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भारत में हत्यारा, कनाडा में सिक्योरिटी ऑफिसर

कनाडा में खालिस्तानी आतंकी और भारत के मोस्ट वांटेड हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर बेबुनियाद आरोपों पर उछलने वाले जस्टिन ट्रूडो सरकार की एक और कारस्तानी सामने आई है. जिससे साबित हो जाता है कि कनाडा कैसे अपराधियों की पनाहगार बच चुका है. क्योंकि पंजाब में शौर्य चक्र विजेता की हत्या का आरोपी कनाडा में सरकारी नौकरी कर रहा है. 

हाल ही में एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में खुलासा किया था कि शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता शिक्षक बलविंदर सिंह संधू की हत्या की साजिश कनाडा में स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा रची थी, क्योंकि संधू वो शख्स थे जो खालिस्तानियों के खिलाफ आवाज उठा रहे थे. अब खुलासा हुआ है कि शौर्य चक्र विजेता की हत्या का आरोपी दीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी कनाडा में सरकारी नौकरी कर रहा है. भारत ने सनी के प्रत्यर्पण की मांग की है.

शौर्य चक्र विजेता का हत्यारा कनाडा में कर रहा है सरकारी नौकरी
कनाडा के बॉर्डर सिक्योरिटी एजेंसी (सीबीएसए) ने इस बात को मान लिया है कि दीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो उनके यहां सरकारी नौकरी कर रहा है. सीबीएसए ने बताया है कि “बैकग्राउंड चेक के दौरान सनी ने किसी भी प्रकार के क्राइम से जुड़े होने से इंकार कर दिया था. सनी के खिलाफ सीबीएसए के पास कोई सबूत नहीं हैं.”

जानकारी के मुताबिक, भारत ने आधिकारिक तौर पर सनी के प्रत्यार्पण की मांग की है. लेकिन, सबूतों के बावजूद सीबीएसए लगातार सनी का बचाव कर रहा है. ये वही कनाडा देश है, जो बिना सबूत भारत को निज्जर मामले घेरता है और भारत जिस भगोड़े का सबूत देता है. तो उसपर कार्रवाई नहीं करता है. बताया जा रहा है कि सनी जो कि प्रतिबंधित इंटरनेशनल सिख यूथ का सदस्य है, वो सीबीएसए का काफी करीबी है.

2020 में शौर्य चक्र विजेता की हत्या, क्या है भिंडरावाले से कनेक्शन?

अमेरिका और कनाडा स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के लोगों ने पंजाब के तरनतारन में शौर्य चक्र विजेता शिक्षक की हत्या की साजिश रची थी. साल 2020 में पंजाब के भिखीविंड में घर में घुसकर बलविंदर सिंह संधू की गोली मारकर हत्या की गई थी. बलविंदर सिंह संधू खालिस्तानी आतंकवाद का विरोध करने वाले प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है. 

संधू की हत्या के सह-आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए एक हलफनामे में एनआईए ने कहा है कि शिक्षक बलविंदर सिंह संधू की हत्या के पीछे के मास्टरमाइंड कनाडा स्थित केएलएफ ऑपरेटिव सनी टोरंटो और पाकिस्तान में शरण लिए हुए आतंकवादी लखवीर सिंह उर्फ रोडे हैं. रोडे जरनैल सिंह भिंडरावाले का भतीजा है, दोनों को एनआईए की चार्जशीट में आरोपी के तौर पर नामित करते हुए भगोड़ा दिखाया गया था..

फिल्मी स्टाइल से रची साजिश, आईएसआई भी था शामिल
एनआईए के हलफनामे के मुताबिक, सनी और केएलएफ के प्रमुख लखवीर सिंह रोडे ने भारत में खालिस्तान विरोधी संगठनों को खत्म करने की साजिश रची. क्योंकि ये लोग खालिस्तान को दोबारा जीवित करना चाहते हैं. लिहाजा टोरंटों से सनी और रोडे ने मिलकर बलविंदर सिंह संधू की हत्या की साजिश रची. बलविंदर सिंह संधू को पंजाब में आतंकवाद के चरम के दौरान आतंकवादी तत्वों के खिलाफ बहादुरी  के लिए 14 अप्रैल, 1993 को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. 

संधू की हत्या की साजिश काफी फिल्मी तरह से की गई. सिद्धू के पाकिस्तानी आईएसआई हैंडलर ने हनीट्रैप करके पहले एक शूटर गुरजीत को जाल में फंसाया फिर संधू की हत्या के लिए ब्लैकमेल किया. आईएसआई ने संधू की हत्या के बदले में गुरजीत और उसके गिरफ्तार साथियों सुखदीप सिंह और इंद्रजीत सिंह को कनाडा में पैसे और आश्रय देने का वादा किया था. 2020 में दुबई स्थित गैंगस्टर सुख भिखारीवाल और सिद्धू को संधू की हत्या को अंजाम देने का काम सौंपा गया था.

भाड़े के शूटर्स ने 16 अक्टूबर 2020 को गुरजीत और उसके साथी सिर से पैर तक काले कपड़े पहने हुए बलजीत सिंह संधू के घर पहुंचे. जैसे ही बलजीत ने दरवाजा खोला काले लिबास में आए शूटर्स ने उन्हें गोली मार दी थी.

पाकिस्तान में हुई थी रोडे की मौत
एनआईए के मुताबिक, सनी और रोडे ने संधू की हत्या के लिए पंजाब में कट्टरपंथी युवाओं से संपर्क किया और हत्या करा दी. आईएसआई के गुर्गे और खालिस्तान समर्थक आतंकवादी लखबीर सिंह रोडे के इशारे पर हत्या की साजिश रची गई. रोडे वही आतंकी है, जिसकी पिछले दिसंबर में पाकिस्तान में मौत हो गई थी. लखबीर सिंह को यूएपीए एक्ट के तहत ‘आतंकवादी’ घोषित किया गया था, जिसके चलते वह पाकिस्तान भाग गया था. साल 1985 में एयर इंडिया जेट पर बमबारी का भी आरोपी खालिस्तान आतंकी लखबीर सिंह रोडे ही था.

अब भारत ने कनाडा से रोडे के साथ सनी के प्रत्यर्पण की मांग की है. लेकिन कनाडाई एजेंसी के रुख से यही लगता है कि सबूतों के बावजूद सनी को टोरंटों से आसानी से नहीं लाया जा सकेगा.

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