एलएसी पर चीन के साथ हुए डिसएंगेजमेंट करार को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा निरंतर बातचीत से किसी भी विवाद का हल निकाला जा सकता है.
गुरुवार को राजधानी दिल्ली में भारतीय सेना द्वारा आयोजित चाणक्य डिफेंस डायलॉग को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के विवाद को सुलझाने के लिए डिप्लोमेटिक और मिलिट्री स्तर की बातचीत की गई.
राजनाथ सिंह ने कहा कि लगातार बातचीत के जरिए ही समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए व्यापक सहमति हासिल की गई है. उन्होंने कहा कि ये निरंतर संवाद में शामिल रहने के चलते संभव हो पाया है.
इसी हफ्ते भारत और चीन ने एलएसी पर अप्रैल-मई 2020 से चल आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने का दावा किया है. इसके लिए दोनों देशों ने डिसएंगेजमेंट करार किया है. इस करार के चलते दोनों देशों की सेनाएं एलएसी से पीछे हटने के लिए तैयार हो गई हैं.
वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच खूनी झड़प हुई थी. इस हिंसा के बाद से ही दोनों देशों के 50-50 हजार सैनिक फेस-ऑफ की स्थिति में थे.
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के शहर कज़ान में ब्रिक्स समिट से इतर बैठक कर इस डिसएंगेजमेंट करार पर मुहर लगा दी है. (मोदी Xi की पांच साल बाद मुलाकात, वैश्विक शांति में मिलेगी मदद)
मोदी और शी की मुलाकात के साथ ही दोनों देशों की सेनाओं ने विवादित डेप्संग प्लेन और डेमचोक से पीछे हटना शुरू कर दिया है.
डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरा होने के बाद अगले चरण में एलएसी पर डि-एस्कलेशन यानी सैनिकों की संख्या कम की जाएगी.