अमेरिका और हूती विद्रोहियों के बीच बढ़ रहे विवाद के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिनों के लिए ईरान की यात्रा पर जा रहे हैं. इस दौरान जयशंकर अपने ईरानी समकक्ष से मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा करेंगे. विदेश मंत्री का तेहरान दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब 26 दिसंबर को दिल्ली स्थित इजरायल दूतावास के बाहर एक बम धमाका हुआ था.
इजरायल-हमास युद्ध को पूरे 100 दिन हो चुके हैं और मिडिल ईस्ट में विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. इजरायल की डिफेंस फोर्सेज गाजा में लगातार हमले कर रही है और हमास के आतंकियों को सफाया करने का दावा कर रही है. इसके साथ ही हमास को समर्थन के लिए यमन के हूती विद्रोहियों ने रेड सी (लाल सागर) में इजरायल, अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों के व्यापारिक जहाज, ऑयल टैंकर (शिप) और युद्धपोतों पर ड्रोन अटैक कर पूरी दुनिया की नींद उड़ा रखी है. हूती विद्रोहियों ने इजरायल से जुड़े एक मर्चेंट वैसल को हाईजैक भी कर रखा है.
हूती विद्रोहियों को सबक सिखाने के लिए अमेरिका और इंग्लैंड की नौसेनाओं ने यमन के हूती विद्रोहियों पर हवाई हमले शुरु कर दिए हैं. अमेरिका का आरोप है कि हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन है. ईरान ही हूती विद्रोहियों को ड्रोन और दूसरे हथियारों के साथ लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रहा है. पिछले साल 7 अक्टूबर को जब हमास के आतंकियों ने इजरायल के दक्षिणी शहरों में बड़ा हमला किया था तो जानकारों को शक था कि इसमें कही ना कही ईरान का समर्थन था. हालांकि, ईरान ने हमास के आतंकियों की मदद से साफ इंकार कर दिया था लेकिन जिस तरह इजरायल पर इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ था उससे कही ना कही शक की सुई ईरान पर घूम रही थी. यही वजह है कि भारत के विदेश मंत्री जयशंकर की ईरान यात्रा कई मायनों में अहम है.
यमन के हूती विद्रोहियों के सैन्य ठिकानों पर हमला करने से पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जयशंकर को फोन कर मिडिल-ईस्ट के हालात पर चर्चा की थी. उसके बाद ही भारत के विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की तेहरान यात्रा की जानकारी साझा की. क्योंकि भारत सहित कई देशों को इस बात का अंदेशा है कि हमास और हूती विद्रोहियों जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन कहीं मिडिल-ईस्ट के देशों के खिलाफ युद्ध में तब्दील ना हो जाए.
शनिवार को ही खुद जयशंकर ने नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा था कि अब वैश्विक मुद्दों पर सभी देश भारत से चर्चा करते हैं. उनका इशारा, यूक्रेन-रुस युद्ध और मिडिल-ईस्ट संकट इत्यादि की तरफ था. अपने संक्षिप्त बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो दिवसीय (14-15 जनवरी) दौरे के दौरान जयशंकर ईरान के विदेश मंत्री महामहिम डॉ. होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात करेंगे. इस दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्री “द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे. राजनीतिक सहयोग, कनेक्टिविटी पहल और मजबूत लोगों से लोगों के संबंध एजेंडे के महत्वपूर्ण पहलू होंगे.” विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ये मुलाकात दोनों देशों बीच चल रहे उच्च स्तरीय आदान-प्रदान का हिस्सा है.
गौरतलब है कि भले ही अमेरिका और ईरान के बीच कई दशकों से तनातनी चल रही है. लेकिन भारत और ईरान के संबंध काफी मजबूत हैं. द्विपक्षीय संबंधों के साथ साथ दोनों देश रुस और चीन जैसे देशों के सदस्य वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) का हिस्सा हैं. ईरान पिछले साल (2023) में ही एससीओ का सदस्य बना है. इसके अलावा इस साल के शुरुआत से में ईरान ब्रिक्स संगठन का भी सदस्य देश बन गया है जिसमें भारत के अलावा रुस, चीन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका प्रमुख सदस्य हैं.
विदेश मंत्री जयशंकर की तेहरान यात्रा इस मायने में भी बेहद अहम है क्योंकि पिछले महीने ही राजधानी दिल्ली में इजरायल की एंबेसी के बाहर एक कम तीव्रता वाला बम धमाका हुआ था. हालांकि, अभी तक किसी ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है और ना ही जांच एजेंसियां आरोपियों का पता लगा पाई है लेकिन शक की सुई हमेशा की तरह ईरान की तरफ घूम रही है. क्योंकि वर्ष 2012 में राजधानी दिल्ली में एक इजरायली डिप्लोमेट की कार में हुए स्टिक-बम धमाके में आरोपियों के तार ईरान से जुड़े पाए गए थे. इसके बाद 2021 में भी इजरायली दूतावास के बाहर एक बम धमाका हुआ था. ईरान और इजरायल की अदावत दुनिया से छिपी नहीं है.
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