कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की बढ़ती अलगाववादी गतिविधियों को लेकर अब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के अधिकारियों ने भी ऐतराज जताना शुरु कर दिया है. कनाडा की पूर्व रक्षा मंत्री अनिता आनंद ने खालिस्तानी द्वारा वैंकूवर शहर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को प्रदर्शित करने को लेकर आपत्ति जताई है. अनिता आनंद इनदिनों ट्रूडो सरकार की सांसद और ट्रेजरी बोर्ड की प्रेसीडेंट हैं.
6 जून (गुरुवार) को ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984) की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर कनाडा के वैंकूवर शहर में हर साल की तरह इस बार भी खालिस्तान समर्थक (सिख) कनाडाई नागरिकों ने एक प्रदर्शनी का आयोजन किया था. इस प्रदर्शनी में दिखाया गया था कि किस तरह सिख सुरक्षाकर्मियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (1980-84) की हत्या की थी. इस दौरान अलगाववादियों ने भारत के तिरंगे को भी आग लगाई और बदसलूकी की थी.
कनाडा की ट्रूडो सरकार पिछले कुछ समय से लगातार खालिस्तान समर्थकों की सभी कारगुजारियों को अनदेखा करती आ रही है. यहां तक की हाल ही में सिख समुदाय के कार्यक्रम में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे तो ट्रूडो मुस्कुराते हुए भी नजर आए थे. लेकिन अब पानी सिर से ऊपर उठ गया है और ट्रूडो सरकार के नुमाइंदे ही आपत्ति दर्ज करा रहे हैं.
अनिता आनंद ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि (पूर्व) “प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संबंध में हिंसक कल्पना का उपयोग परेशान करने वाला और अस्वीकार्य है क्योंकि यह नफरत और हिंसा को बढ़ावा देता है.” कनाडा के एक दूसरे सांसद ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि “कनाडा में हिंसा को बढ़ावा देना कभी स्वीकार नहीं होगा.”
खास बात ये है कि गुरुवार को आयोजित विरोध-प्रदर्शन के दौरान खालिस्तानी समर्थकों ने भारत के तिरंगे के साथ-साथ रुस के झंडे को भी आग के हवाले किया. ये साफ नहीं है कि खालिस्तानियों ने रुस का झंडा क्यों जलाया है. लेकिन ये माना जा सकता है कि भारत के साथ करीबी संबंध होने के चलते ऐसा किया गया है. पूरी दुनिया को ऐसा लगता है कि रुस से मजबूत संबंधों के चलते ही भारत न तो अमेरिकी की सुनती है और न ही दूसरे पश्चिमी देशों की. रुस के दम पर ही अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड और पाकिस्तान जैसे देशों में भारत अपने दुश्मनों को निपटा रहा है. हालांकि, भारत ने कभी दूसरे देशों में किसी भी तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों से साफ इंकार किया है (https://x.com/neeraj_rajput/status/1799331610610868454).
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे बार चुनाव जीतने पर ट्रूडो ने अपने बधाई संदेश में लिखा था कि कनाडा, भारत की सरकार के सहयोग के साथ “दोनों देशों के लोगों के बीच में संबंधों को बढ़ाना चाहती है जो मानवाधिकार, विविधता और कानून के शासन पर आधारित हों.”