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भारत-चीन की मैट्रिक्स पर बोले जयशंकर, दोनों बन गए शक्तिशाली देश

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और चीन के रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है. जीएमएफ ब्रुसेल्स फोरम 2025 में बोलते हुए जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन दोनों देश मिलकर नया संतुलन बना रहे हैं.  

जयशंकर का ये बयान इसलिए अहम है क्योंकि रूसी विदेश मंत्री सर्गेई ने इसी सप्ताह इस बात पर जोर दिया है कि रूस-इंडिया-चीन (आरआईसी) त्रिगुट को फिर से खड़ा करना समय की जरूरत है.

भारत-चीन दोनों शक्तिशाली, दो उभरती हुई शक्तियों में जटिल संतुलन बन रहा: जयशंकर

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “दुनिया में एक जटिल संतुलन है, क्योंकि भारत और चीन शक्तिशाली बन गए हैं और ये देश पड़ोसी भी हैं. सीमा मुद्दों के अलावा व्यापार और आर्थिक मुद्दे भी हैं. लेकिन जैसा भी हो, चीन का उदय हो रहा है, भारत का उदय हो रहा है, अब इनमें से प्रत्येक अपने और विश्व की उभरती हुई शक्तियों के बीच एक नया संतुलन बना रहा है और फिर इन दो उभरती हुई शक्तियों के बीच एक अधिक जटिल संतुलन बन रहा है, जो पड़ोसी भी हैं और जिनके कुछ पड़ोसी देश भी समान हैं.” जयशंकर ने कहा, “यह एक अविश्वसनीय रूप से जटिल मैट्रिक्स है और इसके विभिन्न आयाम हैं, इसमें सीमा आयाम हैं, इसमें संतुलन है, आर्थिक मुद्दे हैं, व्यापार संबंधी मुद्दे हैं.” 

भारत-चीन के मॉडल अलग-अलग, इसलिए चिंताएं:जयशंकर

एस जयशंकर ने भारत-चीन के संंबंधों पर खुलकर बात करते हुए कहा कि भारत और चीन के आर्थिक और राजनीतिक मॉडल काफी अलग-अलग हैं, इसलिए चिंताएं हैं, कुछ लोग सोच सकते हैं कि ये मतभेद एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाएंगे. इसमें चिंताएं हैं क्योंकि हमारे आर्थिक, सामाजिक मूल्य, राजनीतिक मॉडल अलग-अलग हैं, इसलिए जब आप इस रिश्ते को देखते हैं तो यह पहली नजर में जितना लगता है, उससे कहीं अधिक जटिल और मुश्किल है, जहां लोग वास्तव में सोचते हैं कि आपके पास यह देश और वह देश है और एक दूसरे को संतुलित करेगा और दूसरा दूसरे को अलग करेगा.” 

भारत-चीन की सीमाएं संबंधों में एक सबसे बड़ा कारक: जयशंकर 

जयशंकर ने कहा कि अनसुलझे सीमा विवाद उनके संबंधों में बड़ी भूमिका निभाते हैं. चीन हमारा निकटतम पड़ोसी है, ठीक है, यह एक ऐसा पड़ोसी है जिसके साथ हमारी सीमा भी अनिश्चित है, इसलिए यह हमारे संबंधों में एक बड़ा कारक है. चीन और भारत के बीच सभ्यतागत संबंध हैं और दोनों का समानांतर विकास हुआ है. चीनियों ने हमसे पहले अपना आधुनिकीकरण शुरू कर दिया क्योंकि मुझे लगता है कि उस समय हमारी सरकारें शायद वह नहीं कर पाईं जो उन्हें उन शुरुआती वर्षों में करना चाहिए था.”

रूस-भारत-चीन के बीच सहयोग, समय की आवश्यकता:रूस 

रूसी विदेश सर्गेई लावरोव की कोशिश है कि रूस, भारत और चीन एक मंच पर साथ आ पाएं. लावरोव का मानना है कि रूस के परममित्र, भारत और चीन को एकसाथ मजबूत संबंधों वाला होना चाहिए. सर्गेई लावरोव अलग-अलग मंचों पर आरआईसी त्रिगुट की पैरवी कर रहे हैं. 

लावरोव ने अपने हालिया बयान में एक बार फिर कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हम रूस-भारत-चीन’ त्रिपक्षीय समूह के काम को फिर से शुरू कर पाएंगे. पिछले कुछ वर्षों से हमारी विदेश मंत्रियों के स्तर पर बैठक नहीं हुई है, लेकिन हम अपने चीनी सहयोगी और विदेश विभाग के भारतीय प्रमुख के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि अब जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम हो गया है. काफी हद तक कम हुआ है, हालात स्थिर हैं, नई दिल्ली और बीजिंग में संवाद हो रहा है, तो हम ‘रूस-भारत-चीन’ त्रिगुट के कार्य को फिर से शुरू करने में सक्षम होंगे.’’

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