42% तक गिर गई है. मालदीव के पर्यटन मंत्री इब्राहिम फैसल ने भारत और मालदीव के ऐतिहासिक संबंधों पर जोर देते हुए हाल ही में कहा कि “हमारी सरकार भारत के साथ मिलकर काम करना चाहती है. हमारे लोग और हमारी सरकार मालदीव आने वाले भारतीयों का गर्मजोशी से स्वागत करेंगे. मैं पर्यटन मंत्री के रूप में भारतीयों से कहना चाहता हूं कि आप मालदीव आएं. हमारी अर्थव्यवस्था दरअसल पर्यटन पर ही निर्भर है.”
मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का अहम पड़ोसी है और मोदी सरकार की ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ के तहत मालदीव को हमेशा से अहम जगह देता है. पर मुइज्जू सरकार ने परंपरा तोड़ते हुए सत्ता संभालने के कई महीनों बात भी भारत का दौरा नहीं किया है और अक्सर चीन की शह पर भारत विरोधी बयानबाजी करते हैं.