ईरान के हवाई हमलों को फेल करके इजरायल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मिलिट्री टेक्नोलॉजी के मामले में उसका आज भी कोई तोड़ नहीं है. भले ही अमेरिका, ब्रिटेन और जॉर्डन जैसे देशों ने इजरायल को हवाई सुरक्षा-चक्र प्रदान करने में मदद की हो लेकिन इजरायल का एयर-डिफेंस सिस्टम वाकई अचूक है. ऐसे में टीएफए आपको बताने जा रहा है कि कैसा है इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम और कौन-कौन सी मिसाइल इसमें शामिल हैं.
7 अक्टूबर (2023) की घटना से सबक लेते हुए इजरायल ने अपने ग्राउंड और एयर डिफेंस फोर्सेज को पूरी तरह अलर्ट पर रखा हुआ था. माना जा रहा है कि ईरान ने अपनी धरती से लेकर सीरिया और ईराक से ड्रोन और मिसाइलों को इजरायल के सैन्य ठिकाने तबाह करने के लिए 300 से ज्यादा हवाई हमले एक साथ किए थे. इजरायल के मुताबिक, ईरान ने कुल 185 कामकाजी ड्रोन (शहीद) और 36 क्रूज मिसाइल दागी थीं. इसके अलावा लंबी दूरी की करीब 100 बैलिस्टिक मिसाइल भी दागी गई थीं. इजरायल की मानें तो इनमें से 99 प्रतिशत हवाई हमलों को अमेरिका, इजरायल और जॉर्डन जैसे देशों की वायु-रक्षा प्रणाली से इजरायल की जमीन पर पहुंचने से पहले ही नष्ट कर दिया गया. इसका नतीजा ये हुआ कि इजरायल के नवातिम एयर बेस को मामूली नुकसान और एक छह साल का बच्चा ईरान की मिसाइल के टुकड़े लगने से घायल हुआ है.
इजरायल की एयर डिफेंस प्रणाली में लॉन्ग रेंज यानी लंबी दूरी से लेकर कम दूरी की मिसाइलें शामिल हैं जो इजरायल ने खुद या फिर अमेरिका जैसे मित्र-देशों के साथ मिलकर तैयार किया है.
एरो सिस्टम :
अमेरिका की साथ मिलकर विकसित एरो सिस्टम (प्रणाली) लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने में सक्षम है. इसकी रेंज करीब 2400 किलोमीटर है यानी अगर दुश्मन की कोई मिसाइल इजरायल की सीमा की तरफ दागी जाती है तो ये पहले ही भांप लेता है और काउंटर मिसाइल दागकर आसमान में ही तबाह कर सकती है. बैलिस्टिक मिसाइलों हमलों से बचाने में भी सक्षम है एरो प्रणाली. यही वजह है कि ईरान ने शनिवार को जब इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की तो एरो ने उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया.
एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली एरो का निर्माण इजरायल की इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री (आईएआई) अमेरिकी को-फंडिंग के साथ करती है. रिपोर्ट्स की मानें तो इजरायल के हथियारों के जखीरे में एरो के कई वर्जन है जिनमें एरो-2 और एरो-3 प्रमुख हैं. ये शॉर्ट रेंज पर भी दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिरा सकने में सक्षम है. शनिवार की हमले में ऐसा ही लगता है कि इजरायल ने कम दूरी पर ही ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिराया था. क्योंकि ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल के खोल इजरायल के समुद्री-तटों पर गिरे पाए गए हैं.
एरो मिसाइल प्रणाली के लिए इजरायल ग्रीन पाइन रडार का इस्तेमाल किया जाता है. भारत ने भी इजरायल से ये ग्रीन पाइन रडार खरीदी हैं जो दुश्मन की मिसाइल और एयरक्राफ्ट को सर्च, डिटेक्ट और ट्रैक करने का काम करती है.
डेविड स्लिंग:
अमेरिका की रेथियॉन कंपनी और इजरायल की राफिल (रफाल नहीं) कंपनी ने एक साथ मिलकर डेविड स्लिंग प्रणाली को मध्यम दूरी की मिसाइलों के हमले रोकने के लिए तैयार किया है. इसके रेंज करीब 300 किलोमीटर है.
पैट्रियट:
अमेरिका की यह मिसाइल रक्षा प्रणाली इस्राइल के पास कई दशकों से है. इनका इस्तेमाल 1991 में पहले खाड़ी युद्ध के दौरान इराक की तरफ से दागी गई स्कड मिसाइलों को रोकने के लिए किया गया था. अभी इसे ड्रोन और विमानों को मार गिराने में इस्तेमाल किया जाता है. यूक्रेन युद्ध में इसका इस्तेमाल रुस की मिसाइलों के खिलाफ किया जा रहा है.
आयरन डोम:
अमेरिका के सहयोग से इजरायल में विकसित यह प्रणाली कम दूरी के रॉकेटों को मार गिराने में माहिर है. उनकी सफलता दर 90 फीसदी है. पिछले दशक के शुरू से अब तक यह हमास और हिजबुल्ला के हजारों रॉकेट हमले नाकाम कर चुकी है. ये शॉर्ट रेंज एंटी-मिसाइल प्रणाली है.
आयरन बीम:
हवाई हमलों को रोकने के लिए इजरायल लेजर तकनीक पर आधारित ये नई प्रणाली विकसित कर रहा है. हालांकि, अभी ये साफ नहीं है कि शनिवार को ईरान के हमलों को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया या नहीं. लेकिन माना जा रहा है कि यह गेम चेंजर साबित हो सकती है क्योंकि अन्य प्रणालियों की तुलना में ये काफी सस्ती प्रणाली है. आयरन डोम की तरह ही ये भी कम दूरी पर दुश्मन के ड्रोन इत्यादि को मार गिराने में सक्षम है.
स्पाइडर:
स्पाइडर एक मोबाइल एयर डिफेंस प्रणाली है जो एक मिलिट्री व्हीकल (ट्रक) पर लगी होती है और इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. इसकी रेंज शुरुआत में 10-15 किलोमीटर थी. लेकिन इसके एमआर वर्जन की रेंज 16-35 किलोमीटर है. करीब एक दशक पहले भारत ने भी ये स्पाइडर-एमआर प्रणाली इजरायल से खरीदी थी.