स्वदेशी एलसीए तेजस फाइटर जेट के एडवांस वर्जन मार्क 1ए की पहली फ्लाइट ने सफल उड़ान भरी है. गुरुवार को बेंगलुरु स्थित एचएएल फैसिलिटी से उड़ान भरने के बाद एलसीए-मार्क 1ए ने 18 मिनट की उड़ान भरी. इस फ्लाइट के साथ ही मार्क-1ए अब वायुसेना में शामिल होने के लिए तैयार हो जाएगा.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के मुताबिक, पहले एलसीए मार्क-1ए (एलए 5033) की ये उड़ान ऐसे समय में संभव हो पाई है जब जियो-पॉलिटिकल परिस्थितियों के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित हुई है. इस उड़ान को एचएएल के चीफ टेस्ट पायलट ग्रुप कैप्टन के के वेणुगोपाल (रिटायर) ने फ्लाई किया.
गुरुवार की उड़ान के बाद माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना को स्वदेशी एलसीए तेजस का एडवांस वर्जन ‘एलसीए मार्क 1ए’ जल्द मिल जाएगा. पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के नाल एयरबेस (बीकानेर) पर मार्क 1ए की पहली स्क्वाड्रन तैनात की जाएगी जिसे कोबरा के नाम से जाना जाएगा. इस साल के अंत तक नाल में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क 1ए की पूरी स्क्वाड्रन तैयार हो जाएगी. शुरुआत में मार्क 1ए की तीन स्क्वाड्रन को खड़ा किया जाएगा. ये तीनों ही स्क्वाड्रन वेस्टर्न बॉर्डर यानी पाकिस्तानी से सटी सीमा के फॉरवर्ड लोकेशन एयरबेस पर तैनात की जाएगी. माना जा रहा है कि दूसरी स्क्वाड्रन गुजरात के कच्छ में नलिया एयर बेस पर तैनात की जाएगी.
वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 83 एलसीए मार्क 1ए लड़ाकू विमानों का सौदा किया था. इस सौदे की कुल कीमत 48 हजार करोड़ थी. इनमें से 10 मार्क 1ए ट्रेनर एयरक्राफ्ट हैं. एचएएल का दावा है कि 2027-28 तक वायुसेना को सभी मार्क 1ए एयरक्राफ्ट मिल जाएंगे. मार्क 1ए फाइटर जेट बीवीआर यानी बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल, एयर टू एयर रिफ्यूलिंग, आइसा रडार, इलेक्ट्रोनिक वारफेयर सूट और अर्ली वार्निंग रडार सिस्टम के चलते एलसीए तेजस से ज्यादा घातक है.
वायुसेना के पास एलसीए तेजस (मार्क 1) की फिलहाल दो स्क्वाड्रन हैं जो तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस पर तैनात रहती हैं. हाल ही में वायुसेना ने एलसीए तेजस की एक डिटेचमेंट को जम्मू-कश्मीर के अवंतीपुरा एयरबेस पर तैनात किया था. हालांकि, सूत्रों ने साफ किया कि ये डिटेचमेंट वैली में ट्रेनिंग के लिए आई थी और अब वापस सुलूर जा चुकी हैं. ऐसे में ये माना जा सकता है कि मार्क-1ए की तीसरी स्क्वाड्रन जम्मू-कश्मीर के किसी बेस पर भी तैनात की जा सकती है. क्योंकि श्रीनगर में तैनात मिग-21 बाइसन (बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय विंग कमांडर अभिनंदन जिसका हिस्सा थे) भी अब रिटायर हो चुकी है.
वायुसेना की एक स्क्वाड्रन में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं और दो ट्रेनर एयरक्राफ्ट होते हैं. एलसीए की समय से डिलीवरी के लिए एचएएल ने नासिक और बेंगलुरु में दो अतिरिक्त फैसिलिटी शुरु की हैं ताकि हर साल 16 तेजस फाइटर जेट का निर्माण किया जा सके. लेकिन आने वाले सालों में ये
वायुसेना के पास एलसीए तेजस (मार्क 1) की फिलहाल दो स्क्वाड्रन हैं जो तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस पर तैनात रहती हैं. हाल ही में वायुसेना ने एलसीए तेजस की एक डिटेचमेंट को जम्मू-कश्मीर के अवंतीपुरा एयरबेस पर तैनात किया था. हालांकि, सूत्रों ने साफ किया कि ये डिटेचमेंट वैली में ट्रेनिंग के लिए आई थी और अब वापस सुलूर जा चुकी हैं. ऐसे में ये माना जा सकता है कि मार्क-1ए की तीसरी स्क्वाड्रन जम्मू-कश्मीर के किसी बेस पर भी तैनात की जा सकती है. क्योंकि श्रीनगर में तैनात मिग-21 बाइसन (बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय विंग कमांडर अभिनंदन जिसका हिस्सा थे) भी अब रिटायर हो चुकी है.
वायुसेना की एक स्क्वाड्रन में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं और दो ट्रेनर एयरक्राफ्ट होते हैं. एलसीए की समय से डिलीवरी के लिए एचएएल ने नासिक और बेंगलुरु में दो अतिरिक्त फैसिलिटी शुरु की हैं ताकि हर साल 16 तेजस फाइटर जेट का निर्माण किया जा सके. लेकिन आने वाले सालों में ये संख्या 24 तक पहुंचने की संभावना है.