विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कतर के पीएम और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल रहमान बिन जासिम अल थानी से मुलाकात की. इस दौरान भारत और कतर के द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की गई.
एस जयशंकर तीन दिवसीय कतर यात्रा पर 30 दिसंबर को पहुंचे थे. और 01 जनवरी को पहली रणनीतिक मुलाकात की. ये मुलाकात इस लिहाज से भी अहम मानी जा रही है, क्योंकि कतर में जासूसी के आरोप में नौसेना के एक पूर्व अधिकारी अभी भी फंसे हुए हैं, जबकि पिछले साल बाकी सात (07) नौसैनिकों को कूटनीतिक चैनल के जरिए रिहा कर दिया गया था.
2025 की पहली राजनयिक मुलाकात की: जयशंकर
एस जयशंकर ने मुलाकात के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, “बुधवार को दोहा में प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री अल थानी से मिलकर खुशी हुई. साल 2025 में यह मेरी पहली राजनयिक मुलाकात है. हमारे द्विपक्षीय सहयोग की उपयोगी समीक्षा हुई. साथ ही हाल के क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर व्यापक चर्चा हुई.” (https://x.com/DrSJaishankar/status/1874436378853028160)
विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रेस रिलीज में बताया था कि, “जयशंकर की यात्रा से दोनों पक्षों को राजनीतिक, व्यापार, निवेश, ऊर्जा, सुरक्षा, सांस्कृतिक और आपसी हितों के क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों सहित द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करने का अवसर मिलेगा.”
कतर में अभी भी फंसे हैं नौसेना के एक पूर्व अधिकारी
कतर में अभी भी भारतीय नौसेना के एक पूर्व अधिकारी पूर्णेंदु तिवारी फंसे हुए हैं. हाल ही में खुलासा हुआ था कि पूर्णेंदु तिवारी ने कतर में भारतीय राजदूत, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिस्री समेत कई भारतीय अधिकारियों को पत्र लिखकर टॉर्चर की कहानी सुनाई है. पत्र में पूर्व नौसेना कमांडर ने बताया है, कि कतर के अधिकारियों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे जासूसी के झूठे आरोप के बाद उन पर बाद में एक और अपराध का आरोप लगाया गया.
पूर्णेंदु तिवारी ने ये चिट्ठी दिसंबर के महीने में ही लिखी है. कतर एजेंसी के कब्जे में आए पूर्व नौसेना कमांडर तिवारी को राष्ट्रपति से एनआरआई अवार्ड मिल चुका है और भारतीय नौसेना और वाणिज्यिक क्षेत्र में 44 वर्षों का अनुभव है.
पिछले साल कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा दे दी गई थी. लेकिन पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद कतर के अमीर ने पूर्व नौसैनिकों को क्षमादान दे दिया था. जिसके बाद कूटनीतिक जीत के बाद 7 पूर्व अधिकारी कुछ ही दिनों में वापस भारत लौट आए, पर एक पूर्व नौसेना कमांडर पूर्णेंदु अभी भी कतर की एजेंसी के कब्जे में हैं.