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रूस जाएंगे जयशंकर, सामरिक दृष्टि से अहम ये दौरा

By Nalini Tewari

अमेरिका के मनमाने टैरिफ के आगे बिना झुके भारत, अपने सैन्य सहयोगी रूस से लगातार संबंध मजबूत करने में जुटा हुआ है. एनएसए अजीत डोवल के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के दौरे पर जाने वाले हैं. विदेश मंत्री जयशंकर 20-21 अगस्त को रूस में सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे. अगस्त महीने में भारत की ओर से रूस में किया जाने वाला दूसरा हाईलेवल दौरा है. 

एस जयशंकर का दौरा ऐसे समय में होने वाला है जब 15 अगस्त को पूरी दुनिया की निगाहें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मीटिंग पर हैं. इस बैठक से पहले पुतिन ने पीएम नरेंद्र मोदी से बात की है. 

पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस जाएंगे एस जयशंकर

वैश्विक उथलपुथल के बीच एस जयशंकर रूस जा रहे हैं. रूस के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान जारी करते हुए विदेश मंत्री के शेड्यूल की जानकारी दी है. एमईए के अनुसार- “21 अगस्त को, विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मास्को में वार्ता करेंगे. दोनों मंत्री द्विपक्षीय एजेंडे के प्रमुख मुद्दों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय ढांचे के भीतर सहयोग के प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करेंगे.”

जयशंकर की रूस यात्रा के क्या है कूटनीतिक महत्व, समझिए

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूसी तेल को खरीदने के लिए भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. वहीं भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान से अमेरिका अपनी दोस्ती गांठने में जुटा हुआ है. बड़ी तेजी से कूटनीतिक परिस्थियां बदल रही हैं. ऐसे में जयशंकर का रूस दौरा कई मायनों में अहम हो जाता है.

इसी महीने के अंत में पीएम नरेंद्र मोदी चीन जाने वाले हैं. वो एससीओ की बैठक में हिस्सा लेंगे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी चीन पहुंच सकते हैं. एससीओ के मंच से इतर रूस राष्ट्रपति पुतिन, पीएम मोदी और चीनी राष्ट्पति शी जिनपिंग एकजुट हो सकते हैं. और आरआईसी की घोषणा की जा सकती है. आरईसी जिसकी पैरवी रूस और चीन दोनों ही कर रहे हैं, भारत ने भी सांकेतिक तौर पर हामी भर दी है. माना जा रहा है कि अमेरिका की दादागीरी के खिलाफ रूस-इंडिया-चाइना (आरआईसी) एक मंच पर आ सकते हैं.

डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक से पहले पुतिन ने पीएम मोदी से बात की. ये बातचीत रूस-यूक्रेन युद्ध और टैरिफ वॉर को लेकर हुई. पुतिन ने शी जिनपिंग और ब्रिक्स के अपने सहयोगियों के साथ-साथ नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन से भी बात की है. यानि अगर ट्रंप के साथ बातचीत फेल होती है और रूस की शर्तें नहीं मानी जाती हैं तो पुतिन, ने नाटो देशों से मुकाबला करने के लिए प्लान बी तैयार कर लिया है.

ब्राजील हो या फिर चीन, रूस हो या फिर भारत, अमेरिकी राष्ट्रपति मनमाना आर्थिक दबाव बढ़ा रहे हैं. ऐसे में अगर ट्रंप बेलगाम हुए तो ब्रिक्स देश मिलकर डॉलर के मुकाबले आर्थिक मुद्रा लाकर अमेरिका को झटका दे सकते हैं. जिसकी सुगबुगाहट जो बाइडेन के सत्ता में रहने के दौरान शुरु हुई थी.

इस वर्ष के अंत तक भारत आ सकते हैं पुतिन

पिछले सप्ताह मॉस्को दौरे पर गए एनएसए अजीत डोवल ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी. इस दौरान डोवल ने बताया था कि इस साल के अंत तक पुतिन भारत आ सकते हैं. ये दौरा द्विपक्षीय होगा, जहां पीएम मोदी और पुतिन मिलकर भारत-रूस के सैन्य और व्यापारिक समझौतों को और मजबूत करेंगे.

अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ पहली बार जयशंकर ने दिया जवाब, नाम लिए बिना सुनाया

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि ‘आत्मनिर्भरता’ का दृष्टिकोण न केवल वैश्विक अस्थिरता से निपटने का उपाय है, बल्कि यह ‘विकसित भारत’ की नींव रखने का भी आधार है. भारत एक ‘सभ्यतागत राष्ट्र’ है, जिसने समय की कसौटी पर खरा उतरते हुए अपनी संस्कृति, परंपरा और विरासत को संजोकर रखा है. 

डॉ. जयशंकर ने कहा, “हमारी असली ताकत हमारे लोग और उनका आत्मविश्वास है. हमने विपरीत परिस्थितियों पर विजय पाई है और प्रगति व समृद्धि की यात्रा में अनेक चुनौतियों का सामना किया है. हमें गर्व करने के लिए बहुत कुछ है और दुनिया के साथ साझा करने के लिए भी बहुत कुछ है.”

जयशंकर ने कहा, आज के अनिश्चित समय में खुद पर खड़ा होना अनिवार्य है. आत्मनिर्भरता केवल आर्थिक नीति नहीं, बल्कि यह मानसिकता है एक ऐसा दृष्टिकोण जो हमें अप्रत्याशित वैश्विक परिस्थितियों में स्थिर और आत्मविश्वासी बनाए रखता है.

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