दुश्मनों की समुद्री घुसपैठ को रोकने के लिए भारतीय नौसेना ने उठाया है बड़ा कदम. देश की समुद्री-सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए भारतीय नौसेना अब समंदर में बारूदी-सुरंग बिछाने वाली है, ताकि दुश्मन की पनडुब्बी या फिर जहाज देश की समुद्री सीमाओं में घुसपैठ न कर पाएं. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए खास मूर्ड-माइन्स सहित कुल 10 ऐसे प्रस्तावों को मंजूरी दी है, जिसकी कुल कीमत करीब 1.05 लाख करोड़ है.
हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने ये नहीं बताया है कि कितने माइन्स-स्वीपर (जहाज), नौसेना के लिए खरीदे जाएंगे, लेकिन माना जा रहा है कि इनकी संख्या 12 होगी. इन माइन-स्वीपर जहाज की कुल कीमत 44 हजार करोड़ हो सकती है.
नेवी के माइन काउंटर मेजर वेसल और अंडरवॉटर यूएवी खरीद को मंजूरी
गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने मूर्ड-माइन्स सहित नौसेना के लिए माइन काउंटर मेजर वेसल और अंडरवाटर यूएवी की खरीद को हरी झंडी दे दी है.
मूर्ड माइन्स को समंदर की तलहटी में एक चेन के जरिए बांध दिया जाता है. जैसे ही दुश्मन का कोई जंगी जहाज, पनडुब्बी या फिर अंडरवाटर यूएवी इनके करीब आने की कोशिश करते हैं या फिर इनके ऊपर से गुजरते है, बारूदी सुरंग की तरह ये फट जाती है और दुश्मन को बड़ा नुकसान हो जाता है. इसी तरह से दुश्मन की समुद्री-सीमा में दाखिल होते वक्त, अगर कोई बारूदी सुरंग बिछी होती है तो उसे माइन काउंटर मेजर वेसल (जहाज) के जरिए क्लीयर कर दिया जाता है.
इसी तरह नौसेना के लिए सबमर्सिबल ऑटोनोमस वेसल ( समुद्री यूएवी) की खरीद को भी मंजूरी दी गई है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस तरह के प्रस्तावों को मंजूरी से समंदर में जंगी जहाज और मर्चेंट वेसल को होने वाले खतरों को समाप्त किया जा सकेगा.
आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी कंपनी से खरीदा जाएगा ड्रोन
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए इन सभी मूर्ड-माइन्स, जहाज और अंडरवाटर यूएवी को बाय (इंडियन-स्वदेशी डिजाइन डेवलप्ड और मैन्युफैक्चर्ड यानी आईडीडीएम) कैटेगरी के तहत खरीद जाएगा. यानि किसी स्वदेशी कंपनी से ही खरीदा जा सकता है जिसने खुद डिजाइन और डेवलप किया है.
डीएसी ने थलसेना के लिए भी क्विक रिएक्शन जमीन से आसमान में मार करने वाली क्यूआरसैम मिसाइल की खरीद को मंजूरी दी है. इन मिसाइल का नंबर भी साझा नहीं किया गया है. लेकिन माना जा रहा है कि कुल 33 हजार करोड़ की मिसाइलों को मंजूरी दी गई है.
ट्राई सर्विस के लिए हथियारों की खरीद मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने ट्राई सर्विस यानी सेना के तीनों अंगों के लिए भी आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम की खरीद को मंजूरी को मंजूरी दी है.
डीएसी की बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय ने जो आधिकारिक बयान जारी किया, उसमें बताया गया कि ट्राई-सर्विस के लिए इंटीग्रेटेड कॉमन इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम को भी मंजूरी दी गई है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन खरीद से सशस्त्र सेनाओं की मोबिलिटी तेज होगी और ऑपरेशन्ल तैयारियों में इजाफा होने के साथ ही मजबूत एयर डिफेंस मिलेगा तथा सप्लाई चेन मैनेजमेंट भी बेहतर होगा.