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हमले का डर, Kiev की पिरामिड से किलेबंदी

रुस के संभावित आक्रमण से बचने के लिए यूक्रेन ने राजधानी कीव के चारों तरफ पिरामिड-नुमा बॉर्डर बनाना शुरु कर दिया है. सीमा की सुरक्षा के लिए सेनाएं ड्रैगन-टीथ नाम के डिफेंस बनाती आई हैं. खुद रशिया ने भी यूक्रेन के काउंटर-ऑफेंसिव को विफल करने के लिए डोनबास में पत्थरों के ऐसे पिरामिड लगाए थे ताकि दुश्मन के टैंक और मिलिट्री व्हीकल उन्हें पार ना कर पाएं.  

यूक्रेन के अधिकारियों के मुताबिक, करीब 10 हजार कॉन्क्रिट पिरामिड के जरिए कीव की किलेबंदी की गई है. करीब 3-4 फीट उंचे पिरामिड के आकार ये पत्थर आर्मर्ड कॉल्मस के खिलाफ बाधा का काम करते हैं. पहली बार द्वितीय विश्वयुद्ध में इन पिरामिड का इस्तेमाल जंग के मैदान में किया गया था. सैन्य भाषा में इन्हें ड्रैगन-टीथ का नाम दिया जाता है.  

ड्रैगन-टीथ के अलावा रुस के आक्रमण से बचने के लिए यूक्रेन ने कीव के चारों तरफ एंटी-टैंक डिच, ट्रेंच (खंदक) और नॉन-एक्सप्लोजिव बैरियर लगाए दिए हैं. पिछले महीने ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि रुस के जमीनी-हमलों से बचने के लिए दो हजार किलोमीटर लंबे डिफेंस बनाए जाएंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि कीव की किलेबंदी भी उसी रक्षात्मक रणनीति का हिस्सा है. कीव के चारों तरफ दिखाई पड़ रहे ड्रैगन-टीथ की तस्वीरें भी सामने आई हैं. 

यूक्रेन को इस बात का अंदेशा है कि रुस की सेनाएं मई के महीने में एक बार फिर राजधानी कीव और दूसरे इलाकों में जमीनी हमले कर सकती हैं. दो साल पहले फरवरी 2022 में जब दोनों देशों में जंग शुरु हुई थी तो रूसी सेना ने अपने टैंक, आर्मर्ड पर्सनल व्हीकल और मिलिट्री गाड़ियों से ही राजधानी कीव, खारकीव और दूसरे महत्वपूर्ण इलाकों की घेराबंदी की थी. लेकिन कुछ हफ्ते बाद ही रुस की सेना अपने टैंक और मिलिट्री व्हीकल छोड़कर वापस आई गई थी. सैनिक भी कीव की घेराबंदी करने के बाद वापस लौट आई थी.  

सामरिक जानकार मानते हैं कि रुस ने बिना ऑप्स-लॉजिस्टिक की तैयारियों के यूक्रेन पर धावा बोल दिया था. पुतिन की सेना ने स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन (हमले के लिए) गलत मौसम का भी चुनाव किया था. क्योंकि फरवरी के मौसम में बर्फ ताजा पिघली थी और रूसी सेना के टैंक इत्यादि दलदल में फंस गए थे. फ्यूल और राशन की सप्लाई लाइन बाधित होने के चलते रूसी सैनिक अपने आर्मर्ड व्हीकल यूक्रेन में ही छोड़कर भाग खड़े हुए थे. रुसी टैंक को स्थानीय यूक्रेनी नागरिकों ने देसी बम और मोलोटोव यानी बोतल में तेल भर कर आग लगाकर फेंकने के तरीके ने भी खासा नुकसान पहुंचा था. इसके अलावा यूक्रेनी कामकाजी (म्युनेशन) ड्रोन से भी रुसी सैनिकों को काफी क्षति हुई थी. 

रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हालांकि दावा है कि ऐसा इसलिए क्या गया था क्योंकि रुस और यूक्रेन में शांति वार्ता होने जा रही थी. ऐसें में रुसी सेना कीव और दूसरे शहरों से वापस लौट आई थी. पुतिन के मुताबिक, जेलेंस्की ने शुरुआत में हामी भरने के बाद पश्चिमी देशों के दबाव में शांति वार्ता को बाद में डस्टबिन में डाल दिया था. 

युद्ध के दो साल बाद हालांकि, रुस का ही पलड़ा भारी है और यूक्रेन को हथियार, टैंक, मिसाइल और बम तक की भारी किल्लत पड़ रही है. यूक्रेनी सैनिकों का भी भारी नुकसान हुआ है. अमेरिका और दूसरे पश्चिमी (यूरोपीय और नाटो) देशों से भी जरुरी मदद नहीं मिल रही है. जेलेंस्की सैन्य और वित्तीय मदद के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं. ऐसे में यूक्रेन को डर सता रहा है कि पांचवी बार रुस में भारी मतों से जीतने के बाद पुतिन नए सिरे से यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमला कर सकते हैं. क्योंकि हाल के दिनों में कीव इत्यादि शहरों में फिर से मिसाइल हमले तेज हो गए हैं (Ukraine युद्ध के बावजूद Putin को इतना समर्थन क्यों (TFA Special).  

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