पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी एक बार फिर लश्कर और जैश के आतंकियों को खड़ा करने में लग गई है. इस बार लश्कर और जैश दोनोॉ को साथ लाने की साजिश है ताकि अमेरिका की आंख में धूल झोंकी जाए.
भारतीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, अब लश्कर का हेडक्वार्टर पाकिस्तान के मुरीदके से शिफ्ट कर बहावलपुर ले जाया जाएगा. बहावलपुर में ही जैश का मुख्यालय है.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय वायुसेना ने जैश और लश्कर, दोनों के मुख्यालय पर मिसाइल स्ट्राइक की थी.
लश्कर-जैश को एक साथ ला रही आईएसआई
ऑपरेशन सिंदूर में ध्वस्त हुए बहावलपुर में एक बार फिर से एक जगह पर लश्कर और जैश के आतंकी इकट्ठा हो रहे हैं. बहावलपुर में ऐसे पोस्टर दिखाई पड़े हैं जिससे ये साबित होता है कि लश्कर और जैश आतंकी अब मुरीदके में सक्रिय है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद को एक छत के नीचे लाने की चाल चली है. आईएसआई ने लश्कर के कमांडर सैफुल्लाह सैफ को निर्देश दिया है कि लश्कर को अपने सारे ऑपरेशन अब मुरीदके से करने होंगे.
आपको बता दें 80 के दशक के आखिरी वर्षों में अफगानिस्तान में सोवियत-तालिबान युद्ध खत्म होने बाद से लश्कर का मुख्यालय पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके में था.
ऑपरेशन सिंदूर में मुरादके और बहावलपुर में भारत ने की थी मिसाइल स्ट्राइक
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, मुरीदके और वहावलपुर में भारतीय वायुसेना ने मिसाइल स्ट्राइक की थी. भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने बहावलपुर और मुरीदके, दोनों जगह जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था. मुरीदके में लश्कर के हेडक्वार्टर के भीतर आईएसआई के फील्ड ऑफिस का भी खुलासा हुआ था.
ऑपरेशन सिंदूर में जैश और लश्कर के आतंकियों के मारे जाने के बाद भारत विरोधी गतिविधियों को तेज करने के लिए आईएसआई एक बार फिर से नापाक प्लानिंग में जुट गई है.
सूत्रों के मुताबिक, लश्कर के हेडक्वार्टर को मुरीदके से शिफ्ट करने के पीछे एक कारण ये भी हो सकता है कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया को दिखाया जा सके कि लश्कर को खत्म कर दिया गया है. आशंका इस बात की भी है कि टीआरएफ की तरह ही लश्कर को कोई नया नाम दे दिया जाए. ऐसा आईएसआई पहली भी कर चुकी है.
लश्कर, टीआरएफ आतंकी संगठन घोषित, अब आतंकी संगठन का कोई नया नाम रखेगी आईएसआई
मुंबई के 26-11 अटैक के बाद जब लश्कर को अमेरिका और यूएन (संयुक्त राष्ट्र) ने वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर बैन लगाया था, तो उसका नाम जमात-उद-दावा कर दिया गया था.
आईएसआई, पाकिस्तान में पल-बढ़ रहे आतंकी संगठनों के नाम और उपनाम बदलने में माहिर है. यही वजह है कि कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए आईएसआई ने लश्कर को नया नाम टीआरएफ यानी द रजिस्टेंस फ्रंट दे दिया. ऐसा इसलिए ताकि, लश्कर को कश्मीर से जुड़ा संगठन माना जाए. जबकि लश्कर, एक इस्लामिक (धर्म से जुड़ा) शब्द है.
शनिवार को अमेरिका ने टीआरएफ को सीधे तौर से आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का ही एक ‘फ्रंट’ और ‘प्रॉक्सी’ करार देते हुए एक वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया था.
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने टीआरएफ को नामित फोरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफटीओ) और स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (एसडीजीटी) की श्रेणी में डाल दिया है. अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, टीआरएफ ने पहलगाम हमले (22 अप्रैल) की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 26 मासूम नागरिकों की जान गई थी. अमेरिका के मुताबिक, पहलगाम हमला, वर्ष 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद सबसे घातक अटैक है.