पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कूटनीतिक घेराबंदी जारी है. पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए एस जयशंकर की चक्रव्यूह के तहत रूसी विदेश मंत्री की भी एंट्री हुई है. जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने आपस में बात की है.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहली बार रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ फोन पर भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर बातचीत की है. विदेश मंत्रियों ने रूस-भारत सहयोग के मौजूदा मुद्दों के साथ-साथ पहलगाम शहर के पास हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में आई तेजी पर भी चर्चा की.
जयशंकर-सर्गेई में बातचीत, कूटनीतिक तौर पर विवाद सुलझाने पर जोर
भारत और रूस की गहरी दोस्ती है. रूस भारत के साथ उस वक्त भी मजबूती से खड़ा रहा है, जब अमेरिका ने भारत को झटका दिया था. रूस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि “सर्गेई लावरोव और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई है. लावरोव ने 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र के अनुसार द्विपक्षीय आधार पर राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यमों से नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच मतभेदों को सुलझाने का आह्वान किया. मंत्रियों ने उच्चतम और उच्च स्तरों पर आगामी संपर्कों के कार्यक्रम पर भी चर्चा की.”
आतंकियों, समर्थकों, मास्टरमाइंड को न्याय के कटघरे में लाना जरूरी: एस जयशंकर
एस जयशंकर ने भी इस बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की. एस जयशंकर ने लिखा, “रूसी विदेश मंत्री लावरोव के साथ पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा की. इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए. इसके अतिरिक्त, द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा करने की बात कही.” पहलगाम में हुए जघन्य नरसंहार में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. भारत ने इस भयावह घटना की कड़ी निंदा की है और सीमा पार संबंधों का हवाला देते हुए, हमले में शामिल लोगों को कड़ी सजा देने का संकल्प लिया है.
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जताई भारत के साथ प्रतिबद्धता
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पहलगाम नरसंहार के बाद राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी को अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए साफतौर पर कहा था कि हम भारत के साथ, जिम्मेदार अपराधियों को उचित सजा मिलेगी. राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था “कृपया पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के दुखद परिणामों पर अपनी संवेदनाएं स्वीकार करें, जिसके शिकार नागरिक थे – कई देशों के नागरिक. इस क्रूर अपराध का कोई औचित्य नहीं है. हम उम्मीद करते हैं कि इसके जिम्मेदारों और अपराधियों को उचित सजा मिलेगी. मैं आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने में भारतीय भागीदारों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराना चाहूंगा.”
ईयू का संदेहास्पद रुख, यूरोपीय यूनियन की सोशल मीडिया पर लोगों ने लगाई क्लास
इसी के तहत एस जयशंकर ने ईयू की राजनयिक काजा कलास से बात की थी. काजा कलास की एक टिप्पणी से उनका दोहरा चरित्र उजागर हो गया है. काजा कलास ने कहा है कि “तनाव बढ़ाने से किसी का भला नहीं होगा.” जबकि उन्होंने सीमा पार पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ आतंकवाद का समर्थन करने की भूमिका को लेकर एक बार कुछ नहीं कहा, जिससे भारत दशकों से पीड़ित रहा है.
इस टिप्पणी के बाद एक्सपर्ट्स ने ईयू को घेरते हुए कहा है, “यूरोप के ऐतिहासिक रुख को देखते हुए शायद ही कोई उम्मीद होगी कि ईयू का पाकिस्तान के खिलाफ कुछ भी करेगा, क्योंकि ईयू पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेंडिग पार्टनर है और उन दोनों के बीच वर्षों से करीबी संबंध बने हुए हैं.” साल 2022 में खुद एस जयशंकर भी ईयू को घेर चुके हैं. एस जयशंकर ने कहा था, “यूरोप को अपनी उस मानसिकता से बाहर निकलना होगा, जिसमें उसे लगता है कि यूरोप की समस्या पूरी दुनिया की समस्या है, लेकिन पूरी दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्या नहीं है.”